Gangotri Apple: लो आ गया आपका पसंदीदा रसीला 'गंगोत्री एप्पल', उत्तराखंड सेब उत्पादक एसोसिएशन ने बागवानों को दिखाई नई राह

Gangotri Apple सेब उत्पादन के लिहाज से देखें तो देश में उत्तराखंड तीसरे स्थान पर है। यहां 25785 हेक्टेयर क्षेत्र में 58 हजार टन से ज्यादा सेब की पैदावार होती है।बागीचों से उत्तम गुणवत्ता का सेब गंगोत्री एप्पल के नाम से सीधे घर की देहरी तक पहुंच रहा है।

By Sumit KumarEdited By: Publish:Mon, 13 Sep 2021 07:05 AM (IST) Updated:Mon, 13 Sep 2021 08:24 AM (IST)
Gangotri Apple: लो आ गया आपका पसंदीदा रसीला 'गंगोत्री एप्पल', उत्तराखंड सेब उत्पादक एसोसिएशन ने बागवानों को दिखाई नई राह
बागीचों से उत्तम गुणवत्ता का सेब 'गंगोत्री एप्पल' के नाम से सीधे घर की देहरी तक पहुंच रहा है।

केदार दत्त, देहरादून: Gangotri Apple समझदार वही, जो वक्त के साथ चले। उत्तराखंड सेब उत्पादक एसोसिएशन ने भी इस बात को बखूबी समझा और सरकार के भरोसे रहने की बजाए खुद पहल करने की ठानी। नतीजा यह कि बागीचों से उत्तम गुणवत्ता का सेब 'गंगोत्री एप्पल' के नाम से सीधे घर की देहरी तक पहुंच रहा है। इससे बागवानों की आर्थिकी भी सुधर रही है। आढ़त में जो सेब 35 से 40 रुपये प्रति किलो बिकता था, उसके अब 60 से 80 रुपये दाम मिल रहे हैं। उत्तरकाशी जिले के हर्षिल, मोरी, बंगाण, कोठीवाड़ और देहरादून के चकराता क्षेत्र के करीब तीन सौ किसान एसोसिएशन से जुड़े हैं।

सेब उत्पादन के लिहाज से देखें तो देश में उत्तराखंड तीसरे स्थान पर है। यहां 25785 हेक्टेयर क्षेत्र में 58 हजार टन से ज्यादा सेब की पैदावार होती है। गुणवत्ता के मामले में भी यह किसी से कम नहीं है। हर्षिल, आराकोट, मुनस्यारी का सेब तो अमेरिकन सेब को भी मात देता है। यह दिल्ली समेत अन्य राज्यों तक भी पहुंच रहा, मगर उसके सामने पहचान का संकट बरकरार है। साथ ही बागवानों को सेब का उचित दाम भी आढ़त में नहीं मिल पा रहा।

इस सबको देखते हुए उत्तराखंड सेब उत्पादक एसोसिएशन ने बागवानों को नई राह दिखाने के साथ ही सेब की ब्रांडिंग का निश्चय किया। एसोसिएशन के अध्यक्ष द्वारिका प्रसाद उनियाल बताते हैं कि वर्ष 2018 में तय किया गया कि उपभोक्ता को सीधे उत्पादक से जोड़ा जाए। उत्तरकाशी व देहरादून जिले के सेब उत्पादकों से बातचीत की गई और वे इसके लिए राजी हो गए। वर्ष 2019 में प्रयोग के तौर पर देहरादून की कुछेक कालोनियों में घरों तक सेब पहुंचाया गया तो उपभोक्ताओं ने इसे हाथों-हाथ लिया।

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ब्रांडिंग को नाम दिया 'गंगोत्री एप्पल'

उनियाल के अनुसार हिमाचल और जम्मू-कश्मीर के सेब का नाम सभी के दिलोदिमाग पर छाया है। इसे देखते हुए एसोसिएशन ने उत्तरकाशी व चकराता क्षेत्र के सेब की ब्रांडिंग को 'गंगोत्री एप्पल' नाम दिया। उन्होंने कहा कि गंगा प्रत्येक भारतवासी की आस्था से जुड़ी है और गंगोत्री विश्व प्रसिद्ध धाम है। यह नाम पहले से ही आमजन की जुबां पर है। उन्होंने बताया कि लोग अब गंगोत्री एप्पल की मांग करने लगे हैं। यह इससे भी साबित होता है कि गत वर्ष एसोसिएशन ने देहरादून, सेलाकुई, विकासनगर, कोटद्वार क्षेत्र में ही दो हजार क्विंटल सेब की बिक्री की। उन्होंने बताया कि अगले साल से 'गंगोत्री एप्पल' की खाली पेटियां बागवानों को मुहैया कराई जाएंगी। सेब की मांग पूरी करने के मद्देनजर इस वर्ष 500 बागवानों को एसोसिएशन से जोडऩे का लक्ष्य है।

ऐसे पहुंचाते हैं घरों तक सेब

गंगोत्री एप्पल को घरों तक पहुंचाने के लिए रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों की मदद ली जा रही है। उनियाल ने बताया कि देहरादून में वसंत विहार, डिफेंस कालोनी, उषा कालोनी समेत अन्य कालोनियों के निवासियों से मांग आने पर एसोसिएशन का वाहन वहां पहुंचकर सेब मुहैया कराता है। ऐसा ही अन्य स्थानों पर किया जाता है। एसोसिएशन से जुड़े त्यूणी के बागवान राम सिंह चौहान बताते हैं कि उन समेत अन्य सेब उत्पादकों को अब सेब का उचित दाम मिल रहा है।

जैविक सेब उत्पादन पर भी जोर

बागवानों को जैविक सेब उत्पादन को भी एसोसिएशन प्रेरित कर रही है। इसके तहत बागवानों से कहा जा रहा है कि वे बागीचों में रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर गोबर, वर्मीकंपोस्ट आदि करें। साथ ही नीम से बने कीटनाशकों का प्रयोग करने के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है।

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