कार्यसंस्कृति के लिहाज से नए कलेवर में निखरेगा वन विभाग
कार्यसंस्कृति के लिहाज से उत्तराखंड का वन महकमा अब नए कलेवर में निखरने जा रहा है। इसके लिए वन मुख्यालय ने पांच सूत्रीय कार्यक्रम निर्धारित किया है। लक्ष्य हासिल करने के लिए अधिकारियों को एक्शन प्लान तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: कार्यसंस्कृति के लिहाज से उत्तराखंड का वन महकमा अब नए कलेवर में निखरने जा रहा है। इसके लिए वन मुख्यालय ने पांच सूत्रीय कार्यक्रम निर्धारित किया है। साथ ही अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय कर दी है। लक्ष्य हासिल करने के लिए अधिकारियों को एक्शन प्लान तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।
उत्तराखंड में सर्वाधिक क्षेत्र का नियंत्रक होने के कारण यहां के विकास में वन विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका है। बावजूद इसके विभाग की कार्यशैली को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। कभी समस्याओं व चुनौतियों के निदान की दिशा में हीलाहवाली तो कभी हितधारकों की अनदेखी जैसे मसले सुर्खियां बनते आए हैं। हालांकि, यह भी सही है कि कार्मिकों की कमी, बदली परिस्थितियों के अनुसार संसाधनों का अभाव, बढ़ता मानव-वन्यजीव संघर्ष व जंगल की आग जैसी आपदा की चुनौती से भी विभाग निरंतर जूझ रहा है। इस सबको देखते हुए विभाग में नई कार्यसंस्कृति की दिशा में कदम उठाए गए हैं। इसके तहत समस्या व चुनौतियों की पहचान, परिस्थितियों का आकलन, बदली परिस्थितियों के अनुसार एक्शन प्लान तैयार कर उसके प्रभावी क्रियान्वयन, अनुश्रवण व मूल्यांकन, हितधारकों से फीडबैक जैसे विषयों पर खास ध्यान रखने पर जोर दिया गया है।
इस सिलसिले में वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक राजीव भरतरी ने विभाग के विकास को नई रणनीति तैयार करने के लिए पांच सूत्रीय कार्यक्रम जारी किया है। सभी वन संरक्षकों और संरक्षित क्षेत्रों के निदेशकों से इसी के अनुरूप कदम उठाने को कहा गया है। साथ ही कार्यक्रमों के लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय की गई है।
ये हैं पांच सूत्रीय कार्यक्रम
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