जरूरतमंदों की मदद कर व्यवस्था को आइना दिखा रहे कई संगठन
चकराता जौनसार-बावर के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में कोरोनाकाल में स्वास्थ्य सेवा से बेहाल मरीजों को आवश्यक सुविधा उपलब्ध कराने उतरे सामाजिक संगठन व्यवस्था को आइना दिखा रहे हैं।
संवाद सूत्र, चकराता: जौनसार-बावर के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में कोरोनाकाल में स्वास्थ्य सेवा से बेहाल ग्रामीणों की मदद को कुछ सामाजिक संगठन आगे आए हैं। तंत्र की उदासीनता से जौनसार-बावर के सीमांत गांवों में बसे सैकड़ों बीमार व्यक्तियों तक सरकार की दवाएं नहीं पहुंच पा रही है। संकट के इस दौर में ग्रामीणों की समस्या देख सामाजिक संगठनों ने व्यवस्था को आइना दिखाने का काम किया है। इसमें लोक पंचायत, जौनसार-बावर जनजातीय कल्याण समिति दिल्ली, जौनसार-बावर सेवारत कर्मचारी मंडल देहरादून, डिजिटल सारथी व नवक्रांति स्वराज मोर्चा समेत कुछ अन्य समाजसेवियों ने मदद को हाथ बढ़ाया है। इनमें कुछ सामाजिक संगठनों ने क्षेत्र के स्वास्थ्य केंद्रों को और लोक पंचायत ने ग्रामीण इलाकों में मरीजों के लिए मेडिकल किट उपलब्ध कराई है। इनकी पहल से घरों में रह रहे सामान्य रोग से पीड़ित मरीजों को कुछ हद तक राहत मिली है।
लोक पंचायत के वरिष्ठ सदस्य भारत चौहान, प्रेम सिंह नेगी, सुनील चौहान, जवाहर सिंह राणा और गजेंद्र जोशी आदि ने कहा कि मौसम परिवर्तन के चलते क्षेत्र के सीमांत गांवों में बड़ी संख्या में लोग सर्दी, जुकाम, बुखार, खांसी रोग से पीड़ित है। सामान्य बीमारी से पीड़ित मरीजों तक दवाइयां पहुंचाने को लोक पंचायत के सदस्यों ने अपने संसाधनों से निश्शुल्क तीन सौ मेडिकल किट क्षेत्र के 11 गांवों में वितरित की। इसके अलावा 17 सौ मेडिकल किट अन्य गांवों में पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है। लोक पंचायत ने कोरोना संक्रमित मरीजों की स्वास्थ्य सेवा को आक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराने और बीमार व्यक्ति की मौत होने पर उसके अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी की व्यवस्था की है। इसी तरह जौनसार-बावर जनजातीय कल्याण समिति दिल्ली के सचिव आदित्य जोशी ने कहा कि कोरोनाकाल में ग्रामीणों की स्वास्थ्य सेवा को समिति ने जौनसार-बावर के 25 स्वास्थ्य केंद्रों को मेडिकल किट, आवश्यक उपकरण, मास्क-सैनिटाइजर आदि सामान काफी मात्रा में उपलब्ध कराया है। डिजिटल सारथी के संयोजक अभिनव रावत, सह संयोजक महावीर रावत, संजय तोमर व रमेश डोभाल ने संस्था की ओर से सीएचसी चकराता, पीएचसी क्वांसी, एसएडी कोटी-कनासर, दसऊ, हाजा, मैरावना, भटाड़, बागी, कोरवा, बुल्हाड़, पीएचसी मानथात, त्यूणी व अटाल केंद्र को आक्सीजन कैन, मास्क, फेस शील्ड समेत अन्य सामान उपलब्ध कराया है। जौनासार-बावर सेवारत कर्मचारी मंडल के पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष काशीराम जोशी ने स्थानीय सेवारत कर्मियों के सहयोग से गांवों में मरीजों तक दवा उपलब्ध कराने की पहल की है।
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तैनाती पहाड़ में वेतन उठा रहे शहरों से
चकराता: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से आमजन बेहाल है। ऐसे में सबसे ज्यादा परेशानी पहाड़ के दुर्गम इलाकों में बसे सामान्य रोग से पीड़ित सैकड़ों मरीजों को झेलनी पड़ रही है, जिनकी सुध लेना वाला कोई नहीं है। जनजाति क्षेत्र जौनसार-बावर के ग्रामीण इलाकों में तो स्वास्थ्य सेवा का ज्यादा बुरा हाल है। सरकार ने ग्रामीण जनता की स्वास्थ्य सेवा को त्यूणी, चकराता, साहिया और कालसी में चार बड़े राजकीय अस्पताल और दर्जनों की संख्या में स्वास्थ्य उपकेंद्र खोले हैं। सही मायने में देखें तो करोड़ों के बजट से बने इन स्वास्थ्य केंद्रों का लाभ स्थानीय जनता को मुसीबत के समय नहीं मिल पा रहा। कोरोनाकाल में इन स्वास्थ्य केंद्रों की बदहाली खुल कर सामने आ गई। हैरत देखिए क्षेत्र के अधिकांश स्वास्थ्य केंद्रों में तैनात कई स्वास्थ्य कर्मी पहाड़ में सेवाएं देने के बजाये देहरादून और आसपास के सुविधाजनक शहरी क्षेत्र में अटैचमेंट पर आराम की नौकरी कर रहे हैं, जबकि इनका वेतन जौनसार के स्वास्थ्य केंद्रों से निकल रहा है। जिम्मेदारों की अनदेखी व तंत्र की उदासीनता का खामियाजा भुगत रहे क्षेत्र के सैकड़ों ग्रामीण मरीजों की मदद को कुछ सामाजिक संगठन आगे आए हैं। नवक्रांति स्वराज मोर्चा के प्रदेश संयोजक एडवोकेट गंभीर सिंह चौहान ने जिलाधिकारी और मुख्य चिकित्साधिकारी को पत्र प्रेषित कर क्षेत्र की बदहाल स्वास्थ्य सेवा से अवगत कराया। कहा कि क्षेत्र के कई केंद्रों में तैनात चिकित्सक, फार्मेसिस्ट और अन्य स्टाफ कर्मी पहाड़ में सेवाएं देने के बजाये शहरों में अटैचमेंट व्यवस्था पर मजे की नौकरी कर रहे हैं। इससे क्षेत्र में सैकड़ों मरीजों को संकट के इस दौर में प्राथमिक उपचार तक नहीं मिल पा रहा।