उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं सुधरने की जगी उम्मीद, आमजन को मिल सकेगी राहत

उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों में भी दस्तक देने से हर किसी की चिंता बढ़ गई है। इसे देखते हुए राज्य सरकार कोरोना संक्रमण की रोकथाम के प्रयासों में जुटी है। साथ ही सरकार ने इससे सबक भी लिया है।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 05:04 PM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 05:04 PM (IST)
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं सुधरने की जगी उम्मीद, आमजन को मिल सकेगी राहत
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं सुधरने की जगी उम्मीद।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों में भी दस्तक देने से हर किसी की चिंता बढ़ गई है। इसे देखते हुए राज्य सरकार कोरोना संक्रमण की रोकथाम के प्रयासों में जुटी है। साथ ही सरकार ने इससे सबक भी लिया है। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सभी 70 विधायकों के लिए उनकी विधायक निधि की चालू वित्तीय वर्ष की प्रथम किस्त जारी करने के साथ ही इस निधि से एक करोड़ रुपये तक की राशि कोविड संबंधी कार्यों पर खर्च करने की अनुमति दी है। ऐसे में उम्मीद जगी है कि अब पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं सुधरेंगी, जिससे जनसामान्य को राहत मिल सकेगी।

राज्य के मैदानी व शहरी क्षेत्रों में तो स्वास्थ्य सुविधाएं ठीकठाक हैं, मगर पर्वतीय इलाकों की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। ऐसा नहीं है कि वहां ग्रामीण बाजारों और ब्लाक स्तर पर अस्पताल न हों। सरकारी स्तर पर वहां प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं, मगर चिकित्सकों व मेडिकल स्टाफ की कमी, दवाओं व उपकरणों के अभाव के कारण ये अस्पताल सिर्फ रेफरल सेंटर तक सीमित होकर रह गए हैं। छोटी-छोटी बीमारियों के उपचार के लिए भी ग्रामीणों को शहरी क्षेत्रों की दौड़ लगानी पड़ती है। यही वजह भी है कि पर्वतीय क्षेत्रों में कोविड के प्रसार से सरकार की चिंता बढ़ा दी है।

इस सबको देखते हुए सरकार ने अब विधायकों को भी जिम्मेदारी सौंपी है। उन्हें मिलने वाली विधायक निधि की एक करोड़ तक की धनराशि कोविड संबंधी कार्यों पर खर्च करने की अनुमति दी गई है। यानी, वे क्षेत्र के प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और अन्य सरकारी अस्पतालों व कोविड केयर सेंटर में कोविड की रोकथाम के मद्देनजर आवश्यक उपकरण, दवा आदि का इंतजाम करा सकते हैं। यह वर्तमान की सबसे बड़ी जरूरत भी है।

विधायकों ने इस दिशा में कदम भी उठाने शुरू कर दिए हैं। ऐसे में उम्मीद जगी है कि अब राज्य के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य सेवाओं में कुछ सुधार आएगा। इससे कोविड से बचाव में तो मदद मिलेगी ही, भविष्य के लिए भी सुविधाएं बढ़ सकेंगी। इसके साथ ही विधायकों को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, उद्योग जगत से भी इस मामले में सीएसआर फंड के तहत मदद लेने का प्रयास करना चाहिए। आखिर, सवाल पर्वतीय क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार का जो है।

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