बिल का पूरा भुगतान नहीं करने पर अस्पताल ने बुजुर्ग को डिस्चार्ज करने से किया मना
बिल का पूरा भुगतान नहीं करने पर श्रीमहंत इंदिरेश अस्पताल से एक बुजुर्ग मरीज को डिस्चार्ज नहीं किया गया। बुजुर्ग के एक स्वजन ने डीजीपी अशोक कुमार को ट्वीट कर मदद की गुहार लगाई। तब पुलिस ने अस्पताल प्रबंधन से बात कर बुजुर्ग को डिस्चार्ज कराया।
जागरण संवाददाता, देहरादून। बिल का पूरा भुगतान नहीं करने पर श्रीमहंत इंदिरेश अस्पताल से एक बुजुर्ग मरीज को डिस्चार्ज नहीं किया गया। बुजुर्ग के एक स्वजन ने डीजीपी अशोक कुमार को ट्वीट कर मदद की गुहार लगाई। तब पटेलनगर कोतवाली पुलिस ने अस्पताल प्रबंधन से बात कर बुजुर्ग को डिस्चार्ज कराया।
देहरादून के पटेलनगर कोतवाली के प्रभारी प्रदीप राणा ने बताया कि मुंबई में रहने वाली चांदनी शर्मा ने शुक्रवार को डीजीपी को ट्वीट कर बताया कि उनके दादा श्रीमहंत इंदिरेश अस्पताल में भर्ती हैं। बिल नहीं चुका पाने के चलते अस्पताल की ओर से उन्हें डिस्चार्ज नहीं किया जा रहा है। डीजीपी ने पटेलनगर कोतवाली प्रभारी को मामले की जांच का आदेश दिया। कोतवाली प्रभारी ने चौकी प्रभारी पूर्णानंद शर्मा को जांच के लिए भेजा। चौकी प्रभारी ने चांदनी शर्मा के भाई करन शर्मा निवासी कैलाशपुर से इस संबंध में फोन पर बात की। बताया गया कि 19 अप्रैल को उन्होंने अपने दादा रामरत्न को स्वास्थ्य खराब होने के चलते अस्पताल में भर्ती कराया था।
21 अप्रैल को उनकी कोरोना जांच की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। 13 मई को उन्हें 1.94 लाख का बिल थमा दादा को डिस्चार्ज करने की बात कही गई। उसने चिकित्सकों के बताए अनुसार इसमें से 1.44 लाख रुपये जमा कर दिए थे। इस संबंध में अस्पताल के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी भूपेंद्र रतूड़ी ने कहा कि ऐसा मामला मेरी जानकारी में नहीं है।
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मृत व्यापारियों के स्वजनों को मिले आर्थिक मदद
दून वैली महानगर उद्योग व्यापार मंडल ने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को पत्र भेजकर कोरोना संक्रमण से मृत व्यापारियों के स्वजनों को आर्थिक मदद देने की मांग की है। शुक्रवार को व्यापार मंडल की वर्चुअल बैठक हुई। बैठक की अध्यक्षता करते हुए व्यापार मंडल के अध्यक्ष पंकज मैसोन ने कहा कि कोविड कर्फ्यू के कारण लगभग 90 फीसद व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद हैं। इस बीच कोरोना संक्रमण के कारण कई व्यापारियों की मौत हो चुकी है। जिससे ऐसे परिवारों पर आर्थिक संकट मंडरा रहा है। कई व्यापारी व उनके स्वजन संक्रमण के बाद अस्पतालों में जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं। उनके इलाज का खर्चा भी सरकार को वहन करना चाहिए।
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