उत्तराखंड में सेब के आयातित पौधे होंगे क्वारंटाइन, रखी जाएगी नजर; जानिए वजह

उत्तराखंड में अब विदेश से मंगाए गए सेब के पौधे सालभर क्वारंटाइन रखे जाएंगे। इस दौरान इन पर लगातार नजर रखी जाएगी। किसी भी प्रकार के वायरस अथवा बीमारी न होने की पुष्टि के बाद ही आयातित पौधों का रोपण किया जाएगा।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 06:35 AM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 06:35 AM (IST)
उत्तराखंड में सेब के आयातित पौधे होंगे क्वारंटाइन, रखी जाएगी नजर; जानिए वजह
उत्तराखंड में सेब के आयातित पौधे होंगे क्वारंटाइन, रखी जाएगी नजर।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड में अब विदेश से मंगाए गए सेब के पौधे सालभर क्वारंटाइन रखे जाएंगे। इस दौरान इन पर लगातार नजर रखी जाएगी। किसी भी प्रकार के वायरस अथवा बीमारी न होने की पुष्टि के बाद ही आयातित पौधों का रोपण किया जाएगा। राज्य में अति सघन सेब उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए चल रही 'मिशन एप्पल' योजना के क्रियान्वयन के सिलसिले में जारी संशोधित शासनादेश में यह प्रविधान किया गया है। इसके अलावा सेब बागानों में सिंचाई के लिए सोलर पंप के इस्तेमाल और ड्रिप सिंचाई को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया गया है। 

राज्य में इटली, हालैंड समेत अन्य देशों से सेब के पौधे आयात किए जाते जाते हैं। ऐसे पौधों के सभी तरह के रोगों से मुक्त होने की पुष्टि के बाद ही रोपण का नियम है, मगर इसका अनुपालन नहीं हो रहा है। परिणामस्वरूप सेब के बागानों पर वायरस अथवा अन्य रोगों के खतरे का अंदेशा बना रहता है। इसे देखते हुए अब शासन ने साफ किया है कि मिशन एप्पल योजना में आयातित सेब के पौधों को हर हाल में सालभर क्वारंटाइन रखा जाएगा। 

अपर सचिव उद्यान उमेश नारायण पांडेय की ओर से इस संबंध में जारी संशोधित शासनादेश में यह भी प्रविधान किया गया है कि बागीचों की स्थापना से पहले उसका सर्वे और ले आउट आवश्यक रूप से तैयार किया जाए। साथ ही वहां सिंचाई के लिए सौर ऊर्जा आधारित तकनीक का प्रयोग करते हुए जियो लाइन्ड टैंक के साथ एक इंच क्षमता का सोलर समर सिवल पंप को सम्मिलित किया जाए। यह कार्य उरेडा की मदद से किया जाएगा। 

इससे उचित जल प्रबंधन होने से सेब उत्पादक औषधीय पौधों के अलावा खरीफ, प्याज, लहसुन की खेती में भी इसका उपयोग कर सकेंगे। इसमें ड्रिप सिंचाई को तवज्जो दी जाएगी। शासनादेश में सेब उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इंटर स्टाक विधि को प्रयोग में लाने के साथ ही रोपण में सेब के पौधों की दूरी भी निर्धारित कर दी गई है।

यह भी साफ किया गया है कि मिशन एप्पल और अन्य विभागीय योजनाओं में निविदा प्रक्रिया अपनाते हुए पंजीकृत फर्म व कंपनियों के माध्यम से विभाग के अनुश्रवण में उत्पादित पौध रोपण सामग्री का ही उपयोग किया जाएगा। मिशन एप्पल के तहत इंटर रूट स्टाक पौधों की दर भी निर्धारित कर दी गई है। 

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