नौ फीसद वन क्षेत्र बढ़ाकर पूरा होगा पीएम का वादा
वैश्विक वन संसाधन आकलन-2020 पर आयोजित कार्यशाला में एक तरफ विश्व में घटते वन क्षेत्रफल से अलग देश में बढ़ते वन क्षेत्र पर खुशी व्यक्त की गई।
जागरण संवाददाता, देहरादून: वैश्विक वन संसाधन आकलन-2020 पर आयोजित कार्यशाला में एक तरफ विश्व में घटते वन क्षेत्रफल से अलग देश में बढ़ते वन क्षेत्र पर खुशी व्यक्त की गई, तो दूसरी तरफ वर्ष 2030 की उस पहाड़ जैसी चुनौती पर चिंतन किया गया, जिसके तहत देश को कार्बन डाईऑक्साइड (सीओटू) के उत्सर्जन में 2.5 से 3.0 बिलियन टन की कमी करनी है। कौलागढ़ रोड स्थित भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआइ)में आयोजित फॉरेस्ट एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (एफएओ), युनाइटेड नेशंस की अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए देश के महानिदेशक वन व विशेष सचिव सिद्धांत दास ने इस लक्ष्य को चुनौती बताया। उन्होंने कहा कि इस समय देश के वनों में 25.66 बिलियन टन सीओटू का स्टॉक है। वार्षिक स्टॉक की दर देखी जाए तो यह 0.128 बिलियन टन है। इस तरह वर्ष 2030 तक 1.92 बिलियन टन का स्टॉक संभव है। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जलवायु परिवर्तन के पेरिस समझौते में 2.5 से तीन बिलियन टन तक स्टॉक बढ़ाने या सीओटू सोखने की क्षमता बढ़ाने का वादा कर चुके हैं। इसके लिए कुल भूमि के 33 फीसद हिस्से पर वन होने चाहिए, जबकि वर्तमान में देश में 24 फीसद ही वन क्षेत्र हैं। यानी करीब और नौ फीसद वन भूभाग को बढ़ाना इतनी बड़ी चुनौती है कि इसके लिए पांच मिलियन हेक्टेयर में वनीकरण की जरूरत है। हमारे नोटिफाइड वनों की बदौलत यह लक्ष्य हासिल करना संभव नहीं है। यह तभी हो पाएगा, जब निजी व कृषि भूमि पर वनीकरण को बढ़ावा दिया जाए। ऐसे में निजी भागीदारी को बढ़ाकर लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। हालांकि दूसरी तरफ महानिदेशक ने कहा कि वन संसाधन आकलन 2015 के अनुसार भारत वन क्षेत्र में 10वें स्थान पर है। इससे उम्मीद बढ़ती है कि थोड़ा और प्रयास किए जाएं तो 2030 के लक्ष्य को हासिल कर पाना उतना मुश्किल भी नहीं।