ढाई साल बाद परवान चढ़ेगी 'आइएमए विलेज' योजना
ढाई साल के लंबे इंतजार के बाद राज्य में एकीकृत आदर्श ग्राम (आइएमए विलेज) योजना अब कैबिनेट की मंजूरी के बाद परवान चढ़ने जा रही है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। ढाई साल के लंबे इंतजार के बाद राज्य में एकीकृत आदर्श ग्राम (आइएमए विलेज) योजना अब कैबिनेट की मंजूरी के बाद परवान चढ़ने जा रही है। चालू वित्तीय वर्ष में इस योजना के तहत चयनित होने वाले 95 गांवों में करीब एक हजार किसानों को जोड़ने का लक्ष्य है। चयनित गांव में करीब 15 लाख की राशि से संचालित होने वाली प्रत्येक गतिविधि के लिए लाभांश भी तय किया गया है। इसमें से 60 फीसद किसान को मिलेगा, जबकि 35 फीसद रिवाल्विंग फंड में जमा होगा। पांच फीसद राशि कंटीजेंसी मद में जाएगी। यही नहीं, योजना की मॉनीटरिंग के लिए राज्य, जिला व ब्लाक स्तर पर व्यवस्था की गई है। गांव में योजना के क्रियान्वयन के लिए वहां गठित होने वाली समिति के सचिव (कृषि अधिकारी) को जवाबदेह बनाया गया है।
खेती को लाभकारी बनाने और कृषि से जुड़ी गतिविधियों को बढ़ावा देने के मकसद से ढाई साल पहले कृषि मंत्री सुबोध उनियाल की पहल पर आइएमए विलेज योजना का खाका खींचा गया। पिछले वर्ष और इस वर्ष इसके लिए वित्तीय प्रविधान भी हुआ, मगर तमाम कारणों से यह परवान नहीं चढ़ पाई।
कैबिनेट में इस योजना के क्रियान्वयन पर मुहर लगाई गई। योजना के तहत चयनित गांव में लघु एवं सीमांत किसानों की बिखरी जोतों में क्लस्टर आधार पर खेती की जाएगी। कृषि व उससे जुड़ी गतिविधियों का संचालन कृषक अथवा कृषकों के समूह करेंगे। योजना में गांव की बंजर और परती भूमि को कृषिकरण के तहत उपयोग में लाया जाएगा। मनरेगा समेत केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं की डबटेलिंग भी इसमें होगी, ताकि किसानों की आय बढ़ सके। योजना में रिवाल्विंग फंड भी बनेगा, जिससे तमाम मदों में धनराशि व्यय की जाएगी। कृषि उत्पादों के उत्पादों के विपणन की व्यवस्था भी की जाएगी।
योजना में फिलहाल 12 करोड़
आइएमए विलेज योजना में फिलहाल 12 करोड़ की राशि है। इसमें पांच करोड़ बीते वत्तीय वर्ष और सात करोड़ इस वित्तीय वर्ष की राशि शामिल है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद अब इस योजना को राज्य में जल्द ही लांच करने की तैयारी है।
सुबोध उनियाल (कृषि मंत्री उत्तराखंड) का कहना है कि खेती को लाभकारी बनाते हुए आइएमए विलेज योजना के धरातल पर आकार लेने से यह गांवों की तस्वीर बदलने में सक्षम होगी। 10 साल में इसमें करीब एक हजार गांव और एक लाख किसानों को जोडऩे का लक्ष्य है। योजना में परंपरागत कृषि विकास योजना की भांति क्लस्टर विकसित किए जाएंगे।
यह भी पढ़ें: बहुप्रतीक्षित अमृतसर कोलकाता औद्योगिक कॉरीडोर के लिए कैबिनेट की हरी झंडी
दोगुना होगी किसानों की आय
द नदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना में तीन लाख तक का ब्याज रहित ऋण मिलने से किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी। असल में अभी तक इस योजना में किसानों को एक लाख और समूहों को पांच लाख तक का ब्याजरहित ऋण दिया जा रहा है। 368504 किसानों और 1247 समूहों को अब तक 1853 करोड़ का ऋण दिया जा चुका है। इस बीच कृषि मंत्री की अध्यक्षता वाली समिति ने सुझाव दिया था कि किसानों के लिए ब्याजरहित ऋण की सीमा तीन लाख तक की जाए। इस पर कैबिनेट ने मुहर लगा दी है।
यह भी पढ़ें: न्यूनतम बाजार मूल्य के आधार पर सरकारी भूमि का आवंटन