पीआरडी कर्मियों के मानदेय बढ़ोतरी को अभी इंतजार

प्रदेश में प्रांतीय रक्षक दल (पीआरडी) स्वयंसेवकों का मानदेय बढ़ाने के संबंध में अभी तक शासन ने कोई निर्णय नहीं लिया है। माना जा रहा है कि राज्य की वित्तीय स्थिति को देखते हुए इस पर कोई जल्दबाजी करने के पक्ष में शासन नहीं है।

By Sumit KumarEdited By: Publish:Sun, 17 Jan 2021 04:22 PM (IST) Updated:Sun, 17 Jan 2021 09:03 PM (IST)
पीआरडी कर्मियों के मानदेय बढ़ोतरी को अभी इंतजार
प्रांतीय रक्षक दल (पीआरडी) स्वयंसेवकों का मानदेय बढ़ाने के संबंध में अभी तक शासन ने कोई निर्णय नहीं लिया है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून: प्रदेश में प्रांतीय रक्षक दल (पीआरडी) स्वयंसेवकों का मानदेय बढ़ाने के संबंध में अभी तक शासन ने कोई निर्णय नहीं लिया है। माना जा रहा है कि राज्य की वित्तीय स्थिति को देखते हुए इस पर कोई जल्दबाजी करने के पक्ष में शासन नहीं है। यही कारण है कि तकरीबन दो माह पूर्व पत्रावली चलने के बावजूद इस पर अभी तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है।

प्रदेश में इस समय सात हजार से अधिक पीआरडी स्वयंसेवक विभिन्न विभागों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इन्हेंं लिपिक, अनुसेवक व गार्ड के रूप में विभागों में तैनात किया गया है। अभी इन्हेंं प्रतिदिन 500 रुपये मानदेय दिया जाता है। यानी जितने दिन की सेवा, उतने दिन का मानदेय। पहले होमगार्ड और पीआरडी स्वयंसेवकों का मानदेय एक समान था। दोनों को ही 450 रुपये मिलते थे। वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों में होमगार्ड को पुलिस कर्मियों के समान वेतन देने का आदेश दिया था। यह आदेश प्रदेश में दो वर्ष बाद, 2019 में लागू हुआ। इसके तहत होमगार्ड को 600 रुपये मानदेय दिया जाना निश्चित हुआ। मतलब, 30 दिन काम करने के लिए 18 हजार रुपये। यही पुलिस कर्मियों का न्यूनतम वेतन आंका गया था। होमगार्ड का वेतन बढऩे के बाद पीआरडी स्वयंसेवकों ने भी समान अनुपात में मानदेय बढ़ाने की मांग की। इस पर सरकार ने इनका मानदेय बढ़ाकर 500 रुपये कर दिया।

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इस बीच कुछ पीआरडी कर्मियों ने उन्हें भी होमगार्ड के समान ही मानदेय देने की मांग को लेकर कोर्ट की शरण ली। ऐसे में युवा कल्याण विभाग ने सरकार को मानदेय बढ़ाने के संबंध में प्रस्ताव भेजा। यह प्रस्ताव तकरीबन दो माह पूर्व वित्त को भेजा जा चुका है लेकिन इस पर अभी तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है। सूूत्रों की मानें तो अभी वित्त विभाग इसके पक्ष में नहीं है। इसके पीछे कुछ समय पूर्व ही मानदेय बढ़ाने का तर्क भी दिया जा रहा है। वैसे अभी इस पत्रावाली को मुख्यमंत्री कार्यालय के समक्ष रखने की तैयारी है।

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