स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल, अस्पतालों में नहीं हैं सुविधाएं

उत्तराखंड में स्वास्थ्य स्वाओं का बुरा हाल है। डेंगू के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। साथ ही चिकित्सकों की कमी भी बनी हुई है।

By BhanuEdited By: Publish:Tue, 25 Sep 2018 10:23 AM (IST) Updated:Tue, 25 Sep 2018 10:23 AM (IST)
स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल, अस्पतालों में नहीं हैं सुविधाएं
स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल, अस्पतालों में नहीं हैं सुविधाएं

देहरादून, [जेएनएन]: उत्तराखंड में स्वास्थ्य स्वाओं का बुरा हाल है। डेंगू के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। साथ ही चिकित्सकों की कमी भी बनी हुई है। ऐसे में स्वास्थ्य स्वाओं का मुद्दा विधानसभा के मानसून सत्र में भी छाया रहा। 

प्रदेश में पंद्रह और मरीजों में डेंगू की पुष्टि

डेंगू का डंक कमजोर होता नहीं दिख रहा है। बल्कि इस बीमारी के अब हर रोज नए मामले सामने आ रहे हैं। जिससे मरीजों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। 

प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 15 और मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। जबकि अब तक 137 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है। इसके अलावा एक मरीज की मौत भी हो चुकी है। 

मौसम का मिजाज लगातार बदल रहा है। कभी तेज चटख धूप खिल रही है और कभी मूसलाधर बारिश। इस बीच जगह-जगह जलभराव भी हो रहा है। ये परिस्थितियां मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल बन गई हैं। स्वास्थ्य विभाग यह दावा करता रहा कि डेंगू से बचाव को काफी पहले अभियान छेड़ दिया गया था। 

संभावित क्षेत्रों में दवा का छिड़काव व फॉगिंग आदि कराई गई। पर इस सबके बावजूद डेंगू का मच्छर अपना असर दिखा रहा है। प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार देहरादून में सात, हरिद्वार में पांच व टिहरी गढ़वाल में तीन मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। 

जनवरी से अब तक की बात करें तो सर्वाधिक 49 मामले हरिद्वार में सामने आए हैं। इसके अलावा देहरादून में 35 व टिहरी गढ़वाल में 32 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। नैनीताल में कुल 13, पौड़ी गढ़वाल में दो, ऊधमसिंहनगर में 4 और अल्मोड़ा में दो मरीज सामने आए हैं। जानकार मान रहे हैं कि मौसम में ठंडक आने तक डेंगू का प्रकोप जारी रहेगा। 

किसी भी अस्पताल में हेपेटाइटिस-सी की सुविधा नहीं

सरकार ने स्वीकारा है कि प्रदेश के किसी भी राजकीय चिकित्सालय में हेपेटाइटिस-सी के उपचार की सुविधा उपलब्ध नहीं है। इससे मरीजों को निजी अस्पतालों में महंगा इलाज कराना पड़ रहा है। सरकार का कहना है कि आयुष्मान भारत योजना के 1350 पैकेजों में एक्यूट हेपेटाइटिस को भी शामिल किया गया है। इससे निकट भविष्य में इस बीमारी से ग्रस्त मरीजों को उचित इलाज मिल सकेगा। 

वहीं, इस बीमारी से किसी कि मौत की जानकारी न होने के संबंध में सरकार की ओर से दिए गए जवाब को भाजपा विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन ने गलत बताया। उन्होंने अपने क्षेत्र के तीन लोगों का नाम लेते हुए कहा कि इनकी मृत्यु हेपेटाइटिस-सी से हुई है। 

उन्होंने मांग की कि जिसने भी यह गलत सूचना दी है, सरकार को उस पर कार्रवाई करनी चाहिए। मंगलवार को सदन में विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन और ममता राकेश ने इस मसले को उठाया। सरकार की ओर से जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि हरिद्वार में थेलेसीमिया के एक मरीज को हेपेटाइटिस-सी होने की सूचना प्राप्त हुई है। संभवतया खून चढ़ाते हुए ऐसा हुआ होगा। 

उन्होंने कहा कि हरिद्वार में परीक्षण के दौरान 65 लोगों को हेपेटाइटिस-सी होने की पुष्टि हुई है। खानपुर में हेपेटाइटिस-सी से किसी की मृत्यु की जानकारी होने से सरकार के इन्कार पर विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन ने इसे गलत बताया। उन्होंने कहा कि उनके क्षेत्र में तीन लोगों की मृत्यु हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार आयुष्मान भारत योजना में इसका मुफ्त इलाज करने की बात कह रही है, जबकि मरीजों को इलाज की जरूरत अभी है। 

संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि जिन सरकारी अस्पतालों में रक्तकोष स्थापित हैं वहां रक्तदान से पूर्व मरीजों की हेपेटाइटिस-सी, हेपेटाइटिस-बी,एचआइवी, सिफलिस व मलेरिया की जांच आवश्यक रूप से की जाती है। 

चैंपियन ने कसा सरकार पर तंज 

कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि सरकार ने कहा कि यह लोक कल्याणकारी सरकार है। यदि ऐसा है तो उनके द्वारा दो माह पूर्व क्षेत्र में हेपेटाइटिस-सी के होने की जानकारी दी गई थी। अभी तक वहां कोई टीम जांच के लिए नहीं पहुंची है। पिछली सरकार में भी उनके क्षेत्र में ऐसा हुआ था, तब वहां टीम भी आई थी और रोगियों का परीक्षण भी किया गया था। उन्होंने सरकारी अस्पतालों पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसका इलाज की गलत किया जा रहा है। उन्होंने मामले में पूरा जवाब न आने की बात कहते हुए आपत्ति भी जताई।

इन्हें ही बना दो स्वास्थ्य मंत्री 

जब विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन अपनी ही सरकार को निशाने पर ले रहे थे, उस दौरान नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने चुटकी ली। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल में दो पद खाली चल रहे हैं। इन्हें ही स्वास्थ्य मंत्री बना दिया जाए तो कुछ गलत नहीं होगा।

सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी

प्रदेश सरकार ने माना कि राज्य के सरकारी अस्पतालों में स्पेशलिस्ट और सुपर स्पेशलिस्ट चिकित्सकों को लेकर थोड़ी दिक्कत है। मानसून सत्र के अंतिम दिन विधायक मनोज रावत की ओर से नियम-58 के तहत स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर उठाए गए मामले का जवाब देते हुए संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत ने यह बात कही। 

उन्होंने कहा कि इस कमी को दूर करने के लिए प्रयास जारी हैं। कैबिनेट मंत्री पंत ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं की दशा सुधारने के लिए पिछले 18 सालों में अवस्थापना व मूलभूत सुविधाओं की दिशा में काफी प्रगति हुई है। बावजूद इसके दबाव अभी कम नहीं हुआ है। 

उन्होंने यह भी बताया कि 138 नियमित असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति के संबंध में प्रस्ताव चिकित्सा चयन बोर्ड को भेजा गया है। इसके बाद व्यवस्थाएं बेहतर होंगी। संविदा पर भी नियुक्ति को विज्ञप्ति जारी की गई है। उन्होंने कहा कि सरकार प्राथमिकता के आधार पर व्यवस्थाओं को दुरुस्त कर रही है। 

उन्होंने 108 सेवा के संबंध में भी सदन को जानकारी दी। नेता प्रतिपक्ष डॉ. हृदयेश ने हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में न्यूरो सर्जन न होने और चिकित्सकों के वेतन में बढ़ोतरी न होने के मसले रखे। कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं के निदान के लिए सरकार को गंभीरता से कदम उठाने होंगे।

लाइफ सपोर्ट सिस्टम से लैस होंगी 61 एंबुलेंस 

विधायक ममता राकेश ने स्वास्थ्य निदेशालय में 61 एंबुलेंस खड़ी रहने और खुशियों की सवारी वाहनों को भुगतान न होने के मामले नियम 58 में उठाए। इस पर जवाब देते हुए कैबिनेट मंत्री पंत ने कहा कि 108 सेवा के बेड़े में शामिल 10 साल पुरानी एंबुलेंस बदली जा रही हैं। जहां तक 61 एंबुलेंस का सवाल है तो इन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम से लैस किया जा रहा है। इसमें थोड़ा वक्त लगता है। यही नहीं, 18 एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम से लैस वाहन भी दिए जा रहे हैं। खुशियों की सवारी के लिए 2.30 करोड़ जारी कर दिए गए हैं। 

71 हजार 306 परिवारों को 'आयुष्मान' का सुरक्षा कवच

अटल आयुष्मान स्वास्थ्य योजना के तहत जनपद देहरादून में 71 हजार 306 लाभार्थियों को लाभ मिलेगा। जिनका चयन वर्ष 2011 की आर्थिक-सामाजिक जनगणना के आधार पर किया गया है। हालांकि दूसरे चरण में लाभार्थी परिवारों की संख्या बढ़ेगी। 

विभागीय अधिकारियों के अनुसार जनपद में शहरी क्षेत्र में 36 हजार 673 लाभार्थी और ग्रामीण क्षेत्र में 34 हजार 633 परिवारों को इस योजना में शामिल किया गया है। प्रथम चरण का सर्वेक्षण पूर्ण किया जा चुका है। योजना के लाभार्थियों के गोल्डन कार्ड बनाए जा रहे हैं। कार्ड में लाभार्थी परिवार का पूरा विवरण अंकित है। इसी कार्ड के आधार पर उन्हें अटल आयुष्मान स्वास्थ्य योजना का लाभ मिलेगा। 

कार्ड नहीं मिलने तक लाभार्थी अपने पहचान संबंधी दस्तावेज दिखाकर भी इस योजना का लाभ ले सकता है। दस्तावेज के आधार पर लाभार्थी का नाम योजना से संबंधित सूची में देखा जाएगा। जनपद में कुल 30 सूचीबद्ध अस्पतालों में योजना के तहत उपचार की सुविधा मिलेगी। इनमें 12 अस्पताल सरकारी और 18 निजी हैं। 

सूचीबद्ध अस्पतालों में आयुष्मान मित्रों की तैनाती कर दी गई है। खास बात यह कि योजना के तहत सालाना पांच लाख का बीमा कवर सिर्फ एक ही लाभार्थी को नहीं, बल्कि लाभार्थी परिवार के मुखिया समेत अन्य सदस्यों को भी मिलेगा। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एसके गुप्ता ने बताया कि आयुष्मान भारत योजना को विस्तारित कर राज्य में अटल आयुष्मान स्वास्थ्य योजना संचालित की जा रही है। जिसके प्रथम चरण की शुरुआत कर दी गई है। इसके बाद राज्य कर्मचारियों, अधिकारियों व पेंशनधारियों व उनके आश्रितों को भी योजना का लाभ दिया जाएगा। 

ब्लॉक------------------लाभार्थी 

डोईवाला-----------------5680 

रायपुर-------------------5696 

सहसपुर-----------------5858 

विकासनगर------------10118 

कालसी-------------------2273 

चकराता-----------------5122 

ऋषिकेश-----------------3971 

मसूरी---------------------2101 

देहरादून शहर----------28260 

हेल्पलाइन नंबर पर नहीं मिली जानकारी 

कई लोगों में इस बात की उत्सुकता है कि आयुष्मान स्वास्थ्य योजना का लाभ उन्हें मिलेगा या नहीं। ऐसे में योजना संबंधित जानकारी के लिए टोलफ्री नंबर 14555 जारी किया गया है। लेकिन, हेल्पलाइन नंबर काम ही नहीं कर रहा है। कई मर्तबा इस नंबर पर फोन करने के बाद भी रिस्पांस नहीं मिला। 

ये अस्पताल हैं सूचीबद्ध 

सरकारी: सीएचसी डोईवाला, सीएचसी रायपुर, सीएचसी सहसपुर, सीएचसी साहिया, सीएचसी विकासनगर, सीएचसी चकराता, संयुक्त चिकित्सालय प्रेमनगर, कोरोनेशन अस्पताल, एम्स ऋषिकेश, दून चिकित्सालय, एसपीएस चिकित्सालय ऋषिकेश और मानसिक रोग चिकित्सालय सेलाकुई। 

निजी: हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट, श्री महंत इंदिरेश अस्पताल, सुभारती चिकित्सालय नंदा की चौकी, विनोद आर्थो डालनवाला, दून नर्सिग होम हरिद्वार रोड, कालिंदी अस्पताल विकासनगर, कंडारी नर्सिग होम देहरादून, रामरती आई हॉस्पिटल प्रेमनगर, अमृतसर आई क्लीनिक डालनवाला, एमएम नैथानी आई सेंटर डालनवाला, रामकृष्ण मिशन आश्रम विवेकानंद नेत्रालय, एसके मेमोरियल हॉस्पिटल ईसी रोड।

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