देखिए यहां के सरकारी अस्पतालों का हाल, 'सफेद कोट' में सक्रिय हैं दलाल; इन बातों का रखें ध्यान
दून मेडिकल कालेज की इमरजेंसी में या उसके बाहर सफेद कोट में कोई शख्स मिले और वह आपको या मरीज को दूसरे अस्पताल जाने के लिए बरगलाए तो उस पर भरोसा न करें। अस्पताल की इमरजेंसी और उसके आसपास मरीजों को निजी अस्पतालों में ले जाने वाला गैंग सक्रिय है।
जागरण संवाददाता, देहरादून। अगर आपको दून मेडिकल कालेज अस्पताल की इमरजेंसी में या उसके बाहर सफेद कोट में कोई शख्स मिले और वह आपको या मरीज को दूसरे अस्पताल जाने के लिए बरगलाए तो उस पर आंख बंद करके भरोसा न करें। क्योंकि, अस्पताल की इमरजेंसी और उसके आसपास मरीजों को निजी अस्पतालों में ले जाने वाला गैंग सक्रिय है।
ऐसा एक मामला तीन रोज पहले भी अस्पताल में सामने आया। त्यागी रोड निवासी सुनील तिवारी को पैर में चोट लगने पर इमरजेंसी में भर्ती कराया गया था, जहां चिकित्सकों ने उन्हें प्राथमिक उपचार दिया। पैर में ज्यादा चोट के चलते हड्डी रोग और सर्जरी विभाग के चिकित्सकों को बुलाया गया। तकरीबन एक घंटा तक चिकित्सक नहीं आए तो दलाल सक्रिय हो गए और स्वजन के पास आकर कहने लगे कि चिकित्सक इसी तरह देर करेंगे। आप मरीज को निजी अस्पताल में ले जाइए। इस पर स्वजन ने अफसरों से शिकायत की।
इमरजेंसी प्रभारी डा. धनंजय डोभाल ने मामले को गंभीरता से लिया और तत्काल चिकित्सक पहुंचे। उन्होंने मरीज का एक्स-रे कराकर अग्रिम उपचार शुरू किया। दो दिन पूर्व भी एक मरीज के साथ इस तरह की दिक्कत पेश आई थी। इसके अलावा कुछ अन्य व्यक्तियों ने भी इस तरह की शिकायत की है।
इस बाबत प्राचार्य डा. आशुतोष सयाना का कहना है कि एमएस और इमरजेंसी प्रभारी को स्पष्ट रूप से कहा गया है कि इस की तरह के मामलों की सघन निगरानी करें। अगर संदिग्ध लोग यहां घूमते हैं तो उनको चिह्नित करें और पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दें। ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने इसमें स्टाफ की भूमिका की निगरानी करने के निर्देश भी दिए हैं।
इमरजेंसी में दर्द से कराहती रही महिला, नहीं आए डाक्टर
स्वास्थ्य मंत्री की ताकीद के बाद भी दून मेडिकल कालेज अस्पताल की इमरजेंसी में हालात सुधर नहीं रहे। यहां हादसे में घायल हुई एक महिला को पांच घंटे तक इलाज नहीं मिल पाया। ईएमओ ने प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें हड्डी रोग विशेषज्ञ को दिखाने की सलाह दी, मगर हड्डी रोग विशेषज्ञ के देरी से आने के कारण महिला कई घंटे तक दर्द से कराहती रही। मामला उच्चाधिकारियोंके संज्ञान में आने पर मरीज को आवश्यक उपचार दिया गया और जांच लिखी गई।
सोमवार को रीना नाम की महिला को स्वजन घायल अवस्था में सुबह साढ़े आठ बजे अस्पताल की इमरजेंसी में लाए थे। नियमानुसार, आनकाल विशेषज्ञ चिकित्सक को इमरजेंसी में पहुंचना चाहिए था। लेकिन, महिला को ओपीडी में जाकर हड्डी रोग विशेषज्ञ को दिखाने के लिए कहा गया। दर्द से कराह रही महिला ने सड़क के उस पार ओपीडी भवन में जा पाने में असमर्थता जताई। इसको लेकर सचिवालय के एक अधिकारी ने भी अस्पताल में फोन किया। बावजूद इसके करीब पांच घंटे बाद चिकित्सक इमरजेंसी में पहुंचे और तब महिला को देखा।
प्राचार्य डा. आशुतोष सयाना का कहना है कि सभी एचओडी को निर्देशित किया गया है कि वह आनकाल चिकित्सक को ईएमओ के सूचना देने पर जरूर भेजें। ऐसा नहीं करने वाले चिकित्सक के खिलाफ शिकायत आने पर कार्रवाई की जाएगी। उधर, चिकित्सकों का कहना है कि ओपीडी के दौरान ही उनकी आनकाल ड्यूटी लगाई जाती है। इससे परेशानी होती है। ओपीडी छोड़कर इमरजेंसी में मरीज को देखना मुश्किल होता है।
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