उत्‍तराखंड में आपदा में घर क्षतिग्रस्त होने पर बढ़ेगा अनुदान, विस्थापन एवं पुनर्वास नीति में बदलाव की तैयारी

उत्तराखंड में आपदा प्रभावितों के विस्थापन एवं पुनर्वास के लिए नीति के मानकों में बदलाव की तैयारी है। आपदा में घर क्षतिग्रस्त होने पर अनुदान राशि बढ़ाने एक ही घर में रह रहे एक से ज्यादा परिवारों में सभी को क्षतिपूर्ति देने समेत अन्य कई प्रविधान प्रस्तावित किए गए हैं।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 06:05 AM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 06:05 AM (IST)
उत्‍तराखंड में आपदा में घर क्षतिग्रस्त होने पर बढ़ेगा अनुदान, विस्थापन एवं पुनर्वास नीति में बदलाव की तैयारी
उत्तराखंड में आपदा प्रभावितों के विस्थापन एवं पुनर्वास के लिए नीति के मानकों में बदलाव की तैयारी है।

केदार दत्त, देहरादून। आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील उत्तराखंड में आपदा प्रभावितों के विस्थापन एवं पुनर्वास के लिए नीति के मानकों में बदलाव की तैयारी है। इसके तहत दैवीय आपदा में घर क्षतिग्रस्त होने पर अनुदान राशि बढ़ाने, एक ही घर में रह रहे एक से ज्यादा परिवारों में सभी को क्षतिपूर्ति देने समेत अन्य कई प्रविधान प्रस्तावित किए गए हैं। सूत्रों के अनुसार विस्थापन एवं पुनर्वास नीति में बदलाव के मद्देनजर वित्त विभाग की राय ली जा रही है। फिर राजस्व और विधि विभाग से राय लेने के बाद प्रस्ताव कैबिनेट में लाया जाएगा।

समूचा उत्तराखंड अतिवृष्टि, भूस्खलन, भूकंप, बाढ़ जैसी आपदाओं के लिहाज से संवेदनशील है। हर साल ही प्राकृतिक आपदाएं जनमानस के लिए परेशानी का सबब बनी हुई हैं। स्थिति ये है कि प्रदेशभर में आपदा की दृष्टि से संवेदनशील गांवों की संख्या 397 पहुंच गई है और प्रति वर्ष यह आंकड़ा बढ़ रहा है। उस पर आपदा प्रभावित गांवों के पुनर्वास की रफ्तार बेहद धीमी है। आंकड़ों पर ही गौर करें तो वर्ष 2012 से अब तक 44 गांवों के 1101 परिवारों का ही पुनर्वास हो पाया है।

असल में आपदा प्रभावितों को राहत देने के मामले में विस्थापन एवं पुनर्वास नीति-2011 के कुछ मानक भी आड़े आ रहे हैं। मसलन, यदि किसी घर में एक से अधिक परिवार रह रहे हैं तो आपदा प्रभावित श्रेणी में आने पर एक ही परिवार को मुआवजा देने का प्रविधान है। नीति में यह भी उल्लेख है कि उन्हीं परिवारों को आपदा प्रभावितों में शामिल किया जाएगा, जिनका जिक्र वर्ष 2011 की जनगणना में है। जबकि, तब से अब तक परिवारों की संख्या काफी बढ़ गई है। इसके अलावा मानकों में अन्य खामियां भी है, जो विस्थापन एवं पुनर्वास की राह में रोड़ा अटका रहे हैं। इस सबको देखते हुए अब नीति के मानकों में बदलाव की कसरत शुरू की गई है। आपदा प्रबंधन मंत्री डा धन सिंह रावत ने हाल में ही हुई समीक्षा बैठक में इसके निर्देश दिए थे।

नीति के मानकों में प्रस्तावित बदलाव

किसी परिवार को आपदा प्रभावित की श्रेणी में लेने को वर्ष 2011 की जनगणना की बाध्यता हो खत्म घर क्षतिग्रस्त होने की दशा में घर बनाने को दी जाने वाली चार लाख की अनुदान राशि में की जाए वृद्धि विस्थापन को चयनित आपदा प्रभावित गांव का कोई परिवार इससे इनकार करता है तो उसे दिया जाए 15 दिन का वक्त और फिर लिया जाए निर्णय यदि किसी परिवार का घर क्षतिग्रस्त है और उसके पास नया घर बनाने को जगह नहीं है तो उसे दी जाए उतनी ही सरकारी भूमि। बदले में उसकी भूमि होगी सरकार के नाम हो दर्ज।

सर्वाधिक आपदा प्रभावित गांव जिला, संख्या पिथौरागढ़, 129 उत्तरकाशी, 62 चमोली, 61 बागेश्वर, 42 टिहरी, 33 पौड़ी, 26

डा धन सिंह रावत (आपदा प्रबंधन मंत्री) का कहना है कि आपदा प्रभावितों के विस्थापन एवं पुनर्वास को लेकर सरकार गंभीर है। इसी के दृष्टिगत नीति में जो भी कठिनाइयां हैं उन्हें दूर कराने के मद्देनजर मानकों में बदलाव किया जाएगा। कैबिनेट में यह प्रस्ताव लाया जाएगा। इसके अलावा जनप्रतिनिधियों से कहा गया है कि वे आपदा की दृष्टि से संवेदनशील गांवों की सूची डीएम के माध्यम से शासन को भिजवाएं।

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