Uttarakhand Weather Update News: उत्तराखंड में बारिश से जनजीवन प्रभावित, अगले पांच दिन सात जिलों भारी बारिश के आसार
उत्तराखंड में गुजरे 48 घंटे से हो रही बारिश से जनजीवन प्रभावित हुआ। शहर से लेकर गांवों तक दुश्वारियां बढ़ी हैं। चारधाम यात्रा मार्गों के साथ ही करीब 200 संपर्क मार्ग बारिश और भूस्खलन की वजह से बाधित रहे। इनमें से कुछ पर शाम के वक्त यातायात सुचारु हो गया।
जागरण टीम, देहरादून। उत्तराखंड में गुजरे 48 घंटे से हो रही बारिश से जनजीवन प्रभावित हुआ है। शहर से लेकर गांवों तक दुश्वारियां बढ़ी हैं। चारधाम यात्रा मार्गों के साथ ही करीब 200 संपर्क मार्ग बारिश और भूस्खलन की वजह से बाधित रहे। इनमें से कुछ पर शाम के वक्त यातायात सुचारु हो गया। संपर्क मार्ग टूटने से ग्रामीण अंचलों में आवागमन में दिक्कतें पेश आ रही हैं। इन्हें खोलने के प्रयास जारी हैं। वहीं, मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक डा. बिक्रम सिंह के मुताबिक अगले पांच दिनों में देहरादून, उत्तरकाशी, टिहरी, पौड़ी, नैनीताल, बागेश्वर और पिथौरागढ़ में भारी बारिश होने के आसार हैं।
राज्य में 50 से अधिक गांवों में बिजली, पानी की आपूर्ति और संचार नेटवर्क प्रभावित हो रखा है। नदी-नाले उफान पर हैं, हरिद्वार और ऋषिकेश में गंगा चेतावनी रेखा के करीब बह रही है। आसपास की आबादी को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया गया है। कैम्पटी फाल में उफान को देखते हुए सुरक्षा की दृष्टि से पर्यटकों को वहां नहीं जाने दिया जा रहा है। मौमस विज्ञान केंद्र से जारी बुलेटिन के अनुसार अभी मौसम को मिजाज कुछ दिए ऐसा ही बना रहेगा।
चारधाम समेत कई हाईवे घंटों अवरुद्ध
बदरीनाथ हाईवे रुदप्रयाग और चमोली जिले में भूस्खलन की वजह से रात बाधित हो गया था। कुछ स्थानों पर दोपहर बाद यातयात सुचारु हो गया था, रुद्रप्रयाग क्षेत्र शाम पांच बजे अवरुद्ध मार्ग खोला जा सका। केदारनाथ हाईवे को पूर्वाह्न आवाजाही के लिए खोल दिया गया था। गंगोत्री मार्ग उत्तरकाशी जिले में अभी भी पांच स्थानों पर और यमुनोत्री एक स्थान पर बाधित है। प्रदेशभर में 200 से ज्यादा संपर्क और इतने ही पैदल मार्ग बारिश से क्षतिग्रस्त हो गए। इन्हें दुरुस्त किया जा रहा है। पिथौरागढ़ जिले में टनकपुर-तवाघाट हाईवे पर जौलजीबी के निकट मलबा आने से सात घंटे अवरुद्ध रहा।
खतरे की जद में कई भवन
उत्तरकाशी, नई टिहरी, चमोली, बागेश्वर में एक जूनियर हाईस्कूल समेत कई आवासीय भवन भूस्खलन और भू-कटाव के चलते खतरे की जद में आ गए हैं। जिला प्रशासन ने इनमें से कुछ परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया है।
नदी-नाले उफान पर
पहाड़ों पर हो रही बारिश के कारण नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है। हरिद्वार में चेतावनी रेखा 293 मीटर से तीन मीटर नीचे बह रही है। मंदाकिनी, अलकनंदा, पिंडर और सरयू और इनकी सहायक नदियां उफान पर हैं। बाढ़ चौकियों को सतर्क किया गया है। मसूरी के निकटवर्ती कैम्पटी फॉल के उफान को देखते हुए पर्यटकों के वहां जाने पर फिलहाल रोक लगा दी गई है।
मसूरी में सबसे अधिक बारिश
चौबीस घंटे के अंतराल में प्रदेश में 98 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है। इसमें सर्वाधिक बारिश मसूरी में 162.8 मिलीमीटर और सबसे कम बारिश लोहाघाट में 40 मिमी हुई।
विद्युत उत्पादन प्रभावित
बारिश के कारण नदियों में गाद (सिल्ट) आने से पावर हाउसों में टरबाइनों की गति धीमी पड़ी। इसका उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ा। कुल विद्युत क्षमता के मुकाबले एक चौथाई उत्पादन ही हो पाया।
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