उत्तराखंड में उद्योगों के लिए भू उपयोग बदलने का शुल्क होगा कम, इतने फीसद तक हो सकती है कटौती

उद्योगों में भू उपयोग बदलने को लिए जाने वाले शुल्क में कटौती की तैयारी कर रही है। यह शुल्क 15 प्रतिशत से कम कर तीन से पांच प्रतिशत तक करने की तैयारी है। मंशा यह है कि अधिक से अधिक उद्योग उत्तराखंड की ओर आकर्षित हों।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 07:10 AM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 07:10 AM (IST)
उत्तराखंड में उद्योगों के लिए भू उपयोग बदलने का शुल्क होगा कम, इतने फीसद तक हो सकती है कटौती
उत्तराखंड में उद्योगों के लिए भू उपयोग बदलने का शुल्क होगा कम।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड सरकार अब उद्योगों में भू उपयोग बदलने को लिए जाने वाले शुल्क में कटौती की तैयारी कर रही है। यह शुल्क 15 प्रतिशत से कम कर तीन से पांच प्रतिशत तक करने की तैयारी है। मंशा यह है कि अधिक से अधिक उद्योग उत्तराखंड की ओर आकर्षित हों। इसके अलावा सरकार सैनिक और पूर्व सैनिकों की पत्नी के नाम वाले भवनों को भी कर में छूट देने की तैयारी कर रही है। ये दोनों मसले कैबिनेट में लाने की तैयारी चल रही है।

प्रदेश सरकार इस समय उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं बना रही हैं। सैन्य पृष्ठभूमि वाले प्रदेश में पूर्व सैनिकों के हितों में भी लगातार नई योजनाएं बन रही हैं। उद्योग व सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी का इस ओर विशेष फोकस भी है। जागरण से विशेष बातचीत में उन्होंने उद्योग व सैनिक कल्याण के क्षेत्र में सरकार की योजनाओं को साझा किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कई उद्योग लंबे समय से बंद चल रहे हैं। उन्हें नोटिस जारी किया गया है।

इसका फायदा यह हुआ कि अब ऐसे उद्योग फिर से शुरुआत के लिए एक साल का समय मांग रहे हैं। सरकार इस पर विचार कर रही है। महिला उद्यमियों और पूर्व सैनिकों को उद्योग लगाने को सिडकुल को भूमि खरीद पर पांच प्रतिशत छूट दी जाएगी। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना नैनो में 50 हजार रुपये का ऋण दिया जा रहा है। इस पर 20 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाएगी। 20 हजार व्यक्तियों को इस योजना से लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है।

पहले चरण में पांच हजार व्यक्तियों को यह सब्सिडी दी जाएगी। इस प्रस्ताव को 24 को कैबिनेट बैठक में रखने की तैयारी है। सूक्ष्म, मध्यम और लघु उद्योग लगाने वालों को तीन साल तक एनओसी की बाध्यता से मुक्त रखा जाएगा। कोरोना काल के बाद वापस आने वाले प्रवासियों को रोजगार देने की व्यवस्था भी सरकार कर रही है। उन्होंने कहा कि सैनिक कल्याण मामले में भी सरकार ने कई कदम उठाए हैं।

द्वितीय विश्व युद्ध की वीर नारियों की पेंशन चार हजार से बढ़ाकर दस हजार रुपये की है। सीमा पर शहीद होने वाले सैन्य व अर्द्ध सैनिक के स्वजन को योग्यता के आधार पर नौकरी दी जा रही है। सैन्यधाम पर भी सरकार का विशेष फोकस है। एक अक्टूबर से शहीद सम्मान यात्रा गढ़वाल के सबाड़ चमोली और कुमाऊं के मुनाकोट से निकाली जा रही है। इनके घरों से मिट्टी सैन्य धाम तक लाई जाएगी।

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उन्होंने कहा कि धाम के प्रवेश द्वार के दोनों और बाबा जसंवत सिंह और बाबा हरभजन सिंह का मंदिर बनाया जाएगा। इसके परिसर में टैंक, आर्टिलरी गन आदि लगाए जाएंगे। इसके अलावा सरकार अन्य राज्यों के बने स्मारकों का अध्ययन भी कर रही है, जिससे सैन्य धाम को भव्य रूप दिया जा सके। सरकार की मंशा यह है कि जो भी उत्तराखंड में आएं वे सैन्य धाम जरूर आएं।

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