ISRO के पूर्व निदेशक पद्मश्री डा. एमसी दाथन बोले, इसरो का अंतरिक्ष मिशन समाज के उत्थान के लिए
इसरो (इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन) के पूर्व निदेशक पद्मश्री डा. एमसी दाथन ने कहा कि इसरो का अंतरिक्ष मिशन समाज के उत्थान लिए है। उन्होंने कहा कि भारत की स्पेस रिसर्च शांतिपूर्ण कार्यों के लिए शुरू की गई थी।
जागरण संवाददाता, देहरादून। इसरो (इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन) के पूर्व निदेशक पद्मश्री डा. एमसी दाथन ने कहा कि इसरो का अंतरिक्ष मिशन समाज के उत्थान लिए है। भारत की स्पेस रिसर्च शांतिपूर्ण कार्यों के लिए शुरू की गई थी। इसरो का मुख्य केंद्र विक्रम साराभाई स्पेस रिसर्च सेंटर आज दुनियाभर में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने के लिए जाना जाता है।
वह दून यूनिवर्सिटी एकेडमिक फोरम फार कमबैटिंग कोविड-19 विशेष लेक्चरर सीरीज में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जिस समय स्पेस सेंटर केंद्र खोला गया था, उस समय संसाधनों का अभाव था। उसके बावजूद भी हमने स्पेस के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सफलताएं अॢजत की हैं। इसरो में चलने वाले प्रोजेक्ट के बहुत सारे चरण होते हैं। जिनमें सीखने का चरण, प्रयोगात्मक, आधारभूत सुविधाओं का निर्माण, क्रियान्वयन, उन्नति, सामाजिक लाभ और बाजारीकरण मुख्य हैं।
डा. दाथन ने कहा कि हमारे पास बेहतर टेक्नोलाजी है और हम टेक्नोलाजी को निर्यात करने की स्थिति में हैं, जबकि एक समय ऐसा था कि जब हमें जरूरत थी तो विकसित देशों ने हमें स्पेस टेक्नोलाजी देने से मना कर दिया था। आज हम रूस, यूरोप और नासा के साथ मिलकर कई प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं। आज हमारी टेक्नोलाजी भरोसेमंद है और इतनी विकसित हो चुकी है कि हम एक साथ कई देशों के सेटेलाइट लांच करते हैं। भविष्य में ऊर्जा की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए हम सौर ऊर्जा पर काम कर रहे हैं।
भारत ने स्पेस में जो तरक्की की है उसके सामाजिक लाभ भी है जैसे कि आपदा प्रबंधन, मौसम का पूर्वानुमान, रिमोट सेंसिंग, संचार, नेविगेशन, समुद्र का अध्ययन, अंतरिक्ष में खोज करना और टेलीमेडिसिन प्रमुख हैं। चंद्रयान और मंगलयान जैसे अभियानों से हम लगातार टेक्नोलाजी में उन्नति कर रहे हैं।
दून विवि की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने कहा कि वर्चुअल लेक्चरर सीरीज में दून यूनिवॢसटी के अलावा इंटर कालेजों के विद्यार्थी भी उपस्थित रहे। इस अवसर पर प्रो. कुसुम अरुणाचलम, कुलसचिव डा. मंगल सिंह मंद्रवाल, उप कुलसचिव नरेंद्र लाल, अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. एचसी पुरोहित आदि मौजूद रहे।
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