कोरोना के चलते दुर्गा पूजा पर दून में नहीं सजेंगे भव्य पंडाल, सादगी से होगा पूजन

धार्मिक कार्यों पर भी कोरोना का साया साफ दिखाई दे रहा है। यही वजह है कि अप्रैल के बाद होने वाले धार्मिक आयोजन सूक्ष्म रूप से मनाए गए। दुर्गा पूजा पर दून में भव्य पंडाल नहीं सजेंगे और न ही भक्तों को समूह में झूमने का मौका मिलेगा।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Sat, 26 Sep 2020 03:34 PM (IST) Updated:Sat, 26 Sep 2020 03:34 PM (IST)
कोरोना के चलते दुर्गा पूजा पर दून में नहीं सजेंगे भव्य पंडाल, सादगी से होगा पूजन
दुर्गा पूजा पर दून में भव्य पंडाल नहीं सजेंगे और न ही भक्तों को समूह में झूमने का मौका मिलेगा।

देहरादून, जेएनएन। धार्मिक कार्यों पर भी कोरोना का साया साफ दिखाई दे रहा है। यही वजह है कि अप्रैल के बाद होने वाले धार्मिक आयोजन सूक्ष्म रूप से मनाए गए। एक बार फिर दुर्गा पूजा पर दून में भव्य पंडाल नहीं सजेंगे और न ही भक्तों को समूह में झूमने का मौका मिलेगा। इसके साथ ही बंगाल के कलाकारों का नाटक, नृत्य और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने को नहीं मिलेंगे। समितियों ने ये सभी कार्यक्रम रद कर सादगी से पूजन करने का निर्णय लिया है।

दुर्गा पूजा के दौरान उत्तर भारत में पंचमी से दशमी तक पूजा और अन्य कार्यक्रम होते हैं। इस बार 21 से 26 अक्टूबर तक दुर्गा पूजन रहेगा। दून की बात करें तो हर साल दुर्गा पूजा से एक महीने पहले करनपुर बाजार, रायपुर, जीएमएस रोड, क्लेमेनटाउन में विभिन्न समितियां आयोजन की तैयारियां शुरू कर देती थीं, लेकिन इस बार इन जगहों पर सूनापन है। सबसे ज्यादा भीड़ करनपुर स्थिति बंगाली लाइब्रेरी में देखने को मिलती थी। बंगाल से आने वाले कारीगर एक महीने पहले से ही प्रतिमा को बनाने, रंग रोगन करने की तैयारी शुरू कर देते थे। यहां से अन्य समिति भी प्रतिमा की खरीदारी करती थी। लेकिन इस बार सब जगह खाली हैं। आलोक च्रकवर्ती (अध्यक्ष, बंगाली लाइब्रेरी पूजा समिति करनपुर) का कहना है कि गाजियाबाद से अन्य समितियों के लिए भी इस बार वाहन से मूर्तियां आएंगी। कोई भी सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं होंगे। पूजा, आरती होगी। प्रसाद के रूप में अबतक फलों को काटकर दिया जाता था, लेकिन इस बार पूरा फल मिलेगा। दुर्गा पूजा की आरती में शामिल होने वालों को पहले गेट पर मोबाइल नम्बर दर्ज के बाद थर्मल स्क्रीनिंग के बाद प्रवेश दिया जाएगा।  तपस चक्रवर्ती (अध्यक्ष रायपुर, दुर्गा पूजा समिति) का कहना है कि समिति गत 75 वर्ष से कार्यक्रम आयोजित कर रही है। अबतक मूर्तिकार आसानी से मिल जाते थे, लेकिन इस बार कोरोना के चलते नहीं आए। इसलिए सहारनपुर से मूर्ति मंगवाई गई है। लोग कम से कम आए, इसकी अपील की गई है। क्योंकि परिवार का एक सदस्य भी आता है तो पूरे परिवार को उसका फल मिलता है।

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