Uttarakhand Politics: हरक सिंह रावत के यू-टर्न से कांग्रेस को भाजपा पर मनोवैज्ञानिक बढ़त
कैबिनेट मंत्री डा हरक सिंह रावत ने अपने रुख में यू-टर्न ले लिया। पहले वह हरीश रावत के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद कर रहे थे। अब उन्होंने हरीश रावत की पहले माफी मांगने वाली शर्त को पूरा किया है उससे प्रमुख प्रतिपक्षी दल के भीतर हलचल है।
रविंद्र बड़थ्वाल, देहरादून। कैबिनेट मंत्री डा हरक सिंह रावत ने अपने रुख में यू-टर्न लेकर कांग्रेस और उनके बीच की दूरी घटा ली है। पहले हरीश रावत के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद कर चुके हरक जुबानी जंग में भी पीछे नहीं रहे। जिस तरह से उन्होंने हरीश रावत की पहले माफी मांगने वाली शर्त को पूरा किया है, उससे राज्य की प्रमुख प्रतिपक्षी दल के भीतर हलचल साफतौर पर महसूस की जाने लगी है। पार्टी के नेता इसे भाजपा के लिए संभावित बड़े झटके के तौर पर देखने लगे हैं। साथ ही इसे मनोवैज्ञानिक बढ़त के तौर पर देखा जा रहा है।
2022 के चुनाव से पहले कांग्रेस भारी बहुमत के साथ सत्ता में बैठी भाजपा पर चौतरफा दबाव बढ़ाने की कोशिश में है। साढ़े चार साल के कार्यकाल में प्रदेश में तीन मुख्यमंत्री बदले जाने को लेकर भाजपा पर कांग्रेस हमलावर रही है। हमले को और धार देने के लिए पार्टी नेतृत्व उत्तराखंड में चुनाव की कमान पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को सौंप चुका है। हरदा भाजपा सरकार में खींचतान को लेकर हमला करने से कभी नहीं चूके। साथ ही पिछली कांग्रेस सरकार के खिलाफ बगावत करने वाले सीधे तौर पर उनके निशाने पर रहे।
बागियों पर नरम रहा है कांग्रेस नेतृत्व
कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती भाजपा को मिला भारी बहुमत है। इससे पार पाने के लिए पार्टी हर दांव को बेहद सोच-समझकर चल रही है। यही वजह है कि बागियों को लेकर भी पार्टी नेतृत्व का रुख वेट एंड वाच का रहा है। प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव से लेकर प्रदेश में कांग्रेस के क्षत्रप बागियों की वापसी के मामले में यह कह चुके हैं कि पार्टी के दरवाजे किसी के लिए बंद नहीं हैं। अलबत्ता, इस बारे में अंतिम फैसला पार्टी नेतृत्व को लेना है।
कांग्रेस ने बढ़ाया भाजपा पर दबाव
पार्टी की इस रणनीति के पीछे भाजपा पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाए रखना भी है। हालांकि इस युद्ध की शुरुआत पहले भाजपा ने कांग्रेस का एक विधायक तोड़कर की थी। बाद में कांग्रेस ने कैबिनेट मंत्री समेत दो विधायकों में सेंध लगा दी। अब कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और अन्य विधायकों के कांग्रेस का दामन थामने को लेकर सियासी गलियारों में चर्चाएं चलती रहती हैं। इन चर्चाओं के आड़े कोई आया है तो वह हरदा ही हैं। मौजूदा सियासी परिदृश्य में हरीश रावत के रुख में भी बदलाव आ चुका है। वह कह चुके हैं कि उन्हें बागियों की वापसी से गुरेज नहीं, बशर्ते वे पहले माफी मांगें।
हरक के पैंतरे से नई संभावना के संकेत
हरीश रावत के पंजाब प्रभारी के दायित्व से मुक्त होकर कर उत्तराखंड की सियासत में खुलकर खेलने का रास्ता साफ होते ही कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के उनके प्रति बदले रुख के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। हरीश रावत यदि अड़ते हैं तो फिर बागियों की कांग्रेंस में एंट्री आसान नहीं रहने वाली। यही वजह है कि हरक सिंह रावत के सियासी पैंतरे को प्रदेश के कांग्रेसी नई संभावना के रूप में देख रहे हैं। हरीश रावत के साथ कटुता और खिंचाव कम कर हरक अपने सामने खड़ी बड़ी बाधा से पार पाने के संकेत भी दे रहे हैं।
हरीश रावत भी मान रहे हैं हृदय परिवर्तन
प्रदेश कांग्रेस चुनाव अभियान समिति अध्यक्ष हरीश रावत का भी कहना है कि किसी का हृदय परिवर्तन होता है तो यह अच्छा ही है। वह बागियों को कह चुके हैं कि उन्हें पहले माफी मांगकर नैतिक बल दिखाना होगा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि राजनीति में शिष्टाचार रहना चाहिए। हरक सिंह वरिष्ठ नेता हैं। हरीश रावत को उन्होंने बड़ा भाई कहा है। निश्चित रूप से हरीश रावत प्रदेश के वरिष्ठतम नेता हैं। वह हरक के रुख में बदलाव को सकारात्मक मानते हैं।