समंदर किनारे बसे शहरों को खत्म कर देगी बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग, पढ़ि‍ए पूरी खबर

ग्लोबल वार्मिंग के चलते साल दर साल समुद्र में आने वाले चक्रवातों (साइक्लोन) की तीव्रता बढ़ती जा रही है। जो रिहायशी इलाकों के लिए खतरनाक है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Fri, 20 Dec 2019 09:21 AM (IST) Updated:Fri, 20 Dec 2019 08:47 PM (IST)
समंदर किनारे बसे शहरों को खत्म कर देगी बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग, पढ़ि‍ए पूरी खबर
समंदर किनारे बसे शहरों को खत्म कर देगी बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग, पढ़ि‍ए पूरी खबर

देहरादून, आयुष शर्मा। ग्लोबल वार्मिंग के चलते साल दर साल समुद्र में आने वाले चक्रवातों (साइक्लोन) की तीव्रता बढ़ती जा रही है। जो रिहायशी इलाकों के लिए खतरनाक है। अगर समय रहते इससे निपटने के विकल्प नहीं तलाशे गए तो एक वक्त ऐसा आएगा, जब समुद्र के तट पर बसे शहरों का नामोनिशान तक नहीं बचेगा।

यह बात भारतीय राष्ट्रीय कार्टोग्राफिक संघ (आइएनसीए) की 39वीं अंतरराष्ट्रीय कांग्रेस में कोलकाता स्थित खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राजा बोस ने अपनी शोध रिपोर्ट का हवाला देते हुए कही। डॉ. राजा ने ओडिशा को आधार बनाकर पिछले 20 वर्षों में आए चक्रवातों पर शोध किया है।

उनका कहना है कि चक्रवातों की तीव्रता और उनसे हुई तबाही में लगातार बढ़ोत्तरी हुई है। इसका मुख्य कारण है ग्लोबल वार्मिंग। ग्लोबल वार्मिंग बढऩे से समुद्र में चक्रवातों की संख्या और तीव्रता दोनों में वृद्धि हो रही है। इससे समुद्र तटों का क्षेत्रफल रिहायशी इलाकों की तरफ बढ़ता जा रहा है। जो खतरे का संकेत है।

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डॉ. राजा ने बताया कि 1999 में आए सुपर साइक्लोन की अधिकतम रफ्तार लगभग 200 किलोमीटर प्रति घंटा थी। जबकि अक्टूबर 2019 में आए फैनी की तीव्रता लगभग 250 किलोमीटर प्रतिघंटा। अगर तापमान इसी रफ्तार से बढ़ा तो अगले 20 वर्षों में साइक्लोन की रफ्तार 300 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच सकती है। जो समुद्र तट पर बसे शहरों को खत्म करने के लिए काफी है।

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