पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत बोले- पहले पाप स्वीकार करें, तब ही कांग्रेस में वापसी
पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत ने कहा कि पहले पाप स्वीकार करें तब ही कांग्रेस में वापसी होगी। पिछली कांग्रेस सरकार के खिलाफ बगावत करने वालों की पार्टी में वापसी आसान नहीं है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत पिछली कांग्रेस सरकार के खिलाफ बगावत करने वालों की पार्टी में आसान वापसी को तैयार नहीं हैं। सरकार गिराने के लिए दलबदल को महापाप करार देते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे व्यक्ति कांग्रेस में आना चाहते हैं तो उन्हें पहले अपना पाप स्वीकार करना होगा। उन्होंने कहा कि सवाल उनकी सरकार को गिराने का नहीं है, यह संसदीय परंपरा पर कलंक है। ऐसे व्यक्ति यदि खेद जताते हैं तो वह उनके रास्ते के आड़े नहीं आएंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि यदि ऐसे व्यक्तियों की वापसी बगैर खेद प्रकट किए होती है तो फिर उनके लिए यह दिक्कत का सबब हो सकता है।
आर्य के कांग्रेस छोड़ने के थे अलग कारण
यशपाल आर्य की वापसी पर उन्होंने कहा कि वह पारिवारिक व व्यक्तिगत कारणों से कांग्रेस छोड़कर गए। इसलिए उनके कांग्रेस में आने का स्वागत हुआ, लेकिन जो सरकार गिराने की कोशिश के मास्टर माइंड या मुख्य भूमिका में रहे, उन्हें अपने कृत्य के लिए उत्तराखंड से क्षमा मांगनी होगी। उत्तराखंड दलबदल की परंपरा को स्वीकार नहीं कर सकता है। ऐसे व्यक्ति दलबदल के लिए माफी मांगते हैं तो ही उनकी वापसी पर उन्हें आपत्ति नहीं होगी। हम चाहते हैं कि वे सुधरें।
बगैर माफी के वापसी का एक प्रयास नहीं हुआ कामयाब
भाजपा के एक विधायक की कांग्रेस में वापसी पर ऐन वक्त पर लगी रोक के बारे में उन्होंने सीधे तौर पर कुछ नहीं कहा। यह जरूर जोड़ा कि कोई व्यक्ति बगैर माफी के आता है तो यह आसान नहीं होगा। उन्होंने कांग्रेस में बागियों की वापसी कराने के लिए श्रेय लेने की होड़ पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि ऐसा एक प्रयास कामयाब नहीं हो पाया है।
पापी कौन, जनता की अदालत ने कर दिया था तय: हरक
बागियों को महापापी कहे जाने पर कैबिनेट मंत्री डा हरक सिंह रावत ने भी पलटवार किया। उन्होंने कहा कि पापी कौन था, यह 2017 के विधानसभा चुनाव में जनता की अदालत ने तय कर दिया था। लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि होती है। 2017 के चुनाव में हरीश रावत ने राज्य की जनता से अपील भी की थी कि ऐसे व्यक्तियों को सबक सिखाया जाए, जिन्होंने उनका साथ छोड़ा था। जनता ने उन सभी व्यक्तियों को जिताने का काम किया, जबकि हरीश रावत खुद चुनाव हार गए। इसलिए समझा जा सकता है कि जनता ने पापी किसे समझा और सजा किसे दी।
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