समस्त मानव जाति का कल्याण चाहती है भारतीय संस्कृति

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती और दक्षिणेश्वर काली मंदिर के पीठाधीश्वर एवं आचार्य महामंडलेश्वर पंचायती निरंजनी अखाड़ा के स्वामी कैलाशानंद गिरी की हरिद्वार में भेंट हुई।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 07 Dec 2021 09:48 PM (IST) Updated:Tue, 07 Dec 2021 09:48 PM (IST)
समस्त मानव जाति का कल्याण चाहती है भारतीय संस्कृति
समस्त मानव जाति का कल्याण चाहती है भारतीय संस्कृति

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती और दक्षिणेश्वर काली मंदिर के पीठाधीश्वर एवं आचार्य महामंडलेश्वर पंचायती निरंजनी अखाड़ा के स्वामी कैलाशानंद गिरी की हरिद्वार में भेंट हुई। दोनों संतों ने भारतीय संस्कृति सहित विभिन्न विषयों पर चर्चा की।

स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि भारत एक विविध संस्कृति वाला देश है तथा भारतीय संस्कृति विविधता में एकता की संस्कृति के साथ ही अपनी विशाल भौगोलिक स्थिति के जैसे ही विशाल है। भारतीय संस्कृति में 'वसुधैव कुटुंबकम' की पवित्र भावना निहित है, वर्तमान पीढ़ी को इन दिव्य भावनाओं से सिचित करना नितांत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि संस्कृति किसी भी राष्ट्र और वहां के नागरिकों की आत्मा होती है। संस्कृति से ही देश, जाति या समुदाय के उन समस्त संस्कारों का बोध होता है जिनके आधार पर कोई भी राष्ट्र अपने आदर्शों, जीवन मूल्यों आदि का निर्धारण करता है और भारतीय संस्कृति तो समस्त मानव जाति का कल्याण चाहती है।

स्वामी कैलाशानंद गिरी ने कहा कि भारत में विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक मेला 'कुंभ' आयोजित किया जाता है जिसमें लाखों श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाने के लिए एकत्र होते है। परंतु दुर्भाग्य से गंगा सहित हमारी अन्य नदियां धीरे-धीरे प्रदूषित हो रही हैं इसका एक कारण समय के साथ जनसंख्या में वृद्धि, औद्योगीकरण और अन्य कारणों से गंगा एवं उसकी सहायक नदियों में प्रदूषण बढ़ रहा है। इसलिए धार्मिक संगठनों को आगे आना होगा ताकि हमारी नदियों के साथ ही हमारी संस्कृति भी बची रहे।

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