आयकर विभाग की निगरानी में आए प्रदेश के सारे पैन नंबर, आसान नहीं टैक्स चोरी

उत्तराखंड के 07 लाख 32 हजार से अधिक परमानेंट अकाउंट नंबर (पैन) आयकर विभाग की निगरानी में आ गए हैं। उत्तराखंड में भी विभाग के प्रोजेक्ट इनसाइट पर काम शुरू कर दिया है।

By BhanuEdited By: Publish:Wed, 05 Jun 2019 09:17 AM (IST) Updated:Wed, 05 Jun 2019 09:11 PM (IST)
आयकर विभाग की निगरानी में आए प्रदेश के सारे पैन नंबर, आसान नहीं टैक्स चोरी
आयकर विभाग की निगरानी में आए प्रदेश के सारे पैन नंबर, आसान नहीं टैक्स चोरी

देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड के 07 लाख, 32 हजार से अधिक परमानेंट अकाउंट नंबर (पैन) आयकर विभाग की निगरानी में आ गए हैं। निगरानी के लिए आयकर अधिकारियों ने उत्तराखंड में भी विभाग के प्रोजेक्ट इनसाइट पर काम शुरू कर दिया है। नवनियुक्त मुख्य आयकर आयुक्त प्रदीप अंबष्ठ कुमार ने पद्भार ग्रहण करने के बाद यह जानकारी मीडिया के साथ साझा की।

सुभाष रोड स्थित आयकर भवन में पत्रकारों से रूबरू प्रदीप कुमार ने बताया कि प्रोजेक्ट इनसाइट ऐसे सॉफ्टवेयर पर आधारित है, जिसके माध्यम से किसी भी पैन की पूरी जानकारी हासिल की जा सकती है। 

मसलन, किसी व्यक्ति के कितने बैंक खाते हैं, उनमें कितने रुपये जमा किए जा रहे हैं, कहां भुगतान किया जा रहा या संबंधित ने कार, जमीन या भवन खरीदा है आदि की पूरी जानकारी मिल जाएगी। 

उन्होंने बताया कि प्रोजेक्ट के तहत तय किया गया है कि सभी पैन धारकों की निगरानी की जाए। यदि किसी ने आय के अनुरूप आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया है तो उसकी जानकारी तुरंत मिल जाएगी। कई दफा लोग संपत्ति बेचकर या खरीदकर उसे रिटर्न में शामिल नहीं करते हैं तो ऐसे लोगों को तत्काल नोटिस जारी कर दिया जाएगा। 

मुख्य आयकर आयुक्त ने बताया कि पहले चरण में रिकवरी से संबंधित प्रकरणों में प्रोजेक्ट इनसाइट की मदद ली जा रही है। इसके बाद एक-एक कर सभी पैन धारकों की कुंडली बांची जाएगी। इसके अलावा प्रोजेक्ट से इतर भी राज्य से जमीन की खरीद-फरोख्त कर मुनाफा कमाने वाले लोगों का ब्योरा मांगा गया है। ताकि स्पष्ट हो सके कि आय के अनुरूप रिटर्न दाखिल किया गया है, या नहीं। इस अवसर पर प्रधान आयकर आयुक्त सुनीति श्रीवास्तव, अपर आयुक्त नीता अग्रवाल, संयुक्त आयुक्त भूपाल सिंह आदि उपस्थित रहे।

चार आयकर सेवा केंद्र और खुलेंगे

मुख्य आयकर आयुक्त ने बताया कि प्रदेश में ही चार आयकर सेवा केंद्र हैं, जबकि रुड़की, हरिद्वार, काशीपुर व अल्मोड़ा में चार केंद्र और खोले जाएंगे। आयकर संबंधी किसी भी सुझाव, शिकायत व मदद के लिए इन पर संपर्क किया जा सकेगा। 

कानपुर क्षेत्र के लिए 35.97 हजार करोड़ का लक्ष्य

आयकर विभाग के कानपुर क्षेत्र (देहरादून भी शामिल) के लिए वित्तीय वर्ष 2019-20 में आयकर का लक्ष्य 35 हजार, 979 करोड़ रखा गया है। पिछले वित्तीय वर्ष से यह करीब 20 फीसद अधिक है।

मुख्य आयकर आयुक्त प्रदीप कुमार के अनुसार देहरादून क्षेत्र में पिछले वित्तीय वर्ष में 13 हजार, 386 करोड़ रुपये का लक्ष्य था। यहां इससे 18 फीसद अधिक 15 हजार, 815 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्ति हुई। वर्ष 2017-18 के संग्रह से तुलना की जाए तो यह 46 फीसद अधिक रहा। 

आयकर संग्रह बढ़ाने के लिए आयकरदाताओं की संख्या बढ़ाई जा रही है। इसके अलावा निरंतर सर्वे आदि की कार्रवाई भी की जा रही है। इस दौरान 30 प्रतिष्ठानों पर सर्वे कर 32 करोड़ रुपये की अघोषित आय पकड़ी गई। इसके अलावा छह रिकवरी सर्वे भी किए गए। इनमें तीन प्रकरणों में वाद भी दायर किया गया।

विदेशी संस्थाओं के भुगतान पर पैनी नजर

मुख्य आयकर आयुक्त अंबष्ठ ने अंतरराष्ट्रीय कराधान में टीडीएस कटौती को लेकर विशेष सतर्कता बरतने की बात कही है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कराधान पर चार्टर्ड अकाउंटेंट्स (सीए) को संबोधित करते हुए कहा कि विदेशी कराधान में जरा सी लापरवाही से देश को आयकर का भारी नुकसान हो सकता है। 

सीए भवन में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य आयकर आयुक्त प्रदीप कुमार ने अंतरराष्ट्रीय कराधान के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कराधान पर अधिक सतर्कता की जरूरत इसलिए भी है कि यह मसला गैर भारतीय लोगों या कंपनियों से जुड़ा है। जिस भुगतान में जितना प्रभावी ढंग से टीडीएस काटा जाएगा, उसमें उतनी पारदर्शिता संभव है। 

वहीं, आयकर आयुक्त (अंतरराष्ट्रीय कराधान) अनुपमा आनंद ने जोर देते हुए कहा कि जो अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं भारत में की गई आर्थिक गतिविधियों से लाभ कमा रही हैं, उन पर हर हाल में कर लगाया जाना चाहिए। इसके लिए विदेशी मुद्रा की डीलिंग करने वाले बैंकर्स की भूमिका भी अहम है। 

इस अवसर पर आयकर आयुक्त टीडीएस मनीष मिश्रा, आयकर अधिकारी डीएस रावत समेत बड़ी संख्या में सीए, टैक्स बार एसोसिएशन के सदस्य व विभिन्न विभागों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। 

टीडीएस कटौती में झोल कर रहे राज्य के कार्मिक

टीडीएस कटौती के नाम पर राज्यभर के विभागों के आहरण-वितरण अधिकारी कर चोरी में फर्मों का साथ दे रहे हैं। बीते कुछ समय में किए गए आयकर विभाग के टीडीएस सर्वे में इसका खुलासा किया गया। इस पर आयकर विभाग ने जब राज्य के समक्ष आपत्ति जताई तो वित्त विभाग की तरफ से सभी संबंधित अधिकारियों को कड़े निर्देश जारी किए गए। 

मुख्य आयकर आयुक्त प्रदीप कुमार अंबष्ठ ने बताया कि काशीपुर के सिंचाई खंड का कार्यालय इसका जीता जागता उदाहरण है। यहां दो करोड़ रुपये से अधिक की देनदारी पर महज तीन लाख रुपये का टीडीएस काटा गया था। इसी तरह तमाम कार्यालय भुगतान को कम बताकर टीडीएस काट रहे हैं। साथ ही गलत रिटर्न भी दाखिल किए जा रहे हैं। 

इससे न सिर्फ भुगतान प्राप्त करने वाले प्रतिष्ठानों के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पा रही, बल्कि आयकर चोरी को भी बढ़ावा मिल रहा है। हालांकि, उन्होंने उम्मीद जताई कि वित्त विभाग के रुख के बाद इस तरह की अनियमितता थमने की उम्मीद बढ़ी है। 

आयकर विभाग ने प्रस्ताव रखा है कि आहरण-वितरण अधिकारियों को टीडीएस कटौती में किसी तरह की तकनीकी दिक्कत आ रही है तो उन्हें प्रशिक्षित किया जा सकता है।

आर्थिक अन्वेषण शाखा करेगी जांच

प्रदेश में बड़े स्तर पर टीडीएस गड़बड़ी पकड़े जाने और सिंचाई विभाग के एक खंड कार्यालय में लंबे समय से चल रहे खेल पर वित्त विभाग न सिर्फ जागने वाली स्थिति में है, बल्कि इसकी जांच कराने का भी निर्णय लिया गया है। बताया जा रहा है कि विशेषकर सिंचाई खंड, काशीपुर के प्रकरण की जांच आर्थिक अन्वेषण शाखा से कराने का निर्णय लिया गया है। 

ओबरॉय परिवार के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी

आयकर विभाग ने आयकर की बकाया राशि न जमा करने पर ओबरॉय परिवार के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी किया है। सर्कुलर में ओबरॉय परिवार के पांच लोगों के नाम दर्ज किए गए हैं। राज्य गठन के बाद यह पहला ऐसा मौका है, जब किसी परिवार के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई की गई है।

मुख्य आयकर आयुक्त प्रदीप कुमार अंबष्ठ ने बताया कि ओबरॉय परिवार पर वर्ष 2014 से आयकर की करीब 16 करोड़ रुपये की देनदारी चली आ रही है। इसको लेकर कई दफा नोटिस जारी कर कई तरह की अन्य कार्रवाई की जा चुकी हैं। 

इसके बाद भी जब बकाया राशि की अदायगी नहीं की गई तो ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन के माध्यम से अंबरीश ओबरॉय, प्रणव, श्रवण, सीमा, गीतिका व दीपिका के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी करा दिया गया है। सर्कुलर में परिवार के जिन सदस्यों का नाम है, वह अब विदेश नहीं जा पाएंगे। क्योंकि ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन के माध्यम से सभी के नाम एयरपोर्ट अथॉरिटी के साथ ही विदेश मंत्रालय को भेजे जा चुके हैं। दूसरी तरफ आयकर बकाया की वसूली के लिए विभागीय स्तर पर भी कार्रवाई की जा रही है।

यह भी पढ़ें: 63 लाख जब्त, फिर भी सुस्त बना आयकर विभाग

यह भी पढ़ें: फर्जी आय दिखा आरटीई के तहत कराया दाखिला, जांच शुरू

यह भी पढ़ें: घोटाले से जुड़े दस्तावेज लेने सिडकुल पहुंची एसआइटी, जानिए पूरा मामला

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप

chat bot
आपका साथी