दिल्ली-एनसीआर से लेकर उत्तराखंड तक बार-बार डोल रही धरती, कहीं किसी बड़े भूकंप के तो संकेत नहीं
दिल्ली-एनसीआर से लेकर उत्तराखंड तक इनदिनों लगातार भूकंप के झटके महसूस हो रहे हैं। उत्तराखंड राज्य भूकंप के लिहाज से काफी संवेदनशील भी है। इसकी गिनती जोन चार और पांच में होती है जो अति संवेदनशील माने जाचे हैं।
जागरण टीम, देहरादून। दिल्ली-एनसीआर से लेकर उत्तराखंड तक इनदिनों लगातार भूकंप के झटके महसूस हो रहे हैं। उत्तराखंड राज्य भूकंप के लिहाज से काफी संवेदनशील भी है। इसकी गिनती जोन चार और पांच में होती है, जो अति संवेदनशील माने जाचे हैं। ऐसे में ये सवाल उठना लाजिमी है कि कहीं भूकंप के ये छोटे-छोटे झटके किसी बड़े खतरे का तो संकेत नहीं है। इस बात से वैज्ञानिक भी इनकार नहीं कर रहे। वाडिया संस्थान के वरिष्ठ विज्ञानी सुशील कुमार का कहना है कि उत्तराखंड में सात से आठ रिक्टर स्केल तक का भूकंप आ सकता है। हालांकि, ये कब तक आता है, इसको लेकर साफ जानकारी नहीं है।
उत्तराखंड राज्य में मेगा अर्थक्वेक का कोई इतिहास नहीं रहा है, लेकिन बार-बार आ रहे छोटे भूकंप जरूर चिंता बढ़ा रहे हैं। बीते दो दिन में राज्य के दो जिलों में भूकंप के झटके महसूस हुए हैं। शुक्रवार को बागेश्वर तो शनिवार को उत्तरकाशी जिले में 3.3 तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए। इसी साल राज्य के अलग-अलग जिलों में कई बार छोटे-छोटे भूकंप के झटके महसूस हो चुके हैं। बात अगर उत्तरकाशी जिले की करें तो जिला भूकंप के लिहाज से अति संवेदनशील है। यहां 20 अक्टूबर को 1991 में 6.8 की तीव्रता का भूकंप आया था। इस भूकंप में जान-माल का काफी नुकसान हुआ था।
उत्तराखंड के बाद सबसे अधिक डोलती है दिल्ली
वाडिया संस्थान के वरिष्ठ विज्ञान डॉ. सुशील कुमार ने बताया कि साल 2007 से 2017 के बीच कराए गए एक अध्ययन में ये बात सामने आई थी कि उत्तराखंड के बाद दिल्ली दिल्ली में सबसे ज्यादा भूकंप आते हैं, लेकिन ये भूकंप उत्तराखंड जितनी तीव्रता के नहीं होते। इस अध्ययन में उत्तराखंड, दिल्ली, हिमाचल और जम्मू कश्मीर को ए, बी, सी और डी ब्लॉक (हर ब्लॉक में चार क्षेत्र) में बांटा गया था। ए में जम्मू एंड कश्मीर और हिमाचल प्रदेश (उत्तर-पूरब), बी में हिमाचल प्रदेश के शिमला क्षेत्र, सी में उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के अधिकांश भाग व डी में दिल्ली (एनसीआर) क्षेत्र को रखा गया था। इस दौरान पता चला कि पूरे क्षेत्र में सर्वाधिक 28.8 बार भूकंप सी कैटेगरी में गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र में आए हैं। इसके बाद डी कैटेगरी वाले दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में 26.7 बार भूकंप के झटके आए।
दो माह के अंतराल में दस भूकंप सामान्य नहीं
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में छोटे-छोटे भूकंप आना स्वाभाविक है, लेकिन दो माह के अंतराल में ही 10 भूकंप (4.6 मैग्नीट्यूट तक के) रिकॉर्ड किया जाना सामान्य बात नहीं। यही वजह है कि वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान ने दिल्ली के उन फॉल्ट के अध्ययन का निर्णय लिया है, जहां से भूकंपीय ऊर्जा बाहर निकल रही है।
उत्तराखंड में आ सकता है सात से आठ तीव्रता तक का भूकंप
वैज्ञानिकों की मानें तो भूकंप के लिहाज से संवेदनशील उत्तराखंड राज्य में सात से आठ तीव्रता का भूकंप आ सकता है। हालांकि, इसको लेकर अभी ज्यादा कोई जानकारी नहीं है।
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