उत्तराखंड: माता-पिता को आश्रितों में शामिल करा सकेंगी महिला कार्मिक, उठा सकेंगी गोल्डन कार्ड का लाभ; जानें कैसे
महिला कार्मिक अब दोहरे अशंदान पर सास-ससुर के साथ ही माता-पिता को आश्रितों में शामिल करा कर राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना (गोल्डन कार्ड) का लाभ ले सकेंगी। इसके लिए सरकार ने राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना (एसजीएचएस) में बदलाव किया है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड की महिला कार्मिक अब दोहरे अशंदान पर सास-ससुर के साथ ही माता-पिता को आश्रितों में शामिल करा कर राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना (गोल्डन कार्ड) का लाभ ले सकेंगी। इसके लिए सरकार ने राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना (एसजीएचएस) में बदलाव किया है। न्यू पेंशन स्कीम से सेवानिवृत्त होने वाले पेंशनरों को वार्षिक अंशदान कटौती अथवा 10 साल की एकमुश्त अंशदान राशि के बराबर एकमुश्त भुगतान पर आजीवन वैधता का विकल्प भी दिया गया है।
प्रदेश में कर्मचारी लगातार गोल्डन कार्ड योजना की विसंगतियों को लेकर आंदोलनरत थे। अब इस कड़ी में प्रदेश सरकार ने इस योजना में बदलाव किए हैं। इसे राजकीय कार्मिकों व पेंशनरों को आयुष्मान भारत व अटल आयुष्मान योजना के दायरे से अलग कर दिया गया है। इसमें अविवाहित पुत्री को बिना किसी आयु सीमा के शामिल किया गया है। आश्रित की परिभाषा में उन्हें शामिल किया गया है, जिनकी वार्षिक आय भारत सरकार द्वारा निर्धारित आयकर की छूट की सीमा से कम है।
चिकित्सा प्रतिपूर्ति बीजकों के भुगतान की प्रक्रिया को सरल किया जाएगा। योजना में शामिल कर्मचारियों को ओपीडी सुविधा प्रदान करने के लिए डायग्नोस्टिक सेंटर एवं औषधालय भी पंजीकृत करने की व्यवस्था की है। यहां मुफ्त जांच और दवाएं प्राप्त हो सकेंगी। राजकीय सेवा में पति अथवा पत्नी के एक-दूसरे पर आश्रित न होने की दशा में उनकी इच्छा के अनुसार नियत अंशदान के बराबर अंशदान करने पर योजना का लाभ मिल सकेगा।
सरकार द्वारा इस योजना में किए गए संशोधनों के लिए राज्य सचिवालय संघ व उत्तराखंड अधिकारी कार्मिक शिक्षक महासंघ ने आभार भी प्रकट किया है।
सभी मेडिकल कालेजों में मिलेगा बांड का लाभ
प्रदेश सरकार ने चिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिए अब एक बार फिर सभी मेडिकल कालेजों को बांड का लाभ देने का निर्णय लिया है। अभी केवल श्रीनगर मेडिकल कालेज में यह योजना चल रही थी। कैबिनेट के निर्णय के बाद दून मेडिकल कालेज और हल्द्वानी मेडिकल कालेज में भी बांड भरे जा सकेंगे। बांडधारी चिकित्सकों को पांच वर्ष तक प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में सेवा देना अनिवार्य होगा। कोर्स के दौरान इनकी फीस 50 हजार रुपये प्रति वर्ष रहेगी।
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