वाहनों का धुआं और पेड़ों का कटान, कैसे कम होगा दून का प्रदूषण; पढ़िए खबर
दून में वाहनों का धुआं दिनों-दिन बढ़कर पर्यावरण में जहर घोल रहा है। दूसरी तरफ विकास के नाम पर वर्ष 2000 से 2015 के बीच सरकारी रिकॉर्ड में ही 30 हजार से अधिक पेड़ काटे जा चुके हैं
देहरादून, जेएनएन। देहरादून को देश के उन 122 शहरों में शामिल किया गया है, जहां राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम) के तहत वर्ष 2024 तक वायु प्रदूषण में कमी लाई जानी है। सोचकर अच्छा लगता है, मगर सिर्फ सोचनेभर या रिपोर्ट तैयार कर देने से यह संभव नहीं हो पाएगा। क्योंकि एक तरफ दून में वाहनों का धुआं दिनों-दिन बढ़कर पर्यावरण में 'जहर' घोल रहा है। दूसरी तरफ विकास के नाम पर वर्ष 2000 से 2015 के बीच सरकारी रिकॉर्ड में ही 30 हजार से अधिक पेड़ काटे जा चुके हैं।
यह बात किसी से छिपी नहीं है कि पेड़-पौधे पर्यावरण से कार्बन डाईऑक्साइड जैसी जहरीली गैस सोखकर हमारे लिए प्राणवायु ऑक्सीजन छोड़ देते हैं। साफ है कि पेड़ों की संख्या जिस तरह घटी है, उसी अनुपात में वायुमंडल में प्रदूषण का ग्राफ भी बढ़ा है। वायु प्रदूषण के आंकड़े भी इस बात का गवाह हैं।
वायु प्रदूषण की यह स्थिति न सिर्फ लोगों की सेहत पर भारी पड़ रही है, बल्कि इससे तापमान में भी इजाफा हो रहा है। मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण के ट्रांसपोर्ट प्लानर जगमोहन सिंह की शोध में इस बात का पता चला है कि शहर के 15 किलोमीटर के दायरे में ही तापमान में पांच डिग्री का अंतर रहता है।
इसकी वजह यह है कि कम पेड़ों वाले क्षेत्र में प्रदूषण कण वातावरण में ही घूमते रहते हैं और सूरज की गर्मी को ये कण पकड़ लेते हैं। जिससे गर्मी वापस वायुमंडल में देरी से पहुंच पाती है। ऐसे में इन क्षेत्रों में तापमान अधिक रहता है। लिहाजा, यह स्थिति बताती है कि सिर्फ नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम में दून को लागू करने से कुछ नहीं होगा, बल्कि इसके समाधान को ध्यान में रखते हुए धरातल में काम करना होगा।
वेल्डिंग की दुकान पर दो साल से जल रहा कूड़ा
एक पाठक ने जागरण को वायु प्रदूषण के बड़े कारक कूड़ा जलाने का फोटो मुहैया कराया है। इसके साथ भेजी गई जानकारी में पाठक ने बताया कि शिमला बाईपास रोड पर वन विहार कॉलोनी स्थित एक वेल्डिंग की दुकान (बांके बिहारी पेट्रोल पंप के पास) के बाहर प्लास्टिक वेस्ट व कॉपर वायर से कॉपर निकालने के बाद उसके शेष भाग को जला दिया जाता है। उन्होंने बताया कि कई दफा दुकान संचालक की शिकायत भी की गई, मगर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। यह स्थिति तब है जब कूड़े को इस तरह जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया है।
वर्ष----------काटे गए पेड़
2000----------423
2001----------685
2002----------1056
2003----------435
2004----------454
2005----------689
2006----------542
2007----------4268
2008----------521
2009----------5779
2010----------1670
2011----------3458
2012----------2827
2013----------2284
2014----------4911
2015----------950
पेड़ों के कटान पर अंकुश जरूरी
देहरादून निवासी आशीष द्विवेदी के मुताबिक, चकराता रोड पर बल्लूपुर चौक से लेकर सेलाकुई तक बड़ी संख्या में पेड़ काटे जा रहे हैं। इसी तरह राजपुर रोड पर जाखन व इसके ऊपरी हिस्से में बड़ी तादाद में पेड़ काटे गए हैं। काटे जा रहे पेड़ों की भरपाई किस तरह होगी, यह अधिकारी बता पाने में असमर्थ है। पेड़ों का इस तरह से हो कटान वायु प्रदूषण की दर को बढ़ा रहा है। इस पर अंकुश लगना चाहिए।
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