निस्संवर्गीय आरओ का मामला फिर टला

राज्य ब्यूरो, देहरादून पूर्व में खंड विकास कार्यालयों में सहायक विकास अधिकारी (वन) की जिम्

By JagranEdited By: Publish:Tue, 06 Mar 2018 03:00 AM (IST) Updated:Tue, 06 Mar 2018 03:00 AM (IST)
निस्संवर्गीय आरओ का मामला फिर टला
निस्संवर्गीय आरओ का मामला फिर टला

राज्य ब्यूरो, देहरादून

पूर्व में खंड विकास कार्यालयों में सहायक विकास अधिकारी (वन) की जिम्मेदारी निभाने वाले पांच कार्मिकों को निस्संवर्गीय रेंज अधिकारी (आरओ) के पदों पर तैनाती देने अथवा इससे संबंधित आदेश को निरस्त करने के संबंध में सोमवार को अपर मुख्य सचिव वन रणवीर सिंह के समक्ष हुई सुनवाई में कोई फैसला नहीं हो पाया। तय हुआ कि प्रकरण में फिर से सभी पक्षों को सुना जाएगा। इसकी तिथि बाद में तय की जाएगी।

यह है मामला

अविभाजित उत्तर प्रदेश में वर्ष 1976 में सहायक विकास अधिकारी (वन) के पद सृजित किए गए। इनमें फॉरेस्टरों को तैनाती दी गई। इसके तहत तब पौड़ी, टिहरी, अल्मोड़ा व पिथौरागढ़ जिलों में 67 कार्मिकों की तैनाती खंड विकास कार्यालयों में की गई। वनों से संबंधित कार्याें का दायित्व देखने के मद्देनजर इन्हें वन विभाग के डिप्टी रेंजर के समान वेतनमान दिया गया।

नौ नवंबर 2000 को उत्तराखंड बनने के बाद ये पद समाप्त कर दिए गए। इस बीच कई कार्मिक सेवानिवृत्त हो चुके थे, जबकि कुछ उप्र चले गए। तब राज्य में ऐसे 10 कार्मिक रह गए, जिनमें से पांच अब रिटायर हो चुके हैं। शेष पांच की ओर से मांग की गई कि उन्हें मूल विभाग वन में वापसी होने के मद्देनजर विभाग में रेंजर के पदों पर पदोन्नति देते हुए तैनाती दी जाए। दिसंबर 2016 में एक जीओ भी हुआ, जिसमें इन्हें रेंजर के निस्संवर्गीय पदों पर तैनाती देने की बात कही गई। जाहिर है कि वरिष्ठता समेत अन्य कारणों के चलते विभाग में इसे लेकर बवाल हो गया।

अब शासन कर रहा सुनवाई

इस मामले में अब शासन में सुनवाई चल रही है और दिसंबर 2016 के निसंवर्गीय आरओ (रेंजर) से संबंधित आदेश पर फैसला होना है। इसी कड़ी में सोमवार को सुनवाई हुई, मगर यह किसी मुकाम तक नहीं पहुंच पाई।

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