खाद्य तेल की बढ़ी कीमतें आम आदमी की जेब पर भारी

विकासनगर खाद्य तेलों के दाम में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी से मध्यम से लेकर उच्च वर्ग के लोग परेशान हैं। बढ़ी कीमतों के चलते अधिकांश घरों में रसोई का बजट बिगड़ रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 07:32 PM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 07:32 PM (IST)
खाद्य तेल की बढ़ी कीमतें आम आदमी की जेब पर भारी
खाद्य तेल की बढ़ी कीमतें आम आदमी की जेब पर भारी

संवाद सहयोगी, विकासनगर: खाद्य तेलों के दाम में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी से मध्यम से लेकर उच्च वर्ग तक के रसोई का बजट बिगड़ रहा है। पांच महीने के अंतराल में कीमतों में ऊंची छलांग के कारण रसोई चलाने में हर परिवार के सामने कठिनाई उत्पन्न हो रही है। उधर, व्यापारी वर्ग की मानें तो अभी तेल की बढ़ती कीमतों में किसी प्रकार की कमी आने की उम्मीद भी दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रही है।

पकवान चाहे किसी भी तरह के हों अधिकांश में खाद्य तेलों की आवश्यकता होती है, जिसकी कीमतें आसमान छू रही हैं। पांच महीने पहले 90 या 95 रुपये प्रति लीटर बिकने वाला सरसों का तेल व रिफाईंड फिल्हाल बाजार में 140 से 165 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है। इसके अलावा ऊंची ब्रांडेड कंपनियों के खाद्य तेल इससे भी अधिक कीमत पर हैं। नगर के खाद्य सामग्री विक्रय करने वाले व्यापारी कुंवर सिंह, अमिताभ अनिरुद्ध, मनोज अग्रवाल का कहना है कि खाद्य तेलों में जिस प्रकार की तेजी देखने में आ रही है, वैसी स्थिति पहले कभी नहीं देखी गई है। खाद्य सामग्री की कीमत आमतौर पर बढ़ती रहती हैं, लेकिन फसल आने के साथ ही कीमतें पुराने रेट या उससे एक दो रुपया अधिक तक सीमित रहती हैं। परंतु खाद्य तेलों में जिस प्रकार की स्थिति बन रही उससे आने वाले समय में भी कीमतों में कुछ खास कमी आने की संभावना दिखाई नहीं दे रही है।

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सरसों की फसल आने के बाद भी नहीं पड़ रहा फर्क

विकासनगर: सरसों की पैदावार मुख्य रूप से राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब और उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में होती है। सरसों की कटाई इन सभी प्रदेशों में हो चुकी है। पूर्व के दिनों में सरसों की फसल कटने के बाद तेल की कीमत काफी नीचे आ जाती थी, लेकिन इस बार कीमत में किसी प्रकार की कमी देखने में नहीं आ रही है। व्यापारी संजय जैन, प्रदीप महावर का कहना है कि खाद्य तेलों में काम आने वाली सोयाबीन दूसरे देशों से आयात की जाती है। सोयाबीन की कीमत इस बार कम नहीं हुई है, जिसका प्रभाव सरसों की फसल पर भी पड़ा है। उनका कहना है कि खाद्य तेलों की कीमत के मामले में सरकार को दखल देना चाहिए।

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रेहड़ी, ठेली के व्यापारी भी अधिक कीमत से हैं परेशान

विकासनगर: खाद्य तेल की बढ़ी कीमतों से बाजारों और गली मोहल्लों में रेहड़ी-ठेली पर खाने का सामान बनाकर बेचने वाले भी मुश्किल में आ गए हैं। चाट, बर्गर, टिक्की, चाऊमीन, जलेबी, मिठाई, बंद-समोसे, स्प्रिंग रोल, आमलेट, फिश फ्राई, चिकन फ्राई, फ्रेंच फ्राई, फ्राइड राइस, मैकरोनी आदि बनाने में खाद्य तेलों का ही प्रयोग बड़ी मात्रा में किया जाता है। इसके साथ ही मसालों के रेट भी बढ़े हैं। ऐसे छोटे व्यापारियों के सामने संकट यह है कि वह महंगा तेल व मसाले खरीदने के बाद भी अपने सामान की कीमत नहीं बढ़ा सकते हैं। इस प्रकार के कारोबार से जुड़े नर बहादुर मल्ल, मनीष, संजय, नंदू का कहना है कि तेल की खरीद के हिसाब से वह अपने सामान की कीमत बढ़ाते हैं तो उनकी बिक्री कम हो जाएगी, जिससे उन्हें काफी नुकसान होगा। लेकिन यदि पुरानी कीमत पर ही कारोबार करते हैं तो उनका मुनाफा कम होता है। उनका कहना है कि तेल की बढ़ी कीमतों ने उनकी परेशानी को बढ़ा दिया है।

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