स्वास्थ्य अनुसंधान में हेल्थ रिकार्ड का विशेष महत्व

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में हुई कार्यशाला में विशेषज्ञों ने अस्पतालों और मेडिकल कालेजों में आइसीडी-10 की उपयोगिता तथा इसको बढ़ावा देने पर जोर दिया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 07:46 PM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 07:46 PM (IST)
स्वास्थ्य अनुसंधान में हेल्थ रिकार्ड का विशेष महत्व
स्वास्थ्य अनुसंधान में हेल्थ रिकार्ड का विशेष महत्व

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में हुई कार्यशाला में विशेषज्ञों ने अस्पतालों और मेडिकल कालेजों में आइसीडी-10 की उपयोगिता तथा इसको बढ़ावा देने पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि मेडिकल और स्वास्थ्य से संबंधी अनुसंधान के क्षेत्र में हेल्थ रिकार्ड का विशेष महत्व होता है।

एम्स ऋषिकेश में 'प्रमोट टू यूज आफ आइसीडी-10 इन टेरटियरी केयर हास्पिटल एंड मेडिकल कालेज' विषय पर आयोजित कार्यशाला में मेडिकल छात्रों और कार्यरत मेडिकल स्टाफ को बताया गया कि किस प्रकार इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन आफ डिसीज में मेडिकल हेल्थ रिकार्ड की उपयोगिता महत्वपूर्ण है।

कार्यशाला में डीन एकेडेमिक प्रो. मनोज गुप्ता ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्मित रोग और संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का अंतरराष्ट्रीय सांख्यिकी वर्गीकरण का दसवां संस्करण 'आइसीडी-10' चिकित्सीय वर्गीकरण की सूचियों का समूह है। डीन रिसर्च प्रो. वर्तिका सक्सैना ने बताया कि अभी तक भारत के कुछ बड़े अस्पतालों में ही आइसीडी-10 की आनलाइन कोडिग व्यवस्था है। मरीजों के हित के लिए अब उत्तराखंड में भी इसे शुरू करने की प्रक्रिया चल रही है। इसी प्रक्रिया के तहत इस कार्यशाला का आयोजन किया गया।

मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रो. अश्वनी कुमार दलाल ने कहा कि आइसीडी- 10 मेडिकल हेल्थ रिकार्ड पर आधारित ऐसी स्वास्थ्य प्रणाली है, जिससे चिकित्सकों को मरीज की पूरी हिस्ट्री देखने के लिए अलग-अलग कई रिपोर्ट नहीं पढ़नी पड़ेगी। इस सुविधा से सिर्फ आइसीडी-10 कोड की मदद से मरीज की पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त हो जाएगी। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ के उप निदेशक डा. सचिन कुमार यादव ने बताया कि आइसीडी-10 व्यवस्था में रोग और संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का अंतरराष्ट्रीय सांख्यिकी वर्गीकरण किया गया है, जिसमें रोगों, उनके लक्षणों, समस्याओं, तथा सामाजिक परिस्थितियों आदि की कोडिग की गई है। कार्यशाला में किग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ के डा. वीपी श्रीवास्तव ने आइसीडी-10 के क्रियान्वयन का प्रतिभागियों को विस्तृत प्रशिक्षण दिया। उन्होंने मरीज से संबंधित सभी प्रकार की जानकारियों को कोडिग करने के बारे में विस्तार से बताया।

कार्यशाला के समन्वयक डा. योगेश बहुरूपी ने बताया कि निकट भविष्य में इस कार्यशाला का एम्स ऋषिकेश को भी लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया कि इस सिस्टम को राज्य के अन्य मेडिकल कालेजों में सुचारू रूप से लागू करने के लिए एम्स ऋषिकेश पूर्ण सहयोग देगा। कार्यशाला में अस्पताल प्रशासन के प्रो. यूबी मिश्रा, जनरल मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. मीनाक्षी धर, फिजियोलाजी विभाग की डा. सुनीता मित्तल, सीएफएम विभाग के डा. महेन्द्र सिंह, डा. प्रदीप अग्रवाल, डा. मीनाक्षी खापरे आदि मौजूद रहे।

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