चुनावी साल में ढीली गेंदों पर ताबड़तोड़ बैटिंग कर रही सरकार

सीमांत इंजीनियरिंग संस्थान पिथौरागढ़ में वित्तीय गड़बड़ी को लेकर निदेशक प्रो अंबरीष कुमार विद्यार्थी के खिलाफ शिकायतें की गईं। मामला मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत तक पहुंचा। मुख्यमंत्री को नागवार गुजरा तो शासन ने निदेशक को पद से हटाकर डीएम को जांच सौंप दी।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Thu, 25 Feb 2021 08:25 AM (IST) Updated:Thu, 25 Feb 2021 08:25 AM (IST)
चुनावी साल में ढीली गेंदों पर ताबड़तोड़ बैटिंग कर रही सरकार
मुख्यमंत्री की सख्ती का असर ये हुआ कि इंजीनियरिंग संस्थान पिथौरागढ़ के निदेशक को शासन ने हटा दिया।

रविंद्र बड़थ्वाल, देहरादून। चुनावी साल में ढीली गेंदों पर सरकार ताबड़तोड़ बैटिंग कर रही है। पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा के दो इंजीनियरिंग संस्थानों में ऐसी ही दो ढीली गेंदों को बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है। सीमांत इंजीनियरिंग संस्थान, पिथौरागढ़ में वित्तीय गड़बड़ी को लेकर निदेशक प्रो अंबरीष कुमार विद्यार्थी के खिलाफ शिकायतें की गईं। मामला गंभीर तब हुआ जब चीन और नेपाल सीमा से सटे इस जिले में खासतौर पर स्थापित किए गए इस कालेज में छात्र संख्या घटने लगी। इंजीनियरिंग की दो ब्रांच बंद होने की नौबत आ गई। स्थानीय कांग्रेसी नेताओं ने इसे जमकर मुद्दा बनाया। मामला मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत तक पहुंचा। तकनीकी शिक्षा विभाग का जिम्मा उनके पास ही है। मुख्यमंत्री को नागवार गुजरा तो शासन ने निदेशक को पद से हटाकर डीएम को जांच सौंप दी। इसीतरह कुमाऊं इंजीनियरिंग कालेज द्वाराहाट, अल्मोड़ा में वित्तीय अनियमितता की शिकायत मिलने पर शासन ने निदेशक वीएम मिश्रा को चलता कर दिया।

शिक्षा अधिकारी पर भारी खट पट

शिक्षा विभाग में अधिकारियों के बीच खटपट रहना आम है। हरिद्वार जिले में यह मसला नाजुक होता जा रहा है। मुख्य शिक्षा अधिकारी आनंद भारद्वाज और नारसन के उप शिक्षाधिकारी बीएस राठौड़ के बीच तलवारें खिंची हैं। इससे राठौड़ की मुश्किलों में इजाफा हो गया। शासन के निर्देश पर उनके खिलाफ पहले से ही जांच चल रही है, अब शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय भी उनसे खफा हो गए हैं। दरअसल जिले के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंत्री से मुलाकात कर राठौड़ के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। पद का रुआब और धमकी देने की बात भी मंत्री को बताई गई। मंत्री ने तुरंत शिक्षा सचिव को राठौड़ के खिलाफ जांच कराने के निर्देश दिए हैं। फिलहाल शासन इन शिकायतों की हकीकत की थाह लेने में जुटा है। इस शिकायत के पीछे भी उक्त दोनों अधिकारियों की खींचतान को ही वजह बताया जा रहा है। फिलहाल नजरें जांच पर टिकी हुई हैं।

अब 10 फीसद में भी जुगाड़

दुर्गम यानी पर्वतीय क्षेत्रों में वर्षों से तैनात शिक्षकों में नीचे उतरने की होड़ नई बात नहीं है। तबादला सत्र भले ही शून्य घोषित हो जाए, लेकिन गुरुजन तबादले को लेकर नियमित तप करना नहीं छोड़ते। तपस्या का फल मीठा हो, इसकी सौ फीसद गारंटी देना हाकिमों के लिए भी मुश्किल है। ऐसे में नए सत्र को लेकर कार्मिक के आदेश ने शिक्षकों की बेचैनी बढ़ा दी है। फरमान ये है कि सिर्फ 10 फीसद अनिवार्य तबादले होंगे। ये तबादले गुजरे सत्र में भी नहीं हो पाए थे। सिर्फ अनुरोध के आधार पर प्रत्यावेदन लिए गए, लेकिन उन पर फैसला होना बाकी है। चुनावी साल में सियासी रसूखदारों के बूते सुविधाजनक तैनाती के ख्वाब बुन रहे मास्साबों को झटका लगा है। अब कोशिश ये की जा रही है कि किसी तरह 10 फीसद में जगह बनाने का जुगाड़ हो जाए। सरकार के तेवरों से लगता नहीं कि ये मुमकिन होगा।

कोरोना से सूखी बगिया फिर खिलेंगी

कोरोना महामारी ने स्कूलों और पढ़ाई पर कहर ढाया है। स्कूलों में तकरीबन सालभर ताले लटकने से रौनक गायब रही है। इसका बुरा असर सरकारी स्कूलों में बड़ी मेहनत से पनपाई गई सब्जियों की बगिया पर पड़ा है। मिड डे मील योजना में किचन गार्डन विकसित करने को प्रोत्साहित किया जा रहा है। दोपहर के भोजन में ताजी सब्जियां खाने को मिले तो खाने का स्वाद तो बढ़ता ही है, पौषक तत्व भी बच्चों को मिलते हैं। प्रदेश में 1365 सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में किचन गार्डन पिछले सत्र तक तैयार किए गए थे। स्कूल लंबे समय तक बंद रहे तो ये बगिया सूख गईं। चालू सत्र में 500 और किचन गार्डन तैयार किए जाने थे, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। नए सत्र में स्कूलों में पुरानी रंगत लौटने से उम्मीद की जा रही है कि नए किचन गार्डन बनेंगे, साथ ही पुराने फिर से हरे-भरे हो सकेंगे।

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