उत्‍तराखंड : वन विभाग ने हेली कंपनियों के खिलाफ शुरू की जांच, नियमों के विपरीत उड़ान भरने का है आरोप

केदारनाथ धाम के लिए उड़ान भरने वाली हेली कंपनियों पर हवाई सेवाओं के संचालन के लिए स्थापित मानकों के उल्लंघन का आरोप लगे हैं। इसकी शिकायत पर वन विभाग ने जांच शुरू कर दी है। उधर शासन ने भी इस मामले का संज्ञान लिया है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 08:46 PM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 08:46 PM (IST)
उत्‍तराखंड : वन विभाग ने हेली कंपनियों के खिलाफ शुरू की जांच, नियमों के विपरीत उड़ान भरने का है आरोप
हेली कंपनियों के खिलाफ के मानकों के उल्लंघन की शिकायत पर वन विभाग ने जांच शुरू कर दी है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। केदारनाथ धाम के लिए उड़ान भरने वाली हेली कंपनियों के खिलाफ ध्वनि प्रदूषण व उड़ान के मानकों के उल्लंघन की शिकायत पर वन विभाग ने जांच शुरू कर दी है। वहीं, शासन ने भी इस मामले का संज्ञान लिया है। शासन ने स्पष्ट किया है कि कोई भी हेली कंपनी यदि नियमों का उल्लंघन करते हुए पाई गई तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

प्रदेश सरकार द्वारा चारधाम यात्रा शुरू करने के बाद से ही यहां हेली सेवाएं भी संचालित होने लगी है। इसके साथ ही इन पर हवाई सेवाओं के संचालन के लिए स्थापित मानकों के उल्लंघन का आरोप भी लगे रहे हैं। आरोप हैं कि केदारनाथ धाम के लिए फाटा, सोनप्रयाग, सिरसी से उड़ान सेवा संचालित करने वाली हेली कंपनियों के हेलीकाप्टर प्रतिबंधित वन क्षेत्र गौरीकुंड, भीमबली व केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग से लगभग 200 मीटर ऊंचाई पर उड़ान भर रहे हैं।

नियमानुसार इस क्षेत्र में हेलीकाप्टर 600 मीटर से नीचे उड़ान नहीं भर सकते। इनकी नीची उड़ान से गौरीकुंड, सोनप्रयाग, भीमबली व केदारनाथ पैदल मार्ग पर ध्वनि प्रदूषण भी हो रहा है। नियमानुसार हेलीकाप्टर की ध्वनि 92 डेसीबल से 108 डेलीबल के बीच होनी चाहिए। इस क्षेत्र में ध्वनि प्रदूषण होने से श्रद्धालुओं व स्थानीय निवासियों को तो परेशानी हो ही रही है साथ ही प्रतिबंधित वन्य क्षेत्र में दुर्लभ जीवों के जीवन को खतरा पैदा हो रहा है। ऐसा नहीं है कि हेली कंपनियों पर ऐसे आरोप पहली बार लग रहे हैं। बीते वर्षों में भी हेली कंपनियों पर इस तरह के आरोप लगते रहे हैं। इन्हें पूर्व में नोटिस भी भेजे गए हैं। यह बात अलग है कि इनके खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई।

अब इस तरह की शिकायतें इंटरनेट मीडिया के जरिये शासन तक भी पहुंची है। सचिव पर्यटन व नागरिक उड्डयन दिलीप जावलकर ने कहा कि वन विभाग मामले की जांच कर रहा है। जांच रिपोर्ट में यदि कोई अनियमितता पाई जाती है तो हेली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

प्रभागीय वनाधिकारी अमित कंवर ने कहा कि इस संबंध में मिली शिकायतों की जांच शुरू कर दी गई है। हेली कंपनियों से उड़ान के डाटा व जरूरी दस्तावेज मांगे गए हैं। जांच रिपोर्ट तैयार कर उच्च अधिकारियों को भेजी जाएगी। वहीं, शिकायत दर्ज कराने वाले व गौरीकुंड के पूर्व प्रधान राकेश गोस्वामी कहा कि सुबह से लेकर देर शाम तक हेली कंपनियां गौरीकुंड बाजार से कुछ ऊंचाई पर ही नियमविरुद्ध उड़ान भर रही हैं, यह पूरा क्षेत्र प्रतिबंधित वन क्षेत्र के अंतर्गत है। इस पूरे क्षेत्र में दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीव रहते हैं। मामले में हेली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

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