उत्तराखंड में बनेगी हाईटेक नर्सरी, पौधों की बेहतर गुणवत्ता और संकटग्रस्त प्रजातियों का संरक्षण भी
निकट भविष्य में न सिर्फ अच्छी गुणवत्ता वाले पौधों का रोपण होगा बल्कि संकटग्रस्त श्रेणी वाली वृक्ष और पादप प्रजातियों का संरक्षण भी होगा। इसके लिए वन विभाग की अनुसंधान विंग ने हाईटेक नर्सरी पर फोकस किया है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। Hi Tech Nursery उत्तराखंड में अब निकट भविष्य में न सिर्फ अच्छी गुणवत्ता वाले पौधों का रोपण होगा, बल्कि संकटग्रस्त श्रेणी वाली वृक्ष और पादप प्रजातियों का संरक्षण भी होगा। इसके लिए वन विभाग की अनुसंधान विंग ने हाईटेक नर्सरी पर फोकस किया है। वर्तमान में अनुसंधान विंग गढ़वाल मंडल के अंतर्गत गोपेश्वर क्षेत्र में हाईटेक नर्सरी तैयार करने में जुटी है। इसके साथ ही विंग के अधीन ऐसी नर्सरियों की संख्या बढ़कर छह हो गई है। इन नर्सरियों में पालीहाउस, ग्रीनहाउस, वर्मी कंपोस्ट आदि की आधुनिक तकनीकी का उपयोग किया जा रहा है तो अच्छी गुणवत्ता की पौध तैयार करने के मद्देनजर निरंतर शोध भी चल रहे हैं।
पौधारोपण के लिहाज से देखें तो उत्तराखंड में प्रतिवर्ष डेढ़ से दो करोड़ पौधे अकेले वन क्षेत्रों में ही लगाए जाते हैं। इनमें से कितने जीवित रहते हैं, इससे हर कोई वाकिफ है। पौधों के जीवित न रहने के पीछे एक बड़ी वजह पौध का बेहतर गुणवत्ता का न होना भी रहा है, लेकिन अब आने वाले दिनों में यह दिक्कत दूर हो जाएगी। वन विभाग की अनुसंधान विंग ने राज्य में हल्द्वानी, रानीखेत, श्यामपुर, लालकुंआ, मुनस्यारी और अब गोपश्वर में हाईटेक नर्सरियां स्थापित की हैं।
इन नर्सरियों में औषधीय समेत अन्य प्रजातियों की पौध आधुनिक तरीके से तैयार की जा रही है। साथ ही वहां संकटग्रस्त प्रजातियां संरक्षित कर उनकी पौध भी तैयार की जा रही है, ताकि इनका संबंधित क्षेत्रों में रोपण हो सके। मुख्य वन संरक्षक अनुसंधान वृत्त संजीव चतुर्वेदी बताते हैं कि नर्सरियों में पौधे तैयार करने को नई तकनीक भी विकसित की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि कुछ पौधे कलम, कुछ बीज से तो कुछ क्लोन से तैयार होते हैं। नई तकनीकी के मानक भी तय किए जा रहे हैं, ताकि कम समय में अच्छी गुणवत्ता के पौधे तैयार किए जा सकें। आइएफएस चतुर्वेदी के अनुसार अनुसंधान वृत्त के अधीन संचालित नर्सरियां जैव विविधता के संरक्षण के लिहाज से भी महत्वपूर्ण हैं।
अनुसंधान विंग की नर्सरियां
स्थान, विशेषता
हल्द्वानी: औषधीय और जलीय पौधे
रानीखेत: मध्य हिमालयी क्षेत्र की प्रजातियां
गोपेश्वर: आर्किड और औषधीय प्रजातियां
श्यामपुर: नदी किनारे की प्रजातियां
लालकुंआ: औषधीय महत्व के पौधे
मुनस्यारी: थुनेर समेत अन्य प्रजातियां
यह भी पढ़ें- Valley of Flowers: फूलों का अद्भुद संसार पर्यटकों को खींच रहा अपनी ओर, दस हजार पार पहुंचा आंकड़ा