बेहतर भविष्य की राह में कोरोना रोड़ा, दून में उच्च शिक्षा के अवसर हैं सीमित; होनहार छात्र करते हैं पलायन
देशभर में एजुकेशन हब के रूप में पहचान रखने वाले देहरादून में उच्च शिक्षा के अवसर बेहद सीमित हैं। दून के होनहार इस सच्चाई से हर साल दो-चार होते हैं। यह होनहार बेहतर भविष्य के लिए पलायन कर जाते हैं लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण ने परिस्थितियां बदल दी हैं।
जागरण संवाददाता देहरादून। देशभर में एजुकेशन हब के रूप में पहचान रखने वाले देहरादून में उच्च शिक्षा के अवसर बेहद सीमित हैं। दून के होनहार इस सच्चाई से हर साल दो-चार होते हैं। यह होनहार बेहतर भविष्य के लिए पलायन कर जाते हैं, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण ने परिस्थितियां बदल दी हैं। देश के टाप कालेजों में पढ़ाई के लिए जाने वाले मेधावियों की राह में कोरोना संक्रमण रोड़ा बन गया है। छात्र ही नहीं अभिभावक भी अपने बच्चों को अन्य राज्यों को भेजने से परहेज कर रहे हैं। जबकि पहले दून के सैंकड़ों छात्र-छात्रएं बेंगलुरू, अहमदाबाद, चेन्नई, भोपाल, इलाहाबाद, लखनऊ आदि शहरों में भी दाखिले लेते थे।
उच्च शिक्षा को सामान्यत: दो भाग में बांटा जाता है। व्यावसायिक व पारंपरिक शिक्षा। दून की बात करें, तो राजधानी में हर साल तकरीबन 16 से 20 हजार छात्र-छात्रएं 12वीं पास करते हैं। अब यदि उच्च शिक्षा के विकल्प देखें, तो स्थिति बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती है। खासकर पारंपरिक शिक्षा के क्षेत्र में हालात ऐसे नहीं कि एक चौथाई भी छात्र-छात्रएं दून के कालेजों में खप जाएं। गुणवत्ता तो दूर की बात है। व्यावसायिक क्षेत्र में विकल्प तलाशें तो अधिकांश कालेज व विश्वविद्यालय निजी श्रेणी में हैं। इंजीनियरिंग कालेजों में बीटेक की सीटें अक्सर खाली रहती हैं। मेडिकल क्षेत्र में भी अवसर सीमित हैं। ऐसे भी हालात नहीं कि बच्चा इच्छानुसार अपने करियर को आकार दे सके।
सेंट ज्यूड्स स्कूल की12वीं उत्तीर्ण छात्र आयुषी राठौर को ही ले लीजिए। आयुषी ने परिणाम आने से पहले ही उच्च शिक्षा के लिए बेंगलुरू स्थित विवेकानंद इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी (वीआइटी) में दाखिले के लिए आवेदन की सोची थी, लेकिन कोरोना संक्रमण की संभावित तीसरी लहर से वह अभी आशंकित हैं। इसी स्कूल के मेधावी अमन कुमार व नंदनी शर्मा का कहना है कि वह दिल्ली विश्वविद्यालय से आनर्स की सोच रहे थे, लेकिन स्वजन अभी कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका के चलते प्रदेश से बाहर भेजने को तैयार नहीं हैं। कहा कि दून में गुणवत्तापरक शिक्षा के बेहद सीमित अवसर हैं। यदि छात्र को यहीं विकल्प मिलें, तो वह दिल्ली यूनिवर्सटिी या अन्य जगह क्यों जाएगा। उन्हें तो आनर्स करना है। जिसके लिए दिल्ली विश्वविद्यालय बेस्ट विकल्प है।
दून कैंब्रिज स्कूल के छात्र अभिषेक ठाकुर कहते हैं कि दून की पहचान एजुकेशन हब के तौर पर है, लेकिन यह दायरा महज स्कूली शिक्षा तक ही सिमटा है। इसी स्कूल के छात्र सूर्य प्रताप सिंह ठाकुरका कहना है कि दून में इस तरह के विकल्प ही नहीं हैं कि कोई छात्र इच्छानुसार करियर तलाश सके। टचवुड स्कूल की मेधावी सुधांशी कोठारी, नेत्र वर्मा और इंतजार आलम का कहना है कि वह आगे की उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली व देश के अन्य बड़े शहरों के टाप कालेज में दाखिला लेना चाहते थे, लेकिन कोरोना संक्रमण की संभावित तीसरी लहर के कारण स्वजन प्रदेश से बाहर भेजने को लेकर आशंकित हैं। अक्टूबर से पहले हर हाल में दाखिला लेना होगा।
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