घसियारी योजना के नामकरण पर हरीश रावत ने दागे सवाल, कहा- उत्तराखंड में कभी घसियारी नहीं रहीं महिलाएं

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने घसियारी योजना के नामकरण पर सवाल दागे। उन्‍होंने कहा कि उत्तराखंड में महिलाएं कभी घसियारी नहीं रहीं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में मां-बहनें सुघड़ गृहणी रही हैं। अब घसियारी संबोधन कर भाजपा अपनी पीठ ठोक रही है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Fri, 29 Oct 2021 10:33 PM (IST) Updated:Fri, 29 Oct 2021 10:33 PM (IST)
घसियारी योजना के नामकरण पर हरीश रावत ने दागे सवाल, कहा- उत्तराखंड में कभी घसियारी नहीं रहीं महिलाएं
पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस चुनाव अभियान समिति अध्यक्ष हरीश रावत।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस चुनाव अभियान समिति अध्यक्ष हरीश रावत ने प्रदेश की भाजपा सरकार की घसियारी योजना के नामकरण पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में मां-बहनें सुघड़ गृहणी रही हैं। वे कभी घसियारी नहीं रहीं। भाजपा अब घसियारी संबोधन कर अपनी पीठ ठोक रही है।

प्रदेश सरकार की घसियारी कल्याण योजना को शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लांच करने जा रहे हैं। गांवों खासतौर पर पर्वतीय क्षेत्रों में महिलाओं को पशुचारे को पीठ पर लादकर लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। इस समस्या से निजात दिलाने को सरकार ने महत्वाकांक्षी घसियारी योजना प्रारंभ की है। अब इस योजना की लांचिंग से ऐन पहले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने योजना के नामकरण को लेकर भाजपा को घेरा है। उन्होंने कहा कि भाजपा महिलाओं के लिए घसियारी संबोधन पर इतरा रही है।

उन्होंने कहा कि जियारानी से लेकर तीलू रौतेली तक वीरांगना के रूप में और संघर्ष की प्रतीक गौरा देवी और एवरेस्ट पर सरलता से चढ़ जाने वाली बछेंद्री पाल के रूप में हमारी मां-बहनों की पहचान का भाजपा को अहसास नहीं है। उत्तराखंड की महिलाएं अपनी प्रतिभा और साहस से हर क्षेत्र में झंडा गाड़ रही हैं। हाकी में तांग्सी-नुंग्शी, महिला क्रिकेट टीम में एकता बिष्ट, मानसी जोशी, स्नेह राणा, श्वेता वर्मा, बैडमिंटन में कुहू गर्ग, हमारी बेटियां अपनी प्रतिभा से देश और प्रदेश का नाम रोशन कर रही हैं। भाजपा महिलाओं को घसियारी नाम देना चाह रही है।

आम आदमी पार्टी पर भी साधा निशाना

उन्होंने आम आदमी पार्टी को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि आप के प्रवक्ता कहते हैं कि दिल्ली में उत्तराखंड के व्यक्तियों को घरेलू नौकर, चौकीदार, ज्यादा से ज्यादा ड्राइवर के रूप में पहचाना जाता है। उन्हें विक्टोरिया क्रास से लेकर परमवीर चक्र से जुड़ी हमारी पहचान का आभास नहीं है। देश और दुनिया में उत्तराखंड के पुरुष की पहचान एक पराक्रमी, पुरुषार्थी, स्वाभिमानी व देशभक्त के रूप में होती है।

यह भी पढ़ें:- पांच नवंबर को बाबा केदार के दर आएंगे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, सभा को भी करेंगे संबोधित

chat bot
आपका साथी