पूर्व विधायक ने रिस्पना नदी में खनन को बताया घातक, ठेका निरस्त करने की मांग

देश कांग्रेस कमेटी के अनुसूचित जाति जनजाति विभाग के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व विधायक राजकुमार ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर रिस्पना नदी पर खनन का निरस्त करने की मांग की।

By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Publish:Thu, 04 Jun 2020 08:55 AM (IST) Updated:Thu, 04 Jun 2020 08:55 AM (IST)
पूर्व विधायक ने रिस्पना नदी में खनन को बताया घातक, ठेका निरस्त करने की मांग
पूर्व विधायक ने रिस्पना नदी में खनन को बताया घातक, ठेका निरस्त करने की मांग

देहरादून, जेएनएन। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अनुसूचित जाति जनजाति विभाग के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व विधायक राजकुमार ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर समस्याओं के समाधान की मांग की है। उन्होंने कहा कि रिस्पना नदी पर खनन का जो ठेका दिया गया है, उसे तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए। उन्होंने कहा कि नदी रिस्पना में बजरी, पत्थर तथा बजरी छन्ने का ठेका दिया गया है। यह ठेका दिया जाना पूरी तरह से अनुचित है। इस ठेके को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि यह ठेका हरिद्वार रोड पुल से बलबीर रोड़ तथा बलबीर रोड़ से मोहनी रोड़ व मोहनी रोड़ से इन्दर रोड़ तक दिया गया है। बताया कि नदी रिस्पना में ठेकेदारों ने बीच में खनन करने के बजाय नदी के दोनों किनारे पर बड़े गड्ढे कर दिए हैं। यहां से बजरी और पत्थर निकालने का काम शुरू कर दिया है। जो नियम के विरूद्ध है।

उन्होंने कहा कि इस खनन से बलबीर रोड़ पर करोड़ों रूपये से बने नए पुल के टूटने का खतरा हो गया है। साथ ही नदी के किनारे बिछाई गई करोड़ों रूपये की सीवर लाईनें भी टूटने लगी हैं। भारी डंपर से सीवर के चैंबर टूट गए हैं। इससे लोगों के घरों में गंदा पानी भरने लगा है।

उन्होंने कहा कि क्षेत्र में बनी नई सड़कों में जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं। उन्होंने कहा कि नदी के किनारों से बजरी निकलने के कारण बिजली के कई पोलों के गिरने का खतरा बन गया है। नदी में बजरी का खुदान होने से क्षेत्रवासी परेशान हैं। 

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उन्होंने कहा कि इस संबंध में विभाग को कई बार फोन से जानकारी दी गयी, लेकिन कोई भी सुनने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि जनहित में जांच कर इस खनन के काम को रोकने की आवश्यकता है। नदी में खनन यदि जरूरी है तो वैज्ञानिक तरीके से किया जाना चाहिए।  अन्यथा क्षेत्र के लोगों के साथ मिलकर वह आंदोलन को मजबूर होंगे। इसकी संपूर्ण जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी।

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