Medicinal Plants: औषधीय पादपों की खेती को मिलेगा मनरेगा का कवच, जानिए क्या है योजना

Medicinal Plants जड़ी-बूटियों का विपुल भंडार कहे जाने वाले उत्तराखंड में विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुके औषधीय पादपों की खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिए सगंध खेती की भांति इन्हें भी मनरेगा का कवच दिया जाएगा।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Wed, 21 Apr 2021 11:54 AM (IST) Updated:Wed, 21 Apr 2021 11:54 AM (IST)
Medicinal Plants: औषधीय पादपों की खेती को मिलेगा मनरेगा का कवच, जानिए क्या है योजना
Medicinal Plants: औषधीय पादपों की खेती को मिलेगा मनरेगा का कवच।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। Medicinal Plants जड़ी-बूटियों का विपुल भंडार कहे जाने वाले उत्तराखंड में विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुके औषधीय पादपों की खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिए सगंध खेती की भांति इन्हें भी मनरेगा का कवच दिया जाएगा। कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री सुबोध उनियाल ने मंगलवार को विधानसभा के सभाकक्ष में निर्यात की जाने वाली जड़ी-बूटियों के दस्तावेजीकरण और सिंगल डेस्क प्लेटफार्म विकसित करने के संबंध में बुलाई गई बैठक में अधिकारियों को ये निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि औषधीय महत्व के पौधों की वृहद स्तर पर खेती कर इनके जरिये किसानों की आय बढ़ाने पर फोकस किया जाएगा।

कैबिनेट मंत्री उनियाल ने प्रदेश में कुटकी, अतीश, सर्पगंधा, सतावर, बड़ी इलायची, अमेश, तेजपात जैसी औषधीय महत्व की प्रजातियों और इनके उत्पादन में कमी पर चिंता जताई। उन्होंने इन औषधीय पादपों की खेती को बढ़ावा देकर उत्पादन बढ़ाने पर जोर देते हुए कहा कि यह किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने को जरूरी है। उन्होंने उत्तराखंड जैव विविधता बोर्ड, नेशनल वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो और राष्ट्रीय जैव विविधता बोर्ड के समन्वय से ऐसी व्यवस्था बनाने को कहा, जिससे इन जड़ी-बूटियों के उत्पादन और मार्केटिंग में कम से कम औपचारिकताएं हों।

उन्होंने जड़ी-बूटी शोध एवं विकास संस्थान (एचआरडीआइ) और कृषि विभाग को किसानों के सामने आने वाली बाधाओं को दूर करने के मद्देनजर व्यापक होमवर्क करने के निर्देश दिए। साथ ही हार्टिकल्चर मार्केटिंग बोर्ड को किसानों द्वारा उत्पादित औषधियों की मार्केटिंग में सहायता करने और ऐसा मैकेनिज्म बनाने को कहा, जिससे उत्पादों की खरीद सुनिश्चित हो सके। उन्होंने औषधीय पादपों की खेती को मनरेगा से जोड़ने के मद्देनजर प्रस्ताव शासन को भेजने के लिए भी निर्देशित किया। बैठक में एचआरडीआइ के निदेशक चंद्रशेखर सनवाल, जैवविविधता बोर्ड के सदस्य सचिव आरएन झा, सीडस एंड आर्गनिक एजेंसी के निदेशक डा परमाराम, जैविक वस्तु बोर्ड के महाप्रबंधक विनय कुमार, संयुक्त सचिव कृषि महिमा, वनाधिकारी रमेश चंद्र आदि मौजूद थे।

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