ऋषिकेश में गंगा ने दिखाया रौद्र रूप, बही खतरे के निशान के पार; समय रहते तट कराए खाली

ऋषिकेश में गंगा चेतावनी रेखा को पार कर गई है। केंद्रीय जल आयोग ने जिला प्रशासन सहित मैदानी क्षेत्र के प्रशासन को सूचित कर दिया है। यहां गंगा खतरे के निशान से मात्र 20 सेंटीमीटर नीचे बह रही है। बारिश से गंगा की सहायक नदियों का जलस्तर बढ़ गया।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 07:53 AM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 07:53 AM (IST)
ऋषिकेश में गंगा ने दिखाया रौद्र रूप, बही खतरे के निशान के पार; समय रहते तट कराए खाली
ऋषिकेश में गंगा चेतावनी रेखा को पार कर गई है।

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। पिछले दो दिनों हुई भारी बारिश के चलते गंगा के जलस्तर में अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की गई। मंगलवार को ऋषिकेश में गंगा खतरे के निशान को भी पार कर गई। पुलिस और प्रशासन की सक्रियता ही रही कि गंगा तटों को समय रहते खाली करा दिया गया, जिससे किसी भी प्रकार के जान-माल का नुकसान नहीं हुआ। दोपहर बाद गंगा का जलस्तर घटने के बाद सभी ने राहत की सांस ली।

ऋषिकेश में गंगा चेतावनी रेखा के क़रीब पहुंच गई हैं। केंद्रीय जल आयोग ने जिला प्रशासन सहित मैदानी क्षेत्र के प्रशासन को सूचित कर दिया है। यहां गंगा खतरे के निशान से मात्र 20 सेंटीमीटर नीचे बह रही है।@JagranNews @MygovU #Rishikesh #uttarakhandrains pic.twitter.com/9zvBgcWxZL

— Amit Singh (@Join_AmitSingh) October 19, 2021

शनिवार व रविवार को उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में भारी बारिश हुई। बारिश से गंगा की सहायक नदियों का जलस्तर बढ़ने का असर सीधा गंगा के जलस्तर पर पड़ा है। सोमवार को गंगा के जलस्तर में कुछ वृद्धि हुई थी मगर, मध्य रात्रि तक जलस्तर सामान्य ही बना हुआ था। मगर, सोमवार की मध्य रात्रि से गंगा के जलस्तर में तेजी से वृद्धि होने लगी। रात्रि 12 बजे ऋषिकेश में जहां गंगा का जलस्तर 338.90 मीटर था, वहीं प्रात: चार बजे गंगा ने चेतावनी रेखा 339.50 मीटर को पार कर दिया।

इसके बाद जलस्तर में प्रतिघंटा 10-15 सेंटीमीटर की वृद्धि होने लगी और दस बजे ऋषिकेश में गंगा ने खतरे के निशान 340.50 मीटर को पार कर दिया। जबकि दोपहर 12 बजे गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से भी 15 सेंटीमीटर ऊपर यानी 340.64 मीटर तक पहुंच गया। हालांकि इसके बाद जलस्तर में कमी होने लगी थी, जो सायं छह बजे तक गंगा का जलस्तर करीब आधा मीटर नीचे आ गया था। केंद्रीय जल आयोग की टीम गंगा के बढ़ते जलस्तर पर लगातार नजर बनाए हुए थी।

उधर, रात से जारी जलस्तर में वृद्धि को देखते हुए प्रशासन पहले ही अलर्ट मोड पर आ गया था। कुछ दिन पूर्व ही मौसम विभाग ने भी इसका पूर्वानुमान दे दिया था, जिसके बाद से ही पुलिस व प्रशासन ने गंगा के तटीय इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया था। मंगलवार अलसुबह ही उप जिलाधिकारी अपूर्वा व कोतवाली प्रभारी निरीक्षक रितेश शाह ने गंगा के त्रिवेणी घाट पर मोर्चा संभाल लिया था।

पुलिस ने त्रिवेणी घाट और आसपास क्षेत्र में रहने वाले निराश्रित लोग को यहां से सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट कर दिया। चंद्रभागा और उसके आसपास नदी तट पर बसे लोग भी पुलिस ने यहां से हट दिए। त्रिवेणी घाट पर जल पुलिस पूरे दिन राफ्ट लेकर तैनात रही। वहीं चंद्रेश्वर नगर में भी पुलिस ने अलर्ट जारी कर नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर रहने की अपील की।

गंगा का जलस्तर इतनी तेजी से बढ़ा की देखते ही देखते त्रिवेणी घाट का पक्का मुख्य प्लेटफार्म पानी से जलमग्न। दोपहर तक यहां आरती स्थल का टिनशेड ही नजर आ रहा था। उधर, मुनिकीरेती, परमार्थ निकेतन, गीता भवन, वानप्रस्थ आश्रम के घाट भी पूरी तरह जलमग्न हो गए। गंगा का जलस्तर बढ़ने से चंद्रेश्वर नगर के कुछ घरों में जलभराव हुआ, जिससे कुछ घरों के भूतल में रखा सामान भीग गया। इसके अलावा गंगा में आए उफान से किसी भी तरह की जान-माल की कोई क्षति नहीं हुई है।

खदरी में निर्माणाधीन बाढ़ सुरक्षा दीवार क्षतिग्रस्त

गंगा के जलस्तर बढ़ने के कारण ग्राम सभा खदरी खड़कमाफ की सीमा पर स्थित राजकीय पालीटेक्निक संस्थान को भी खतरा बढ़ गया। यहां पालीटेक्निक की सुरक्षा के लिए तटबंध का निर्माण किया जा रहा है, जो क्षतिग्रस्त हो गया। यहां पर निर्माणाधीन सुरक्षा तटबंध के लिए रखी निर्माण सामग्री भी नदी की बाढ़ में समा गई। सामाजिक कार्यकर्त्ता विनोद जुगलान ने बताया कि गंगा कैचमेंट एरिया में माइक्रो फोरेस्टिंग के तहत डेढ़ हेक्टेयर वन भूमि पर वन विभाग की ओर से नमामि गंगे योजना के तहत स्थापित प्योर आक्सी गार्डन के लिए संरक्षित की गई थी, इस भूमि में भी जलभराव हुआ है। वन्यजीवों से सुरक्षा को लगाई गई सौर ऊर्जा बाड़ का एक हिस्सा भी पालीटेक्निक के समीप नदी में समा गया। उन्होंने बताया कि गंगा का जलस्तर समय पर नहीं घटता तो गांव की सीमा पर स्थित राजकीय पालीटेक्निक सहित गंगा तट पर बसे ग्रामीण क्षेत्रों के लिए खतरा बढ़ सकता था।

मानसून की विदाई के बाद दिखा गंगा का रौद्र रूप

इस वर्ष मानसून सत्र में उत्तराखंड में जमकर बारिश हुई। मानसून की विदाई भी देर से लगभग अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में हुई। जिसके बाद बारिश के कुछ भी आसार नहीं थे। मगर, तीन दिन पूर्व अचानक बदले मौसम के मिजाज से पूरे प्रदेश में जोरदार बारिश हुई। ऋषिकेश क्षेत्र में ही रविवार-सोमवार को 18.4 मिमी जबकि सोमवार-मंगलवार को 52.0 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। अक्टूबर माह में गंगा का जलस्तर अमूमन घटने लगता है। इस बार भी बारिश से पहले सामान्य रूप से गंगा का जलस्तर चेतावनी रेखा से करीब एक मीटर नीचे तक आ गया था। मगर, रविवार व सोमवार को हुई भारी बारिश से गंगा के जलस्तर में इस कदर वृद्धि हुई कि गंगा का जलस्तर खतरे के निशान को भी पार कर गया।

सांकेतिक रूप से हुई गंगा आरती

गंगा का जलस्तर बढ़ने और त्रिवेणी घाट पर आरती स्थल जलमग्न होने के कारण मंगलवार को यहां गंगा आरती नहीं हो पाई। श्री गंगा सभा की ओर से संध्याकालीन गंगा आरती को सांकेतिक रूप में संपन्न करना पड़ा। उधर, परमार्थ निकेतन तथा मुनिकीरेती के शत्रुघन घाट पर भी मंगलवार को गंगा की आरती सांकेतिक रूप में की गई।

अचानक बढ़े जलस्तर से आस्था पथ पर फंसे लोग

गंगा में अचानक हुई जलस्तर वृद्धि से तीर्थनगरी वासी सहम गए। सुबह के समय बड़ी संख्या में लोग गंगा किनारे बने आस्था पथ पर भ्रमण के लिए भी पहुंचे थे। मगर, तब तक त्रिवेणी घाट के मुख्य प्लेटफार्म तक पानी नहीं पहुंचा था। सुबह सात बजे तक मुख्य प्लेटफार्म भी पानी से भर गया। जबकि त्रिवेणी घाट से आस्था पथ को जोडऩे वाले घाट पर तो एक फीट से भी अधिक पानी बढ़ गया। जिस कारण आस्था पथ पर भ्रमण को गए लोग यहां से वापस नहीं लौट पाए। पुलिस की सलाह पर यह लोग यहां से वापस लौटे और बहत्तर सीढ़ी होते हुए वापस आए।

ऋषिकेश में इस तरह बढ़ा गंगा का जलस्तर

समय जलस्तर

24:00 बजे, (सोमवार) 338.90 मीटर

02:00 बजे, (मंगलवार)339.25 मीटर

04:00 बजे, 339.60 मीटर

06:00 बजे, 339.95 मीटर

08:00 बजे, 340.32 मीटर

10:00 बजे, 340.50 मीटर

12:00 बजे, 340.64 मीटर

14:00 बजे, 340.30 मीटर

स्रोत: केंद्रीय जल आयोग, ऋषिकेश

नोट: ऋषिकेश में गंगा का चेतावनी निशान 339.50 मीटर तथा खतरे का निशान 340.50 मीटर है।

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