डॉ. कमल घनशाला बोले- पद्मविभूषण सुंदरलाल बहुगुणा ने दिया था धारा के विरुद्ध तैरने का पैगाम
चिपको आंदोलन के जरिये पूरी दुनिया को वृक्षों और पर्यावरण से प्रेम का पैगाम देने वाले पद्मविभूषण सुंदरलाल बहुगुणा मानते थे कि धारा के विपरीत तैरने वाले ही इतिहास रचते हैं। ग्राफिक एरा में उन्होंने नई पीढ़ी को यही संदेश दिया था।
जागरण संवाददाता, देहरादून : चिपको आंदोलन के जरिये पूरी दुनिया को वृक्षों और पर्यावरण से प्रेम का पैगाम देने वाले पद्मविभूषण सुंदरलाल बहुगुणा मानते थे कि धारा के विपरीत तैरने वाले ही इतिहास रचते हैं। ग्राफिक एरा में उन्होंने नई पीढ़ी को यही संदेश दिया था।
ग्राफिक एरा के अध्यक्ष डॉ. कमल घनशाला ने पद्मविभूषण बहुगुणा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि दुनिया ने पर्यावरण के हक में आवाज बुलंद करने वाली एक महान विभूति को खो दिया है। पर्यावरणविद पद्मविभूषण सुंदरलाल बहुगुणा को 17 अप्रैल, 2012 को ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी ने पर्यावरण के क्षेत्र में अतुल्य योगदान के लिए डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि से अलंकृत किया था। ग्राफिक एरा के सभागार में इंजीनियङ्क्षरग, मैनेजमेंट व अन्य प्रोफेशनल कोर्स की उपाधि पाने वाले युवाओं को संबोधित करते हुए सुंदरलाल बहुगुणा ने कामयाबी का मंत्र बताया था। दिवंगत बहुगुणा का वह भाषण आज भी सैकड़ों युवाओं को याद है। उन्होंने युवाओं का आह्वान करते हुए कहा था कि देश के विकास के लिए शहरों के साथ ही गांव की तरफ जाना बहुत जरूरी है। बहुगुणा का पैगाम केवल शब्दों की बाजीगरी नहीं था, बल्कि उन्होंने खुद प्रवाह के विरुद्ध तैरकर इतिहास रचा।
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ग्राफिक एरा एजुकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. कमल घनशाला ने डॉ. सुंदर लाल बहुगुणा के निधन पर गहन शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने तमाम सुविधाएं ठुकराकर खुद संघर्षों का रास्ता चुना व पूरी दुनिया को पर्यावरण संरक्षण की दिशा दिखाई।
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