पूर्व सीएम हरीश रावत बोले, विभाग है सीएम के पास; फिर भी दाखिल-खारिज को भटक रही जनता

पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत ने जमीन के दाखिल खारिज न होने पर सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि सरकार सो रही है और जनता को दाखिल-खारिज के लिए भटकना पड़ रहा है। यह हाल तब है जब यह विभाग मुख्यमंत्री के अधीन है।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Sat, 18 Sep 2021 02:02 PM (IST) Updated:Sat, 18 Sep 2021 02:02 PM (IST)
पूर्व सीएम हरीश रावत बोले, विभाग है सीएम के पास; फिर भी दाखिल-खारिज को भटक रही जनता
पूर्व सीएम हरीश रावत बोले, विभाग है सीएम के पास; फिर भी दाखिल-खारिज को भटक रही जनता।

जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत ने जमीन के दाखिल खारिज न होने पर सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि सरकार सो रही है और जनता को दाखिल-खारिज के लिए भटकना पड़ रहा है। यह हाल तब है, जब यह विभाग मुख्यमंत्री के अधीन है। 

शुक्रवार को उन्होंने इंटरनेट मीडिया के माध्यम से कहा कि उच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार नगर निगम क्षेत्र में जमीनों के दाखिल खारिज राजस्व विभाग नहीं करेगा। इसके लिए नगर निगम में ही व्यवस्था रहेगी। जबकि, सरकार ने अभी तक नगर निगम में दाखिल-खारिज के लिए व्यवस्था नहीं की है। जिससे आमजन इस बात को लेकर परेशान हैं कि वह दाखिल-खारिज कहां कराएं। पिछले चार माह से यह समस्या बनी हुई है, लेकिन सरकार है कि सुध लेने को तैयार नहीं। सरकार के इस सुस्त रवैये से जमीन घोटालों को बढ़ावा मिल रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार या तो हाईकोर्ट का निर्णय माने या फिर इसके खिलाफ अपील दायर करे।

भाजपा श्रीगणेश के उद्बोधन से परेशान क्यों

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भाजपा के उत्तराखंड प्रभारी प्रल्हाद जोशी के श्रीगणेश पर दिए बयान पर भी पलटवार किया। उन्होंने कहा कि जय श्रीगणेश उद्बोधन से भाजपा के स्थानीय और शीर्ष दोनों नेतृत्वों को परेशानी क्यों है। भगवान राम जी में भी हमारी अटूट आस्था है, हम उनके परम भक्त हैं।

भाजपा राम जी के नाम का उद्बोधन राजनीति के लिए करती है, कांग्रेस नहीं। उन्होंने भाजपा को जय श्रीगणेश कहने की सलाह दी। उन्होंने भाजपा के उत्तराखंड प्रभारी प्रल्हाद जोशी के कांग्रेस से भाजापा में गए नेताओं को भाजपा की संस्कृति सीखने की सलाह देने पर चुटकी ली। कहा कि कुछ साढ़े चार साल में भी संस्कृति नही सीख पाए।

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