मसूरी में ऐतिहासिक जार्ज एवरेस्ट हाउस का लोकार्पण कल, पर्यटकों की सुविधा का भी रखा गया है ध्यान
ऐतिहासिक जार्ज एवरेस्ट हाउस का सात दिसंबर को पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज लोकार्पण करेंगे। उत्तराखंड पर्यटन संरचना विकास निवेश कार्यक्रम के तहत एशियन डेवलपमेंट बैंक से वित्त पोषित योजना में सर जार्ज हैरिटेज हाउस का जीर्णोद्धार किया गया है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। पहाड़ों की रानी मसूरी में हाथी पांव के समीप स्थित ऐतिहासिक जार्ज एवरेस्ट हाउस का सात दिसंबर को पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज लोकार्पण करेंगे। उत्तराखंड पर्यटन संरचना विकास निवेश कार्यक्रम के तहत एशियन डेवलपमेंट बैंक से वित्त पोषित योजना में सर जार्ज हैरिटेज हाउस का जीर्णोद्धार किया गया है।
जार्ज एवरेस्ट हाउस की जर्जर हालत को देखते हुए सरकार ने इसे और इसके नजदीक की प्रयोगशाला के जीर्णोद्धार का निर्णय लिया। यह कार्य 18 जनवरी 2019 शुरू हुआ, जो अब पूरा होने को है। इस पर 23.69 करोड़ रुपये की लागत आई है। जीर्णोद्धार में इसके मूल स्वरूप को बरकरार रखा गया है। जीर्णोद्धार में अंग्रेजों की तर्ज पर सीमेंट की जगह चक्की में पीस कर बनाए गए मिश्रण का उपयोग किया गया।
जीर्णोद्धार के तहत जार्ज एवरेस्ट हाउस में परंपरागत लकड़ी के घर, प्रतीक्षालय एक अलग अनुभूति कराते हैं। पर्यटकों की सुविधा के लिए यहां जगह-जगह सूचना पट लगाए गए हैं। पर्यटकों के बढ़ते दबाव को देखते हुए बूम बैरियर के पास पार्किंग स्थल और रिसेप्शन काउंटर भी बनाया गया है। जार्ज एवरेस्ट ने मसूरी में बिताया था लंबा अर्सा विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट का नामकरण सर जार्ज एवरेस्ट के नाम पर हुआ था।
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जार्ज एवरेस्ट ने जीवन का लंबा अर्सा पहाड़ों की रानी मसूरी में बिताया। वेल्स के इस सर्वेयर और जियोग्राफर ने ही पहली बार एवरेस्ट की सही ऊंचाई और लोकेशन बताई थी। इसे देखते हुए ब्रिटिश सर्वेक्षक एंड्रयू वा की सिफारिश पर वर्ष 1865 में इस शिखर का नामकरण उनके नाम पर हुआ। इससे पहले इस चोटी को पीक-15 के नाम से जाना जाता था।
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