क्‍वारंटाइन सेंटरों में मरने वालों को 10 लाख रुपये दे सरकार : सूर्यकांत धस्माना

कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में क्‍वारंटाइन सेंटरों की बदहाली राज्य सरकार की अदूरदर्शी नीतियों के कारण बनी है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Sat, 06 Jun 2020 01:42 PM (IST) Updated:Sat, 06 Jun 2020 01:42 PM (IST)
क्‍वारंटाइन सेंटरों में मरने वालों को 10 लाख रुपये दे सरकार : सूर्यकांत धस्माना
क्‍वारंटाइन सेंटरों में मरने वालों को 10 लाख रुपये दे सरकार : सूर्यकांत धस्माना

देहरादून, जेएनएन। कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में क्‍वारंटाइन सेंटरों की बदहाली राज्य सरकार की अदूरदर्शी नीतियों के कारण बनी है। 

पहाड़ी जिलों के क्‍वारंटाइन सेंटरों में लगातार हो रही प्रवासियों की मौत पर आज कांग्रेस पार्टी फिर भाजपा सरकार पर हमलावर हुई। सूर्यकांत धस्माना ने इसके लिए सीधे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अदूरदर्शी नीति को जिम्मेदार ठहराया। उन्‍होंने मांग की कि राज्य सरकार की गलत क्‍वारंटीन नीति के कारण मरने वाले हर व्यक्ति के परिवार को पांच लाख रुपये राज्य सरकार की ओर से और पांच लाख रुपये प्रधानमंत्री केयर फंड से देने की मांग की। 

आज कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि उत्तराखंड के प्रवासी इस उम्मीद से वापस अपने प्रदेश आये थे कि वे अपने घर में कोरोना से बच जाएंगे, लेकिन यहां की सरकार ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया है। 

उन्‍होंने कहा कि पौड़ी जिले के थलीसैण ब्लॉक के मांसों गांव में दिल्ली से आये पांच सदस्यों के परिवार में जिनको गौशाला में क्‍वारंटाइन किया गया था परिवार की महिला का मरना व उसके शव को परीक्षण के लिए ले जाने के लिए 20 घंटे तक ऐम्बुलेंस का इंतज़ार करना सारी व्यवस्थाओं की पोल खोल रहा है। 

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उन्‍होंने कहा कि पहले लॉक डाउन के बाद से जो समय तीसरे लॉक डाउन तक सरकार को मिला था, अगर तभी प्रवासियों के क्‍वारंटीन की व्यवस्था सीमावर्ती जिलों में कर दी जाती तो आज न तो संक्रमण इतनी तेजी से बढ़ता और ना ही इतने लोगों की मौत होती। उन्‍होंने कहा कि मुख्यमंत्री रोज़ नई घोषणा कर देते हैं, लेकिन पिछली घोषणाओं पर अमल हुआ या नहीं इस पर कोई ध्यान नहीं देते। इसका सबसे बड़ा उदाहरण ग्राम प्रधान को 10-10 हज़ार रुपये देने और पर्यटन व्यवसाय से जुड़े ढाई लाख लोगों को एक हज़ार रुपये देने की घोषणा पर हफ्तों बीत जाने पर भी अमल नहीं हुआ।

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