तस्करों पर पैनी नजर रखने को बनी चौकियां खस्ताहाल

चकराता वन प्रभाग की लापरवाह कार्यशैली के चलते साहिया व कोठा तारली में वन तस्करों पर पैनी नजर रखने के लिए बनाई गई चौकियां पिछले 10 वर्षों से खस्ता हालत में पहुंच चुकी है। हालत इतनी बदतर हो चुकी है कि पिछले आठ साल से वन चौकियों में कोई भी वन कर्मी रहने को तैयार नहीं है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 19 Oct 2019 08:38 PM (IST) Updated:Sat, 19 Oct 2019 08:38 PM (IST)
तस्करों पर पैनी नजर रखने को बनी चौकियां खस्ताहाल
तस्करों पर पैनी नजर रखने को बनी चौकियां खस्ताहाल

संवाद सूत्र, साहिया: चकराता वन प्रभाग की लापरवाह कार्यशैली के चलते साहिया व कोठा तारली में वन तस्करों पर पैनी नजर रखने के लिए बनाई गई चौकियां पिछले 10 वर्षों से खस्ता हालत में पहुंच चुकी है। हालत इतनी बदतर हो चुकी है कि पिछले आठ साल से वन चौकियों में कोई भी वन कर्मी रहने को तैयार नहीं है। चौकी के चारों तरफ झाड़ियां उग चुकी हैं, खिड़की व दरवाजे टूट चुके हैं। ऐसे में क्षेत्र की वन संपदा की किस तरह से सुरक्षा हो रही होगी, यह भी बड़ा सवाल है।

वर्ष 1960-65 के अंतराल में साहिया पाठन व कोठा तारली में वन तस्करी रोकने के लिए वन चौकियों का निर्माण वन विभाग द्वारा कराया गया था। जिसकी देखरेख पर ध्यान नहीं दिया गया। पिछले दस साल से देख रेख के अभाव में दोनों चौकियां खस्ता हो चुकी है। छत से लेकर खिड़की, दरवाजे टूट चुके हैं। जर्जर वन चौकियों में कोई भी वन कर्मी रूकने को तैयार नहीं है। पिछले आठ साल से वन चौकियों में वन कर्मियों के न रूकने की वजह से वनों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हाो रहे हैं। वन चौकियों में कोई भी वन कर्मी नहीं रुकने के कारण कोई भी मामला होने पर वन कर्मियों को कालसी स्थित डीएफओ कार्यालय से मौके पर आना पड़ता है। ऐसे में कर्मचारी को घटनास्थल पर पहुंचने में काफी समय लगता है। क्षेत्र में कई हैक्टेयर भू-भाग में हरे भरे वन हैं, जहां पर अवैध पातन को रोकने का काम वन कर्मियों का है। साहिया नेवी के पूर्व प्रधान मोहन लाल शर्मा, सुरेन्द्र सिंह चौहान आदि का कहना है कि जब वन विभाग ने साहिया व कोठा तारली में वन चौकियों का निर्माण कराया था तो उसकी मरम्मत की तरफ भी ध्यान देना चाहिए था। प्रभाग की लापरवाही से चौकियों की यह बदहाल हालत हुई है।

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कई बार क्षतिग्रस्त वन चौकियों की मरम्मत का प्रस्ताव शासन स्तर पर भेजा जा चुका है, लेकिन शासन से पैसा अवमुक्त नहीं हो पाने की वजह से क्षतिग्रस्त वन चौकियों का जीर्णोद्धार नहीं हो पाया है। पैसा मिलते ही प्राथमिकता के आधार पर वन चौकियों का नव निर्माण कराया जाएगा।

दीप चंद आर्य प्रभागीय वनाधिकारी चकराता वन प्रभाग

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