उत्तराखंड में जोर पकड़ने लगी कांवड़ यात्रा रद कर की मांग, आइएमए की उत्तराखंड शाखा ने मुख्यमंत्री को भेजा पत्र

उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा रद करने की मांग जोर पकड़ती जा रही है। अगर यात्रा आयोजित होगी तो इससे कोरोना संक्रमण के व्यापक पैमाने पर बढ़ने की संभावना बनेगी। तीसरी लहर की आशंका के बीच कांवड़ यात्रा सुपरस्प्रेडर इवेंट के रूप में कुंभ मेले से ज्यादा खतरनाक हो सकती है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Mon, 12 Jul 2021 09:36 PM (IST) Updated:Mon, 12 Jul 2021 10:35 PM (IST)
उत्तराखंड में जोर पकड़ने लगी कांवड़ यात्रा रद कर की मांग, आइएमए की उत्तराखंड शाखा ने मुख्यमंत्री को भेजा पत्र
उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा रद करने की मांग जोर पकड़ती जा रही है।

जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा रद करने की मांग जोर पकड़ती जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यात्रा आयोजित होगी तो इससे कोरोना संक्रमण के व्यापक पैमाने पर बढ़ने की संभावना बनेगी। तीसरी लहर की आशंका के बीच कांवड़ यात्रा 'सुपरस्प्रेडर इवेंट' के रूप में कुंभ मेले से भी ज्यादा खतरनाक हो सकती है। आइएमए उत्तराखंड ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र भेज यह अनुरोध किया है कि कांवड़ यात्रा को रद कर दिया जाए। आइएमए के प्रदेश सचिव डा. अजय खन्ना के अनुसार हर साल सैकड़ों की संख्या में शिवभक्त कांवड़ लेकर उत्तराखंड के अलग-अलग इलाकों में आते हैं। बीते दिनों कुंभ के कारण उत्तराखंड के तमाम इलाकों में कोरोना के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ था। इसके कारण कई व्यक्तियों की जान भी गई थी। ऐसे में अब कांवड़ यात्रा में होने वाली भारी भीड़ और कोरोना प्रोटोकाल के पालन ना होने की संभावना को देखते हुए कांवड यात्रा को रद करना चाहिए। डा. खन्ना के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कोविड प्रोटोकाल का पालन करने में लापरवाही पर चिंता प्रकट की है। वह कहते हैं कि उत्तराखंड को कोरोना की तीसरी लहर से सुरक्षित रखने के लिए कांवड़ यात्रा रद करना बहुत जरूरी है।

इधर, सोशल डेवलपमेंट फार कम्युनिटीज फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल का कहना है कि भले ही कोविड अनुरूप व्यवहार को लेकर मानक संचालन प्रक्रियाएं (एसओपी) लागू की जाएंगी और तभी यात्रा की अनुमति दी जाएगी, पर एसओपी को लागू करा पाना व्यवहारिक रूप से मुमकिन नहीं है। उन्होंने कहा कि कुंभ में और हाल ही में कोविड कर्फ्यू में ढील दिए जाने पर पर्यटक स्थलों पर भीड़ उमड़ पड़ी। नौटियाल ने कहा कि कांवड़ यात्रा कुंभ से कई गुना ज्यादा घातक साबित होगी। क्योंकि कांवड़ यात्रा में एक पखवाड़े के भीतर सैकड़ों तीर्थयात्री हरिद्वार आएंगे। कांवड़ यात्रा के बाद फैले संक्रमण को राज्य संभाल नहीं पाएगा। इसलिए कोविड -19 की तीसरी लहर को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जाना चाहिए। एक आदर्श स्थिति में  कांवड़ यात्रा से बचना चाहिए। क्योंकि उत्तराखंड में डेल्टा-प्लस का मामला भी आ चुका है।

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