कार्बेट टाइगर रिजर्व प्रकरण की जांच करने से मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी का इन्कार

मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने कार्बेट टाइगर रिजर्व के अंतर्गत कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग में अवैध निर्माण व पेड़ कटान की जांच करने से इन्कार कर दिया है। बीते दिनों शासन के निर्देश पर प्रमुख मुख्य वन संरक्षक ने उन्हें जांच अधिकारी नामित किया था।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Tue, 09 Nov 2021 08:37 PM (IST) Updated:Tue, 09 Nov 2021 08:58 PM (IST)
कार्बेट टाइगर रिजर्व प्रकरण की जांच करने से मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी का इन्कार
कार्बेट टाइगर रिजर्व प्रकरण की जांच करने से मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी का इन्कार।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। कार्बेट टाइगर रिजर्व के अंतर्गत कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग में अवैध निर्माण व पेड़ कटान के प्रकरण में अधिकारियों पर दोष निर्धारण के मद्देनजर जांच करने से मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने इन्कार कर दिया है। शासन के निर्देश पर वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) ने उन्हें जांच अधिकारी नामित किया था। चतुर्वेदी ने पीसीसीएफ को भेजे पत्र में कहा कि उन्हें जांच अधिकारी नामित करने मात्र से जितना भय, व्याकुलता, भ्रम व संशय की स्थिति परिलक्षित हो रही है, उतनी उन्होंने पहले कभी नहीं देखी। यह भी कहा है कि भविष्य में भ्रष्टाचार अथवा कदाचार के किसी प्रकरण में दोषियों के विरुद्ध वास्तव में कार्रवाई का शासन या विभाग के स्तर पर स्पष्ट निर्णय होने के बाद ही उन्हें जांच अधिकारी नामित किया जाए।

यह है प्रकरण

कालागढ़ टाइगर रिजर्व के बफर जोन पाखरो में टाइगर सफारी तैयार हो रही है। इस बीच बात सामने आई कि वहां स्वीकृति से अधिक पेड़ों का कटान किया गया है। यही नहीं, पाखरो से लेकर कालागढ़ वन विश्राम भवन तक अवैध निर्माण का मामला भी उछला। ये दोनों प्रकरण दिल्ली हाईकोर्ट में गए। प्रकरण के सुर्खियां बनने पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने स्थलीय जांच रिपोर्ट में शिकायतों को सही पाया। साथ ही दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की संस्तुति की। इस पर पीसीसीएफ ने शासन के निर्देश पर मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ) संजीव चतुर्वेदी को जांच सौंपी थी। उनके द्वारा जानकारियां जुटानी भी शुरू कर दी गई थीं।

यहां फंसा पेच

प्रकरण वन्यजीव परिक्षेत्र का है। वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत ऐसे किसी भी प्रकरण में मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के आदेश ही मान्य होते हैं। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक पहले ही दावा कर चुके हैं कि प्रकरण की जांच एपीसीसीएफ वीके गांगटे को सौंपी जा चुकी है।

अफसरों के सुर जुदा-जुदा

सीसीएफ चतुर्वेदी ने पीसीसीएफ को भेजे पत्र में बताया है कि दो नवंबर को उन्हें जांच अधिकारी नामित करने के तत्काल बाद से आला अधिकारियों के विरोधाभाषी बयान आ रहे हैं। उन्होंने कहा है कि अब तक के सेवाकाल में वह भ्रष्टाचार-कदाचारके सैकड़ों प्रकरणों की निष्पक्ष, विधिसम्मत जांच कर चुके हैं। इनका अनुमोदन और सराहना सीबीआइ, सीवीसी, संसदीय समिति व अन्य प्राधिकरण कर चुके हैं। इस प्रकरण में शासन व विभाग के आला अधिकारियों ने विरोधाभाषी बयान देकर न सिर्फ जांच की वैधानिकता पर प्रश्न खड़े करने का प्रयास किया, बल्कि प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही इसकी शुचिता को खंडित करने का भी प्रयास किया। इन परिस्थितियों में उनके लिए प्रकरण की जांच करना संभव नहीं है।

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