कोरोनाकाल में सार्थक हुई मित्रता की मानवीय भावना, कई व्यक्तियों ने दोस्त की तरह की जरूरतमंदों की मदद

सच्चे मित्र का अर्थ सिर्फ यह नहीं कि जब तुम दुखी हो तो वह साथ रहे बल्कि उससे बढ़कर यह कि वह कभी आपको दुखी ही न होने दे। कोरोना के संकटकाल में समाज में इसकी मिसाल भी देखने को मिली। मुश्किल दौर में तमाम व्यक्तियों को ऐसे मित्र मिले।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 12:03 PM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 12:03 PM (IST)
कोरोनाकाल में सार्थक हुई मित्रता की मानवीय भावना, कई व्यक्तियों ने दोस्त की तरह की जरूरतमंदों की मदद
कोरोनाकाल में सार्थक हुई मित्रता की मानवीय भावना।

जागरण संवाददाता, देहरादून। सच्चे मित्र का अर्थ सिर्फ यह नहीं कि जब तुम दुखी हो तो वह आपके साथ रहे, बल्कि उससे बढ़कर यह है कि वह कभी आपको दुखी ही न होने दे। कोरोना के संकटकाल में समाज में इसकी मिसाल भी देखने को मिली। मुश्किल दौर में तमाम व्यक्तियों को ऐसे मित्र मिले, जिनसे पहले वह कभी नहीं मिले थे। लेकिन, उन्होंने एक दोस्त से बढ़कर साथ निभाया। इसी भावना के अनुरूप संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने मित्रता दिवस की इस साल की थीम 'मित्रता के माध्यम से मानवीय भावना को साझा करना' रखी है। अच्छी बात यह रही कि मित्रता दिवस की यह थीम पूरी तरह सार्थक होती दिखी।

कोरोना की दूसरी लहर में बड़ी संख्या में लोग चिकित्सा उपकरणों से लेकर, आक्सीजन सिलिंडर, अस्पतालों में बेड आदि को लेकर भटकते दिखे। यह ऐसा दौर था, जब कई मोर्चे पर सरकार भी असहाय नजर आ रही थी। हालांकि, इन सबके बीच भी मदद के रूप में तमाम ऐसे हाथ बढ़े, जिन्होंने मित्र न होते हुए भी मित्रता से बढ़कर एक-दूसरे की मदद की। इसमें सामाजिक संगठनों से लेकर, व्यक्तिगत स्तर पर भी अथक प्रयास किए गए।

खास बात यह भी रही कि पुलिस का मित्रताभरा एक नया चेहरा भी सामने आया। पहली बार लगा कि मित्रता सेवा और सुरक्षा का पुलिस का स्लोगन महज कुछ शब्द नहीं हैं। जो लोग दवाओं, चिकित्सा उपकरणों समेत आक्सीजन की कमी के आगे हार मान चुके थे, उनके लिए पुलिस ने इन सबका इंतजाम किया। यह सिलसिला हालात सामान्य होने तक जारी भी रहा।

सेनानी उत्तराधिकार परिवार आयोग का गठन हो

स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकार परिवार समिति की बैठक में सेनानी परिवारों की विभिन्न मांगों पर चर्चा की गई। वहीं, नौ अगस्त को मांगों के समर्थन में क्रांति दिवस मनाने का निर्णय लिया गया। रविवार को उत्तरांचल प्रेस क्लब में आयोजित बैठक में समिति के केंद्रीय महासचिव जितेंद्र रघुवंशी ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव शुरू हो चुका है और सेनानी परिवारों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा, जिन सेनानियों के बलिदान की बदौलत देश को आजादी मिली, उनके उत्तराधिकारी उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।

समिति ने मांग उठाई कि केंद्र सरकार दिल्ली में स्वतंत्रता सेनानी स्मारक बनाए और सेनानी उत्तराधिकार आयोग का गठन किया जाए। जिससे सेनानियों के परिवारों की समस्याओं के समाधान के लिए ठोस प्रयास हो सकें। इसके अलावा राज्य सरकार से सेनानियों की पेंशन को अगली पीढ़ियों तक हस्तांतरित करने आदि की मांग की गई। बैठक में अशोक वर्मा, मथुरा दत्त जोशी, सत्यप्रकाश सिंह चौहान आदि उपस्थित रहे।

यह भी पढ़ें- Tokyo Olympics 2020: उत्तराखंड के छोटे से गांव में सुविधाओं की जगह मिले ताने, फिर भी लक्ष्य से नहीं चूकीं हैट्रिक गर्ल वंदना कटारिया

chat bot
आपका साथी