जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन ने वार्ता का समय मांगा

उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन ने मांगों को लेकर अब सीधे मुख्यमंत्री से मुलाकात करने की तैयारी में है। वार्ता का समय मांगने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय को पत्र सौंपा।

By Edited By: Publish:Sat, 11 Jul 2020 03:01 AM (IST) Updated:Sat, 11 Jul 2020 12:29 PM (IST)
जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन ने वार्ता का समय मांगा
जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन ने वार्ता का समय मांगा

देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन ने मांगों को लेकर अब सीधे मुख्यमंत्री से मुलाकात करने की तैयारी में है। एसोसिएशन ने शुक्रवार को वार्ता का समय मांगने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय को पत्र सौंपा। पदाधिकारियों ने कहा कि सीधी भर्ती के नवीन रोस्टर से लेकर पदोन्नति तक की व्यवस्था को इस तरह से नियोजित किया जाना चाहिए कि राज्य के कर्मचारियों को भविष्य में कभी आंदोलन के लिए विवश न होना पड़े।

एसोसिएशन के प्रांतीय महामंत्री वीरेंद्र सिंह गुसाईं का कहना है कि लंबे संघर्ष के बाद प्रदेश में पदोन्नति की प्रक्रिया बहाल तो हो गई, लेकिन इसी बीच शासन ने सीधी भर्ती के नवीन रोस्टर में पहला पद आरक्षित वर्ग को दे दिया। जबकि संशोधन से पहले, पहला पद अनारक्षित वर्ग को दिया गया था। नए संशोधन से जनरल ओबीसी वर्ग के लोग बेहद आहत हैं। 

वहीं शासकीय व्यवस्था के लिए यह संशोधन उचित नहीं ठहराया जा सकता है। क्योंकि पहला पद योग्यता के आधार पर होना चाहिए न कि आरक्षण के आधार पर। उन्होंने यह भी कहा कि पदोन्नति प्रक्रिया बहाल होने के बाद यह बात सामने आ रही है कि कई विभागों में न तो ढांचा बना है और न ही पदोन्नति के लिए कोई समयसीमा निर्धारित की गई है। ऐसे में सरकार को पदोन्नति व्यवस्था को और परिष्कृत करने की जरूरत है।

 प्रांतीय महामंत्री ने कहा कि वार्ता का समय मिलने पर प्रांतीय अध्यक्ष दीपक जोशी के खिलाफ चल रही जांच को बंद करने का भी आग्रह किया जाएगा। कर्मचारी आंदोलन के समय ऐसा कुछ नहीं कहा गया था, जिससे किसी वर्ग विशेष की भावनाएं आहत होती हों। इसे कर्मचारियों के बीच मतभेद पैदा करने का जरिया बनाया जा रहा है जो प्रदेश के कर्मचारियों के हित नहीं है। प्रांतीय महामंत्री ने कहा कि उम्मीद है कि मुख्यमंत्री कर्मचारियों की भावनाओं को समङोंगे और आने वाले समय में उचित कदम भी उठाएंगे।

वेतन कटौती व वसूली पर बिफरे निगमकर्मी

देहरादून: राज्य निगम कर्मचारी अधिकारी महासंघ ने उत्तराखंड वन विकास निगम में ऑडिट आपत्तियों के नाम पर हो रही रहे वेतन कटौती व वसूली पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। शुक्रवार को निगम के पदाधिकारियों ने प्रमुख सचिव वन आनंदवर्धन से मुलाकात की और इसके जरिए हो रहे अधिकारियों व कर्मचारियों के उत्पीड़न पर तत्काल रोक लगाने की मांग की। 

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महासंघ के अध्यक्ष दिनेश गोसाईं ने प्रमुख सचिव से कहा कि ऑडिट आपत्तियों लगने के पश्चात उनका निस्तारण विधिक तरीके से किया जाना था, लेकिन वन विकास निगम प्रबंधन ने वेतन कटौती शुरू कर दी। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में वन निगम कार्मिक ढांचे के अनुसार देय नियत यात्र भत्ता जिसे उत्तराखंड शासन की ओर से वाहन भत्ता के नाम पर स्वीकृत किया गया। वहीं, वन विकास निगम कार्मिकों को 1996 से समयमान व प्रोन्नत वेतनमान की सुविधा के अनुसार वेतन निर्धारण किया गया था। प्रमुख सचिव वन से मुलाकात के पश्चात कहा गया कि जिन विषय पर बिना संज्ञान के निर्णय लिए गए उन पर पुन: प्रबंध निदेशक के माध्यम से प्रस्ताव शासन को भेजा जाए, जिसका वित्त विभाग से अनुमोदन लेकर सुधार किया जाएगा।

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