Chhath Puja 2021: नहाय-खाय के साथ शुरू होता है छठ महापर्व, जानिए किस दिन क्या

छठ पूजा (Chhath Puja) का महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। चार दिवसीय छठ पर्व सोमवार से नहाय-खाय के साथ शुरू हो जाएगा। देहरादून शहर में 10 को घाटों पर मुख्य रूप से छठ पूजा होगी। इसकी तैयारियों को लेकर बाजार सज चुका है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Sat, 06 Nov 2021 08:07 PM (IST) Updated:Sat, 06 Nov 2021 10:33 PM (IST)
Chhath Puja 2021: नहाय-खाय के साथ शुरू होता है छठ महापर्व, जानिए किस दिन क्या
छठ पूजा के अवसर पर झंडा बाजार के समीप पूजा व टोकरी की खरीदारी करती महिलाएं। जागरण

जागरण संवाददाता, देहरादून। पूर्वांचल नागरिकों का प्रमुख चार दिवसीय छठ पर्व सोमवार से नहाय-खाय के साथ शुरू हो जाएगा। 10 को घाटों पर मुख्य रूप से छठ पूजा (Chhath Puja) होगी। इस बार पर्व को मनाने के लिए आमजन में खासा उत्साह है। तैयारियों को लेकर बाजार सज चुका है। संतान प्राप्ति और उसके खुशहाल जीवन की कामना के लिए कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा की जाती है। बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में इस पूजा का काफी महत्व है। देहरादून की बात करें तो यहां बिहार के लोग इस पर्व को खासा उल्लास के साथ मनाते हैं।

शनिवार को सहारनपुर चौक, हनुमान चौक में महिलाएं बांस का सूप, डाला, दउरा, गन्ना, नारियल आदि खरीदारी करती नजर आईं। इस पर्व को लेकर टपकेश्वर, पथरी बाग, मालदेवता, चंद्रमनी, प्रेमनगर, पंडितवाड़ी, मद्रासी कालोनी, दीपनगर स्थित घाट पर सफाई के बाद पूजा की जाती है। हर वर्ष छठ पर खूब रौनक रहती है। बीते वर्ष कोरोना के चलते आमजन ने इस पर्व को घर पर ही सादगी से मनाया, लेकिन इस बार कोविड गाइडलाइन का पालन कर लोग में उत्साह दिख रहा है।

बिहारी महासभा सोमवार को करेगा घाटों की सफाई

नहाय-खाय की सुबह यानी सोमवार को बिहारी महासभा से जुड़े लोग टपकेश्वर, चंद्रमनी, प्रेमनगर और मालदेवता स्थित घाटों की सफाई करेंगे। महासभा के महासचिव चंदन झा ने बताया कि बीते वर्ष कोरोना के चलते आयोजन नहीं हुए, लेकिन इस बार घाटों की सफाई की जाएगी और पूजा के लिए स्थान बनाए जाएंगे। उन्होंने बताया कि हाल ही में पटेलनगर में बने छठ पार्क से भी लोग को काफी सुविधा मिलेगी।

इस तरह होगा चार दिवसीय महापर्व

आठ नवंबर को नहाय-खाय के बाद व्रत रख घाटों की सफाई और पूजा होगी। नौ को खरना वाले दिन निर्जला व्रत रख शाम को खीर का प्रसाद के साथ व्रत खोला जाएगा। 10 नवंबर को विभिन्न घाटों पर अस्ताचलगामी यानी ढलते सूर्य को जल अर्पित कर अर्घ्‍य दिया जाएगा, जबकि 11 नवंबर को उदीयमान यानी उगते सूर्य को अर्घ्‍य देने के साथ यह महापर्व संपन्न होगा।

सूर्य उपासना करने से प्रसन्न होती है छठी मइया

आचार्य डा. सुशात राज के मुताबिक, मान्यताओं के अनुसार छठी मइया भगवान सूर्य की बहन है। इस पर्व में दोनों की पूजा की जाती है। छठ का व्रत कठिन माना जाता है। मान्यता है कि सूर्य उपासना करने से छठी मइया प्रसन्न होती है और पुत्र, दीर्घायु, परिवार को सुख शांति और धन-धान्य से परिपूर्ण करती है। उन्होंने बताया कि पर्व के दूसरा यानी खरना वाले दिन रात में खीर खाकर 36 घंटे के लिए कठिन व्रत रखा जाता है।

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