पश्चिमी विक्षोभ और निम्न दबाव क्षेत्र बनने से भारी वर्षा के आसार, वर्ष 2013 में भी इसी तरह के बने थे हालात

उत्तराखंड में मजबूत पश्चिमी विक्षोभ और निम्न दबाव क्षेत्र बनने के कारण आज और कल को भारी से अत्यंत भारी बारिश होने के आसार हैं। इसको लेकर मौसम विभाग ने रेड अलर्ट जारी किया है। वर्ष 2013 में भी इसी तरह के हालात बने थे।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 12:18 PM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 12:18 PM (IST)
पश्चिमी विक्षोभ और निम्न दबाव क्षेत्र बनने से भारी वर्षा के आसार, वर्ष 2013 में भी इसी तरह के बने थे हालात
पश्चिमी विक्षोभ और निम्न दबाव क्षेत्र बनने के कारण उत्तराखंड में भारी से अत्यंत भारी बारिश होने के आसार हैं।

जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड में मौसम ने करवट बदल ली है। अचानक बदली परिस्थितियों ने आपदा का खतरा पैदा कर दिया है। मजबूत पश्चिमी विक्षोभ और निम्न दबाव क्षेत्र बनने के कारण उत्तराखंड में सोमवार और मंगलवार को भारी से अत्यंत भारी बारिश होने के आसार हैं। इसको लेकर मौसम विभाग ने रेड अलर्ट भी जारी किया है। वर्ष 2013 में भी इसी तरह के हालात बने थे। तब उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में बारिश आपदा का कारण बनी थी। मौसम विभाग की चेतावनी को देखते हुए प्रशासन ने आपदा प्रबंधन समेत तमाम संबंधित महकमों को सतर्क किया है। विद्यालयों में अवकाश घोषित करने के साथ ही नागरिकों से घरों में ही रहने की अपील की गई है।

राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के मुताबिक, अरब सागर की ओर से सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ के उत्तराखंड पहुंचने और मजबूत रूप धारण करने के कारण मौसम के तेवर तल्ख हो गए हैं। साथ ही वायुमंडल में बने एक निम्न दबाव क्षेत्र के भी उत्तराखंड के ऊपर से गुजरने के कारण भारी से अत्यंत भारी बारिश की आशंका बढ़ गई है। उन्होंने बताया कि सोमवार तड़के से मंगलवार शाम तक भारी बारिश का क्रम रह सकता है। इसका सबसे ज्यादा असर समूचे कुमाऊं क्षेत्र और उससे सटे गढ़वाल के क्षेत्रों में पड़ सकता है। इस दौरान विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है।

40 घंटे के लिए ट्रैकिंग रूट बंद

मौसम विभाग की ओर से अगले दो दिन भारी से भारी बारिश की चेतावनी जारी किए जाने के बाद प्रदेश में वन विभाग ने भी ट्रैकिंग रूट बंद कर दिए हैं। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग ने सभी वन प्रभागों को निर्देश दिए हैं कि अगले 48 घंटे तक किसी प्रकार की पर्यटन गतिविधि संचालित न की जाए। मौसम बिगडऩे से संरक्षित वन क्षेत्रों और ट्रैकिंग रूट पर खतरा पैदा हो सकता है।

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