केंद्रीय मंत्री निशंक बोले, हिमालयी बौद्धिक संपदा के संरक्षण और संवर्धन को करें काम

डॉ. रमेश पोखरियाल निशक ने स्मार्ट ईको क्लब की वेबसाइट लॉन्च की। केंद्रीय मंत्री निशांक ने कहा कि यूसर्क राज्य में हिमालयी बौद्धिक संपदा के संरक्षण और संवर्धन के लिए कार्य करेें।

By Edited By: Publish:Sat, 11 Jul 2020 03:01 AM (IST) Updated:Sat, 11 Jul 2020 02:11 PM (IST)
केंद्रीय मंत्री निशंक बोले, हिमालयी बौद्धिक संपदा के संरक्षण और संवर्धन को करें काम
केंद्रीय मंत्री निशंक बोले, हिमालयी बौद्धिक संपदा के संरक्षण और संवर्धन को करें काम

देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान केंद्र (यूसर्क), मैती संस्था और स्पर्श गंगा कार्यक्रम के संयुक्त तत्वावधान में गलवन घाटी में शहीद सैनिकों की याद में राज्य के तेरह जनपदों में शौर्य पौधारोपण अभियान का आयोजन किया गया। इस दौरान वेबिनार के माध्यम से केंद्रीय मानव संसाधन और विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशक ने स्मार्ट ईको क्लब की वेबसाइट लॉन्च की। केंद्रीय मंत्री निशांक ने कहा कि यूसर्क राज्य में हिमालयी बौद्धिक संपदा के संरक्षण और संवर्धन के लिए कार्य करेें। यह कार्य पूरे देश में बौद्धिक संपदा के संवर्धन में संजीवनी के लिए उदाहरण बनेंगे। 

गलवन घाटी में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धाजलि देते निशक ने कहा कि शौर्य पौधारोपण अभियान को पूरे प्रदेश में व्यापक स्तर पर चलाया जाए। स्मार्ट ईको क्लब की वेबसाइट लॉन्च करते हुए उन्होंने कहा कि बच्चों को ग्राम स्तर पर पर्यावरण से जोड़ने के लिए यह कार्यक्रम मील का पत्थर साबित होगा। नई पीढ़ी को प्रकृति और संस्कृति से जोड़ने की प्रेरणा भी उन्होंने दी। 
उन्होंने कहा कि प्रदेश की बारह हजार वन पंचायतों को स्मार्ट ईको क्लब से जोड़कर पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। यूसर्क के निदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने कार्यक्रम का संचालन किया। स्मार्ट इको क्लब के तहत स्मार्ट एनवायरमेंट इंफॉर्मेशमन सिस्टम, फ्रूट फॉर फ्यूचर, पाच पेड़ पीपल, ग्राम गंगा अभियान, मैती अभियान की जानकारी दी।
स्पर्श गंगा कार्यक्रम की राष्ट्रीय संयोजिका आरुषी निशक ने गंगा के स्थायित्व के लिए पौधारोपण में ऐसी प्रजातिया लगाने की अपील की जिससे की गंगा में पानी का स्तर बढ़ सके। मैती आदोलन के जनक पदमश्री कल्याण सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड में ग्रामीण महिलाओं के प्राकृतिक ज्ञान का भरपूर उपयोग करते हुए हिमालयी पर्यावरण जागरूकता और जनसहभागिता केंद्र स्थापित किए जाने की आवश्यकता है। इस मौके पर यूसर्क के वैज्ञानिक डॉ. राजेंद्र सिंह राणा आदि शामिल रहे।
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