राज्य आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण को जारी हो शासनादेश, उत्तराखंड आंदोलनकारी मंच ने दिया धरना
उत्तराखंड आंदोलनकारी मंच ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से दो सितंबर को की गई राज्य आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण की घोषणा पर तत्काल शासनादेश जारी करने की मांग की। इसके लिए मंच ने मालरोड स्थित शहीद स्थल पर धरना भी दिया।
संवाद सहयोगी, मसूरी: उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान हुए बाटाघाट दमनकांड की 28वीं बरसी पर बुधवार को राज्य आंदोलनकारियों के साहस और वीरता को याद किया गया। साथ ही तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार की बर्बर कार्रवाई की निंदा की गई। इस अवसर पर उत्तराखंड आंदोलनकारी मंच ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से दो सितंबर को की गई राज्य आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण की घोषणा पर तत्काल शासनादेश जारी करने की मांग की। इसके लिए मंच ने मालरोड स्थित शहीद स्थल पर धरना भी दिया।
मंच के संरक्षक जय प्रकाश उत्तराखंडी और अध्यक्ष देवी गोदियाल के नेतृत्व में धरने पर बैठे आंदोलनकारियों ने कहा कि शीघ्र चिह्नीकरण का शासनादेश जारी नहीं हुआ तो मंच अपना संघर्ष तेज करेगा। इस दौरान 15 सितंबर 1994 को मसूरी के बाटाघाट में तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार के बर्बर दमन की ङ्क्षनदा की गई। इस मौके पर केदार सिंह चौहान, सुंदर सिंह कैंतुरा, डा. मुकुल बहुगुणा, एजाज अहमद अंसारी, सुंदरलाल, नवीन ङ्क्षसह, राजेश शर्मा, कुंदन सिंह पंवार, मंगसीर सिंह आदि मौजूद रहे।
संयुक्त संघर्ष समिति ने की गोष्ठी
उत्तराखंड संयुक्त संघर्ष समिति की ओर से गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें मुख्य अतिथि धनोल्टी विधायक प्रीतम ङ्क्षसह पंवार ने कहा कि सैकड़ों आंदोलनकारियों के साथ जब वह 15 सितंबर 1994 को मसूरी आ रहे थे तो पुलिस ने बर्बरता की सभी हदें पार कर दीं। निहत्थे आंदोलनकारियों पर लाठी बरसाना शुरू कर दिया। कइयों को खाई में फेंक दिया। आंदोलनकारियों के वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि बाटाघाट में स्मारक बनाने के लिए वह मुख्यमंत्री से वार्ता करेंगे। समिति के संयोजक प्रदीप भंडारी ने कहा कि इस दिन सरकार की ओर से बाटाघाट में कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए थे, लेकिन सरकार ने आंदोलनकारियों की सुध नहीं ली। कार्यक्रम में महिपाल सिंह पंवार, सोमवारी लाल नौटियाल, संजय सेमवाल, कमल भंडारी, पूरण जुयाल, जबर सिंह बर्तवाल, नरेंद्र पडियार आदि मौजूद रहे।
यह हुआ था बाटाघाट में
15 सितंबर 1994 को बाटाघाट में मसूरी कूच कर रहे राज्य आंदोलनकारियों को पुलिस ने घेरकर लाठीचार्ज कर दी थी। इस कार्रवाई में तमाम आंदोलनकारी घायल हो गए थे। इसके अलावा कई आंदोलनकारियों को पुलिस ने खाई में फेंक दिया था। जिसमें से कुछ की मौत हो गई और कुछ गंभीर रूप से घायल हुए।
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