पासपोर्ट बनाने के नाम पर रिश्वत मांगने वाले कर्मी को चार साल की सजा Dehradun News

पासपोर्ट बनवाने के नाम पर आवेदक से रिश्वत मागने वाले पासपोर्ट कार्यालय के कैंटीन कर्मचारी को विशेष न्यायाधीश सीबीआई की अदालत ने चार साल कैद व 25 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।

By Edited By: Publish:Thu, 17 Oct 2019 03:01 AM (IST) Updated:Thu, 17 Oct 2019 11:20 AM (IST)
पासपोर्ट बनाने के नाम पर रिश्वत मांगने वाले कर्मी को चार साल की सजा Dehradun News
पासपोर्ट बनाने के नाम पर रिश्वत मांगने वाले कर्मी को चार साल की सजा Dehradun News

देहरादून, जेएनएन। पासपोर्ट बनवाने के नाम पर आवेदक से रिश्वत मागने वाले पासपोर्ट कार्यालय के कैंटीन कर्मचारी को विशेष न्यायाधीश सीबीआई सुजाता सिंह की अदालत ने चार साल कैद व 25 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। अर्थदंड न देने पर छह माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। 

वहीं कर्मी ने जिस पासपोर्ट अधिकारी के नाम पर रिश्वत मांगी थी, सीबीआई ने उस अधिकारी की जांच की, मगर कोई प्रमाण नहीं मिले। सीबीआई केअधिवक्ता अभिषेक अरोड़ा ने अदालत को बताया कि आवेदक ने वर्ष 2013 में पासपोर्ट के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था। पासपोर्ट कार्यालय में उनकी मुलाकात वहीं स्थित एरोमा कैंटीन में काम करने वाले जीशान पुत्र अफजल खान निवासी नई बस्ती, कावली रोड से हुई। 

जीशान ने कहा कि वह उन्हें वॉकिंग फैसिलिटी दिलाते हुए जल्द ही उनका पासपोर्ट बनवा देगा। उसने कहा कि इसके लिए उन्हें दो हजार रुपये की रिश्वत देनी पड़ेगी। सीबीआई के अनुसार, जीशान ने यह रकम तत्कालीन एक पासपोर्ट अधिकारी के नाम पर मागी थी। 

आवेदक को लगा कि एक कैंटीन कर्मी कैसे उनकी पासपोर्ट बनवाने में मदद कर सकता है। शक होने पर उन्होंने इसकी सीबीआई में शिकायत की। इसके बाद 28 जून 2013 को सीबीआई की टीम ने जीशान को दो हजार रुपये की रिश्वत लेते गिरफ्तार कर लिया। सीबीआई ने ट्रायल के दौरान 19 गवाह पेश किए, जबकि बचाव पक्ष से केवल एक गवाह आया। 

सुनवाई के दौरान कैंटीन संचालक शरद कौशिक भी अपने बयान से मुकर गया था। सीबीआई ने बताया कि ट्रैप के बाद हुई विवेचना में इस बात की भी जांच की गई थी कि जीशान ने जिस अधिकारी के नाम पर रिश्वत मागी थी, उनकी प्रकरण में क्या भूमिका थी। 

यह भी पढ़ें: लाखों हड़पने वाले किटी संचालक दंपती गिरफ्तार, वेश बदलकर छिपाई थी पहचान Dehradun News

इसकी अलग से जांच की गई, लेकिन अधिकारी के खिलाफ प्रमाण नहीं मिले। लिहाजा इस जाच पर क्लोजर रिपोर्ट लगा दी गई। सभी दलीलों को सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश सीबीआई सुजाता सिंह की अदालत ने सजा का ऐलान कर दिया।

यह भी पढ़ें: साइबर जालसाज ने चिकित्सक के खाते से 50 हजार रुपये उड़ाए Dehradun News

chat bot
आपका साथी