Uttarakhand cabinet meet: कैबिनेट का फैसाल, यथावत रहेंगे हक हकूकधारियों के हक

मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को यह महत्वपूर्ण प्रावधान करते हुए उत्तराखंड चार धाम श्राइन प्रबंधन विधेयक के मसौदे में संशोधन को हरी झंडी दिखा दी।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Fri, 06 Dec 2019 06:50 PM (IST) Updated:Fri, 06 Dec 2019 08:57 PM (IST)
Uttarakhand cabinet meet: कैबिनेट का फैसाल, यथावत रहेंगे हक हकूकधारियों के हक
Uttarakhand cabinet meet: कैबिनेट का फैसाल, यथावत रहेंगे हक हकूकधारियों के हक

 देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड के चार पवित्र धामों बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री समेत 51 मंदिरों का प्रबंधन भले ही सरकार संभाले, लेकिन इनसे जुड़े पुजारियों, न्यासियों, तीर्थ पुरोहितों, पंडों और संबंधित हकहकूकधारियोंके मौजूदा अधिकारों और दस्तूर यथावत रहेंगे। मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को यह महत्वपूर्ण प्रावधान करते हुए उत्तराखंड चार धाम श्राइन प्रबंधन विधेयक के मसौदे में संशोधन को हरी झंडी दिखा दी। माना जा रहा है कि उक्त संशोधनों के बाद विधेयक को आगामी सोमवार को विधानसभा में पेश किया जा सकता है। 

त्रिवेंद्र सिंह रावत मंत्रिमंडल की शुक्रवार को विधानसभा स्थित मुख्यमंत्री कक्ष में हुई बैठक में पांच बिंदुओं पर निर्णय लिए गए। विधानसभा सत्र चलने की वजह से सरकार ने मंत्रिमंडल के फैसलों को ब्रीफ नहीं किया। श्राइन बोर्ड के गठन के मंत्रिमंडल के 27 नवंबर के निर्णय के विरोध में पुजारी, पुरोहित और पंडा समाज आंदोलनरत हैं। आंदोलनकारियों की मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से वार्ता हो चुकी है।

सूत्रों के मुताबिक मंत्रिमंडल ने श्राइन बोर्ड के विधेयक के मसौदे में संशोधन कर धारा-चार (आठ) में पुजारी, न्यासी, तीर्थ पुरोहितों, पंडे और संबंधित हकहकूकधारियों को वर्तमान में प्रचलित देय दस्तूरात और अधिकार के मामले यथावत रखने का प्रावधान शामिल करने पर मुहर लगाई। अलबत्ता इनमें परिवर्तन का अधिकार बोर्ड के पास रहेगा।

बोर्ड इस मामले में संबंधित समिति, पंचायत या थोक की सिफारिश को भी ध्यान में रखेगा। धारा-तीन (2)(दो) के जरिए यह संशोधन किया गया है कि बोर्ड का उपाध्यक्ष संस्कृति एवं धर्मस्व विभाग का मंत्री होगा। यदि वह हिंदू नहीं है तो मुख्यमंत्री हिंदू धर्म मानने वाले मंत्रिपरिषद के किसी वरिष्ठ मंत्री को यह जिम्मा देगा। बशर्ते उक्त मंत्री बोर्ड के सदस्य के रूप में नियुक्ति की पात्रता रखता हो। 

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विधेयक के मसौदे में अन्य अहम संशोधन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को लेकर किया गया। मुख्य कार्यकारी अधिकारी हिंदू धर्म का अनुयायी अखिल भारतीय सेवा के उच्च समयमान वेतनमान में कार्यरत अधिकारी होना चाहिए। इसके लिए धारा-2(ग) में हिंदू धर्म को मानने वाले के स्थान पर अनुयायी शब्द रखा गया है। हकहकूकधारी और श्राइन की परिभाषा भी स्पष्ट की गई है। 

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